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मैं जला हुआ नहीं....अमर दीप हूं ,जो वतन पर मिट गया.... मैं वह शहीद हूं,स्वरूपानंद महाविद्यालय में अमर शहीदों के बलिदान को याद कर मनाया गया शहीद दिवस

  भिलाई।  असल बात न्यूज़।।  स्वरूपानंद महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा शहीद दिवस पर  विद्यार्थियों के लिए आयोजित की नारा ...

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 भिलाई।

 असल बात न्यूज़।। 

स्वरूपानंद महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा शहीद दिवस पर  विद्यार्थियों के लिए आयोजित की नारा लेखन तथा पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया l

कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती संयुक्ता पाढ़ी ने कहा कि इस दिवस पर भारत के गौरव, शान और आजादी के लिए लड़ने वाले भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु, सुखदेव को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन का एक ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि यह उस दिन को चिन्हित करता है जब उन्हें 1931 में भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए फांसी दी गई थी। शहीद दिवस देश के लिए बहुत खास और भावुक दिन होता है। 


स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षपूर्ण इतिहास की जानकारी देते हुए श्री हितेश कुमार सोनवानी, सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी ने बताया कि देश की आजादी के लिए के लिए वर्षों तक संग्राम चला. कई वीर सपूतों ने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्‍यौछावर कर दिए थे. इन तीनों सपूतों ने भी अंग्रेजी हुकूमत की खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिलज् के विरोध में सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे. इसके बाद इन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया था और 23 मार्च, 1931 को फांसी दी गई थी.


महाविद्यालय में आयोजित पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में शेफाली राजपूत, बीबीए द्वितीय सेमेस्टर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, द्वितीय स्थान पर रहे दीप वर्मा तथा तृतीय स्थान पर रहीं बी.एड द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा रिंकू सोनवानी, बी.एड द्वितीय सेमेस्टर के दिनेश पटेल तथा ख्याति यादव को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ l

नारा लेखन प्रतियोगिता में बी.एड द्वितीय सेमेस्टर की छात्रा सरला निर्मल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, बी.एड द्वितीय सेमेस्टर के मुकेश ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा द्वितीय सेमेस्टर से गरिमा मिश्रा, दीपिका कर तथा ममता परमानिक ने तृतीय स्थान प्राप्त किया l


महाविद्यालय प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि 23 मार्च को हमारे राष्ट्र के तीन नायकों को अंग्रेजों ने भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी पर लटका दिया था। निस्संदेह, उन्होंने मां भारती के कल्याण के लिए अपने जीवन का बलिदान किया है l इतनी कम उम्र में, वह आगे आए और स्वतंत्रता के लिए उन्होंने बहादुरी के साथ संघर्ष किया।


सी.ओ.ओ डॉ दीपक शर्मा ने कहा की 23 मार्च को भारत के इन तीनों वीर सपूतों ने देश के लिए हंसते-हंसते फांसी की सजा को गले लगा लिया था। उनकी शहादत को देश का हर नागरिक सच्चे दिल से सलाम करता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी l


सभी विषयों के विद्यार्थियों ने प्रतिस्पर्धा में भाग लिया एवं शहीदों को नमन किया तथा महाविद्यालय के प्राध्यापकों ने शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की l