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सस्ता चारा और नस्ल संवर्धन के साथ गोधन न्याय जैसी योजनाओं से पशुधन समृद्ध होगा -- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

  *- सस्ता चारा विकसित करने तथा नस्ल संवर्धन को लेकर अच्छे कार्य के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु व...

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*- सस्ता चारा विकसित करने तथा नस्ल संवर्धन को लेकर अच्छे कार्य के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की प्रशंसा की

*- कहा डेयरी में असीम संभावनाएं, विश्वविद्यालय से उपजे ज्ञान को रीपा के माध्यम से देंगे जगह ताकि डेयरी की संभावनाएं बढ़े


दुर्ग।

असल बात न्यूज़।। 

 दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर की प्रतिमा अनावरण एवं दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के लोकार्पण के मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री ने पशुओं के लिए सस्ता चारा उपलब्ध कराने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किये गये तकनीकी प्रयासों की प्रशंसा की। विश्वविद्यालय ने पैरा आधारित संपूर्ण आहार पैलेट का विकास किया है। यह पशुओं के लिए सुपोषित चारा तो होगा ही, इसके माध्यम से चारे की कीमतों में 35 प्रतिशत तक कमी आयेगी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ में पशुधन की संभावनाओं को दो बातें बाधक बनाती हैं। सस्ते और पोषक चारे की उपलब्धता तथा यहां का गर्मी से भरा वातावरण जिसकी वजह से उच्च नस्ल के मवेशी यहां अनुकूलित नहीं हो पाते। 

इसी वजह से हमने नस्ल संवर्धन का काम आरंभ किया है। साथ ही पशुधन के विकास के लिए गोधन न्याय योजना भी आरंभ की ताकि पशुपालन पुनः लाभ का सौदा साबित हो सके। सस्ते चारे के लिए विश्वविद्यालय पैलेट जैसे प्रयोग कर रहा है। हम रीपा के माध्यम से ग्रामीण उद्यमियों को बढ़ावा दे रहे हैं। हर रीपा में ऐसे यूनिट बनाए जाएंगे जिसमें पशुआहार बनाने की यूनिट भी हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी छत्तीसगढ़ में पशुधन को लेकर अपार संभावनाएं हैं। स्थानीय स्तर पर डेयरी उद्यम को बढ़ावा देने से हमारे यहां माँग और पूर्ति की स्थिति तेजी से ठीक होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए ही हमारा फोकस गोबर खरीदी पर रहा ताकि जैविक खेती की जा सके, गोबर पेंट बनाया जा सके और पशुधन के माध्यम से आर्थिक समृद्धि आये। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्वर्गीय दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर के अवदान को भी याद किया। उन्होंने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में उनका कार्य मील का पत्थर रहा। डेयरी को उन्होंने आजीविका के साधन के रूप में अपनाया। उच्च नस्ल के मवेशियों का पालन किया। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में उन्होंने तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोतीलाल वोरा ने अंजोरा में एक बड़े कृषि मेले का आयोजन किया गया और यहां से ही कृषि और पशुपालन में नई वैज्ञानिक संभावनाओं के बारे में लोगों की जानकारी मिली। मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि हमारी कोसली प्रजाति की गायें दूध कम देती हैं लेकिन उनकी प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है। इनकी लगातार नस्ल वृद्धि करने से पशुधन के क्षेत्र में अच्छा काम होगा।

इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एनपी दक्षिणकर ने मुख्यमंत्री को विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे नवाचारों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पशुआहार पैलेट्स बनाने के अलावा हमने बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर भी आरंभ किया है। इसके माध्यम से पशुपालक किसानों के लिए सस्ते दाम में चारा उपलब्ध होगा।

इस अवसर पर गृह एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, दुर्ग विधायक श्री अरुण वोरा, भिलाई विधायक श्री देवेंद्र यादव, महापौर श्री धीरज बाकलीवाल, पूर्व विधायक श्री प्रदीप चौबे, पूर्व विधायक श्रीमती प्रतिमा चंद्राकर, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष श्री राजेंद्र साहू, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शालिनी यादव, श्री लक्ष्मण चंद्राकर एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. आरके सोनवाने एवं निदेशकगण, अधिष्ठाता, प्राध्यापक, वैज्ञानिकगण एवं अधिकारी मौजूद रहे।