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पॉक्सो एक्ट में दोषसिद्ध होने पर अभियुक्त को 20 साल की सजा

  दुर्ग । असल बात न्यूज़।।         00 विधि संवाददाता  पोक्सो एक्ट में अभियुक्त को बीस साल की सजा सुनाई गई है। अभियुक्त की उम्र सिर्फ 22 साल ...

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 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।। 

      00 विधि संवाददाता 

पोक्सो एक्ट में अभियुक्त को बीस साल की सजा सुनाई गई है। अभियुक्त की उम्र सिर्फ 22 साल है। आरोप है कि वह शादी का प्रलोभन देकर पीड़िता का शारीरिक शोषण कर रहा था। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम फास्ट ट्रेक कोर्ट विशेष न्यायाधीश दुर्ग श्रीमती सरिता दास के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। मामले में लगभग 3 साल के बाद न्यायालय का फैसला आया है।

 अभियोजन पक्ष के द्वारा प्रस्तुत मामले के तथ्य इस प्रकार है कि प्रार्थी के द्वारा आरक्षी केंद्र दुर्ग में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि आरोपी, उससे मैं तुमसे प्यार करता हूं, तुम प्यार नहीं करोगी तो आत्महत्या कर लूंगा की धमकी देकर उससे शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करता था। 10 जनवरी 2020 को उसके घर काम करने गई थी, तो उसने ऐसे ही बोल कर उसके साथ जबरदस्ती बलात संग किया। इसके बाद वह, तुम मेरी पत्नी हो कह कर,उससे कई बार शारीरिक संबंध बनाता रहा, जिससे वह दो-तीन माह की गर्भवती हो गई। अभियोक्त्री की उम्र 17 साल 4 माह प्रमाणित पाई गई।

आरोपी ने न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया कि उसने बिना विवाह किए पीड़िता के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाया है तथा उसने बचाव में आधार लिया कि पीड़िता एक सहमत पक्षकार  रही है तथा पीड़िता के माता-पिता ने पीड़िता को विवाह योग्य बताते हुए समाज के पदाधिकारी की उपस्थिति में पीड़िता की सहमति से उसका उससे जयमाला पद्धति से विवाह कराया था जिसके बाद पीड़िता उसके घर रह रही थी, किंतु बचाव पक्ष की ओर से इस संबंध में कोई साक्षी अथवा दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया। 

न्यायालय के द्वारा अपने फैसले में कहा गया है कि स्त्रियों के प्रति लैंगिक अपराध सिर्फ पीड़िता के साथ ही नहीं होता, बल्कि इससे पूरा समाज प्रभावित होता है। कड़े उपाय करने के बावजूद ऐसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं। मैं आ गए के द्वारा यह भी कहा गया है कि पीड़िता का दंड प्रक्रिया संहिता के तहत लिए गए कथन और न्यायालय के समक्ष किए गए कथन में समानता है। दांडिक विधि के तहत यह सुस्थापित सिद्धांत है कि एकमात्र पीड़िता के अखंडित एवं विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर दोष सिद्ध आधारित किया जा सकता है। आवश्यकता है।

अभियुक्त को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के तहत यह सजा सुनाई गई है। 

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक  राजेश साहू ने पक्ष रखा।


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