Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

कोदो, कुटकी, रागी के उत्पादन, प्रसंस्करण व उपभोग को बढ़ावा देने कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन

  ’बिहान’ द्वारा आयोजित कार्यशाला में मोटे अनाजों को दैनिक भोजन में शामिल करने के बारे में दी गई जानकारी जिला कार्यक्रम प्रबंधकों और सोशल ...

Also Read

 

’बिहान’ द्वारा आयोजित कार्यशाला में मोटे अनाजों को दैनिक भोजन में शामिल करने के बारे में दी गई जानकारी

जिला कार्यक्रम प्रबंधकों और सोशल मोबिलाइजेशन अधिकारियों को स्वसहायता समूहों को मिलेट्स के उत्पादन व प्रसंस्करण में सहयोग के लिए दिया गया प्रशिक्षण

रायपुर.

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान)

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) द्वारा आज अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023 में मिलेट्स (मोटे अनाजों) के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं उपभोग को बढ़ावा देने तथा इसके प्रचार-प्रसार के लिए राज्य स्तरीय कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। राजधानी रायपुर के नजदीक निमोरा स्थित ठाकुर प्यारेलाल ग्रामीण विकास संस्थान में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में कोदो, कुटकी और रागी जैसे मोटे अनाजों के उत्पादन, प्रसंस्करण एंव उपभोग को बढ़ावा देने के बारे में जानकारी दी गई। कार्यशाला में मिलेट्स के फायदों, इसके स्वास्थ्यवर्धक तथा पोषण से भरपूर होने संबंधी तथ्यों के व्यापक प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया गया।

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान)

भारत सरकार में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) में नेशनल मिशन मैनेजर (आजीविका) श्री जयराम किल्ली, डॉ. मोनिका सिंह चौहान, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, छत्तीसगढ़ की मुख्य संचालन अधिकारी सुश्री एलिस लकड़ा तथा प्रदान, ट्रान्सफॉर्मिंग रुरल इंडिया फाउंडेशन (TRIF) एवं प्रोजेक्ट कन्सर्न इंडिया (PCI) संस्था के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को कोदो, कुटकी एवं रागी के फायदों तथा इनमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में जानकारी दी। स्वास्थ्य एवं पोषण पर केन्द्रित इस कार्यशाला में मोटे अनाजों को दैनिक भोजन में शामिल करने के बारे में विस्तार से बताया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूहों को मिलेट्स के उत्पादन और प्रसंस्करण में किस तरह से सहायता प्रदान की जा सकती है, इस बारे में सभी जिलों के जिला कार्यक्रम प्रबंधकों तथा सोशल मोबिलाइजेशन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। मिलेट्स के उत्पादन और प्रसंस्करण से ग्रामीण महिलाओं को जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है। राज्य शासन द्वारा कोदो, कुटकी और रागी को समर्थन मूल्य पर खरीदकर इनकी अच्छी कीमत दी जा रही है।