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नए साल की रात डीजे बजाने के विवाद पर हत्या कर देने के अभियुक्त को दोषी सिद्ध होने पर आजीवन कारावास की सजा

  दुर्ग। असल बात न्यूज़।।       00  विधि संवाददाता     नए साल की रात को डीजे बजाने के विवाद में आरोपी ने चाकू घोंपकर हत्या कर दी। उसका अपराध...

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 दुर्ग।

असल बात न्यूज़।।  

   00  विधि संवाददाता   

नए साल की रात को डीजे बजाने के विवाद में आरोपी ने चाकू घोंपकर हत्या कर दी। उसका अपराध सिद्ध होने पर न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सत्र न्यायाधीश दुर्ग संजय कुमार जायसवाल के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। अभियुक्त हेल्परी और मजदूरी करके जीवन यापन करता रहा है न्यायालय ने प्रकरण में फैसला सुनाते हुए कहा है कि आरोपी ने जिस तरह से सीने पर धारदार और नुकीले हथियार से घातक वार किया वह यह दर्शाने वाला है कि मारने वाले व्यक्ति ने मृत्यु करने के आशय से चोट पहुंचाने घातक वार किया। 

यह घटना 1 जनवरी 2022 के रात की है जिसमें एक साल तीन महीने के भीतर न्यायालय का निर्णय आ गया है। अभियोजन के अनुसार प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि प्रिंस डोंगरे उर्फ डीजू की मां श्रीमती पूर्णिमा डोंगरे भिलाई नगर रेलवे स्टेशन के सामने निवास करती है। उसके द्वारा घटना की रिपोर्ट भिलाई नगर थाने में दर्ज कराई गई। उसके अनुसार घटना दिनांक को डीजु मकान से कुछ दूरी पर दोस्तों के साथ नए वर्ष के अवसर पर डीजे बजा कर नाच गा रहा था। उसके साथ उसके तीन चार दोस्त भी थे। रात में करीब 9:00 बजे आरोपी झाजकेतन उर्फ टोलू आया और उससे वाद विवाद करने लगा तत्पश्चात अपने पास रखें धारदार चाकू से प्रिंस डोंगरे के सीने पर वार कर दिया जिससे प्रिंस लहूलुहान होकर वहीं गिर पड़ा और बाद में अस्पताल में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने घटना में प्रयुक्त चाकू को सेक्टर 7 से ही आरोपी की निशानदेही पर बरामद कर लिया।

प्रकरण में अभियोजन की ओर से 11 साक्षीयों का परीक्षण कराया गया। आरोपी न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान यह बता पाने में असमर्थ रहा कि मृतक का रक्त उसके कपड़े पर कैसे लगा। वह इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाया। घटना में प्रयुक्त चाकू की जब्ती भी आरोपी की निशानदेही पर हुई। 

आरोपी गिरफ्तारी के बाद से लगातार जेल में निरूद्ध है। न्यायालय ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और ₹1000 अर्थदंड की सजा सुनाई है।



प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से  लोक अभियोजक बालमुकुंद चंद्राकर  ने पैरवी की। 


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