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लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अपराध में आरोपी को दोषी सिद्ध होने पर 20 साल की सजा

  दुर्ग। असल बात न्यूज़।।       00  विधि संवाददाता   लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अपराध में दोष सिद्ध पाए जाने पर अभि...

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दुर्ग।

असल बात न्यूज़।।  

   00  विधि संवाददाता 

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अपराध में दोष सिद्ध पाए जाने पर अभियुक्त को 20 साल की सजा सुनाई गई है। प्रकरण का एक पहलू यह भी है कि अभियुक्त लगभग 22 वर्षीय गरीब व्यक्ति है। बचाव पक्ष की ओर से अभियुक्त के विरुद्ध उत्पन्न अपराध की उपधारणा को खंडित करने के संबंध में कोई भी बचाव स्थापित नहीं किया जा सका। अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने उक्त सजा सुनाई है। न्यायालय ने पीड़ित अभियोक्तरी के पुनर्वास के लिए क्षतिपूर्ति देने की भी अनुशंसा की है। 

यह घटना दुर्ग जिले के नंदनी नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत की है।अभियोजन के अनुसार प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि 12 अक्टूबर 2020 को नंदिनी नगर थाने में प्रार्थी के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई कि उसकी नाबालिग पुत्री 11 अक्टूबर 2020 को दोपहर 2:00 बजे से अपने सहेली के घर पढ़ाई करने जा रही है, कहकर घर से निकली थी जो कि वापस नहीं आई आसपास एवं रिश्तेदारों में पता करने पर भी उसका पता नहीं चला। बाद में 4 जून 2021 को अभियोक्तरी को बरामद किया गय। 

प्रकरण में विचारण एवम सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अभियुक्त के विरुद्ध आरोप युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित पाया  कि अभियुक्त के द्वारा अवयस्क अभियोक्तरी को 11 अक्टूबर 2020 को दोपहर में समय 2:00 बजे प्रार्थी के घर से अयुक्त संभोग करने के आशय से उसके विधि पूर्ण संरक्षक उसके माता-पिता के संरक्षकता में से अवैधानिक रूप से उनकी सहमति के बिना उसे बहला-फुसलाकर उसका व्यपहरण किया गया और 11 अक्टूबर 2020 से 4 जून 2021 के मध्य उसके साथ एक से अधिक बार बलातसंग एवं गुरुत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला कारित किया गया। 

न्यायालय ने अभियुक्त की ओर से धारा 29 एवं 30 के प्रावधान के अनुसार अपनी प्रतिरक्षा में लिए गए आधार को भी निराधार पाया । न्यायालय ने प्रकरण में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अभियोजन के द्वारा अभियोक्तरी के अखंडित एवं विश्वसनीय साक्ष्य तथा परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर अपना मामला आधारभूत रूप से प्रमाणित किया गया है किंतु अभियुक्त के द्वारा उसके विरुद्ध उत्पन्न उक्त उपधारणा को खंडित किए जाने के संबंध में कोई भी बचाव स्थापित नहीं किया गया है। अभियुक्त को बलातसंग  जैसे गंभीर मामले में झूठा फंसाए जाने का कोई कारण नहीं था।

प्रकरण में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पक्ष रखा।