मध्य प्रदेश में सिकल सेल रोग की जांच और प्रबंधन के लिए हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की स्थापना की गई है।वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में, 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के लिए एक मिशन शुरू करने की घोषणा की गई है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य में सिकल सेल के मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि सिकल सेल रोग (SCD) एक क्रोनिक सिंगल जीन डिसऑर्डर है, जो क्रोनिक एनीमिया, तीव्र दर्दनाक एपिसोड, अंग रोधगलन और क्रोनिक ऑर्गन क्षति और कमी के कारण एक दुर्बल प्रणालीगत सिंड्रोम की कमी के कारण बनता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत, भारत सरकार राज्यों को उनके वार्षिक पीआईपी प्रस्तावों के अनुसार सिकल सेल रोग की रोकथाम और प्रबंधन के लिए सहायता करती है। मंत्रालय ने 2016 में सिकल सेल एनीमिया सहित हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए तकनीकी परिचालन दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
एनएचएम के तहत राज्य के प्रस्ताव के अनुसार सिकलसेल के उपचार के लिए कैप्सूल हाइड्रोक्सीयूरिया, सभी रोगियों (पुरुषों और महिलाओं) को मुफ्त प्रदान कर सहायता दी जाती है।
सिकल सेल रोग की जांच और प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए मध्य प्रदेश में राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की स्थापना की गई है। मप्र के झाबुआ और अलीराजपुर जिले में स्क्रीनिंग के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की गई है । परियोजना के दूसरे चरण में 89 आदिवासी ब्लॉक शामिल किए गए हैं। राज्य द्वारा बताया गया है कि यहां कुल 993114 व्यक्तियों की जांच की गई है। जिनमें से 18866 में HbAS (सिकल ट्रेट) और 1506 (HbSS सिकल डिजीज्ड) का पता चला है। राज्य सरकार ने रोगियों के उपचार और निदान के लिए 22 जनजातीय जिलों में हेमोफिलिया और हीओग्लोबिनोपैथिस के लिए एकीकृत केंद्र स्थापित किया है।