Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों का प्रदर्शन देश के दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर

  कोरोना जैसी महामारी में भी छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों का प्रदर्शन देश के दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर रहा है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ....

Also Read

 

कोरोना जैसी महामारी में भी छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों का प्रदर्शन देश के दूसरे राज्यों की तुलना में बेहतर रहा है। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम द्वारा जारी एनुवल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) - 2022 में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट जारी करने के बाद उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 2021 की तुलना में 2022 में स्कूल शिक्षा विभाग और शिक्षकों ने काफी मेहनत कर अपनी पूर्व स्थिति की ओर वापस आना शुरू किया।

टेकाम ने रिपोर्ट के आधार पर जिलों में फॉलोअप एक्शन लेने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार छत्तीसगढ़ में ‘अंगना म शिक्षा कार्यक्रम‘ के माध्यम से माताओं को जोड़ा गया है। राज्य में इस वर्ष ग्रीष्मकाल में यह कार्यक्रम आगे बढ़ाते हुए सीखने-सिखाने की जिम्मेदारी समुदायवार लेते हुए इसके स्तर को और ऊपर उठाने का कार्य किया जाएगा। इस माह के अंत तक समुदाय को इस कार्य के लिए तैयार कर उनका उन्मुखीकरण कर दो माह तक बच्चों को मूलभूत शिक्षा दी जाएगी।

टेकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री जतन योजना के अंतर्गत सभी स्कूलोें में मरम्मत का कार्य किया जाएगा, ताकि नये सत्र में बच्चों को स्कूल में पढ़ने के लिए आकर्षक वातावरण मिले। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जहां बच्चों को स्थानीय भाषा में शिक्षा देने के लिए भाषाई सर्वे के आधार पर सुधारात्मक कार्य करने की दिशा में पहल की गई है। बस्तर के 200 स्कूलों में इस परियोजना के अंतर्गत आगे का काम शुरू हो गया है। पहला सर्वे असर छत्तीसगढ़ - 2021 अक्टूबर-नवंबर में आयोजित किया गया जब महामारी के कारण कई महीने बंद रहने के बाद स्कूल फिर से खुले ही थे।

इस रिपोर्ट में स्कूल बंद होने के कारण हुए र्लिर्नंग लॉस पर महत्वपूर्ण अनुमान दिये। असर छत्तीसगढ़ - 2022 लगभग एक साल की ‘कैंच-अप‘ गतिविधियों के बाद बच्चों की स्कूली शिक्षा और बुनियादी क्षमता की स्थिति को समझने के लिए नवंबर 2022 में लौटा। इसके साक्ष्य यह समझने में मदद कर सकते हैं कि लर्निग रिकवरी अब तक कितनी सफल रही है और आगे बढ़ने के लिए किस तरह की मदद की आवश्यकता होगी। nnअसर की रिपोर्ट के आधार पर कोरोना के बाद बच्चों के सीखने के स्तर में हुए सुधार के मामले में छत्तीसगढ़ में विभिन्न सूचकांकों में अन्य राज्यों की तुलना में अच्छी प्रगति की है। छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूल बच्चों के नामांकन के मामले में देश में सातवें स्थान पर हैं। सरकारी स्कूलों में नामांकन का औसत राष्ट्रीय स्तर पर 72.9 प्रतिशत है, वहीं छत्तीसगढ़ का प्रतिशत 81.6 है। छत्तीसगढ़ के निजी स्कूल बच्चों के नामांकन की हिस्सेदारी के मामले में देश में पांचवें स्थान पर है।

निजी स्कूल में नामांकन का औसत राष्ट्रीय स्तर 25.1 प्रतिशत है, वहीं छत्तीसगढ़ का प्रतिशत 16.4 है। इसका मतलब यह है कि राज्य में बड़ी संख्या में बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते है। छत्तीसगढ़ में पालकों द्वारा अपने बच्चों को पैसे देकर निजी ट्यूशन में भेजने की प्रवृत्ति बहुत कम है और राज्य निजी ट्यूशन के मामले में दूसरे स्थान पर है। छत्तीसगढ़ में निजी ट्यूशन में जाने वाले बच्चों का प्रतिशत 5.2 है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रतिशत 30.5 है।असर - 2022 की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में कक्षा तीसरी में बच्चों के पठन कौशल के सिखने में क्षति के मामले में 14वें स्थान पर है। कक्षा 3 के पठन कौशल में कोरोना लॉकडाउन की वजह से 4.3 प्रतिशत की क्षति हुई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिशत 4.6 है।

छत्तीसगढ़़ में कक्षा तीसरी के बच्चों के गणितीय कौशल में सीखने के क्षति के मामले में 12वें स्थान पर है। राज्य में कोरोना लॉकडाउन की वजह से कक्षा 3 के गणित कौशल को सीखने में कोई अंतर नही दिखाई दिया, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह क्षति 0.7 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में कक्षा पांचवीं में बच्चों के पठन कौशल में सीखने की क्षति के मामले में 10वें स्थान पर है। कोरोना लॉकडाउन की वजह से सीखने में 4.4 प्रतिशत की क्षति हुई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह क्षति 5.7 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में कक्षा पांचवीं में बच्चों के गणितीय कौशल में सीखने में क्षति के मामले में 13वें स्थान पर है। लॉकडाउन के वजह से सीखने में 3.3 प्रतिशत की क्षति हुई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह क्षति 4.4 प्रतिशत है।

छत्तीसगढ़ में कक्षा आठवीं में बच्चों के पठन कौशल में सीखने के स्तर में 6वें स्थान पर है। कोरोना लॉकडाउन के बावजूद सीखने में 4.1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह क्षति 2.8 प्रतिशत है। कक्षा आठवीं में बच्चों के गणित कौशल में सीखने के स्तर के मामले में दूसरे स्थान पर है। कोरोना लॉकडाउन के बावजूद भी 10.6 प्रतिशत सीखने की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह बढ़ोत्तरी मात्र 1.8 प्रतिशत की है।