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बहुचर्चित रावलमल जैन हत्याकांड मामले में लगातार दूसरे दिन मौखिक अंतिम तर्क, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने खड़े किए ढेर सारे सवाल, पिन ड्रॉप साइलेंस कक्ष में लंच के पहले तक में लगातार 2 घंटे चर्चा

  दुर्ग । असल बात न्यूज़।।        00 विधि संवाददाता  दुर्ग जिले के बहुचर्चित रावल मल जैन हत्याकांड मामले में विशेष न्यायालय के समक्ष अंतिम ...

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 दुर्ग ।

असल बात न्यूज़।। 

      00 विधि संवाददाता 

दुर्ग जिले के बहुचर्चित रावल मल जैन हत्याकांड मामले में विशेष न्यायालय के समक्ष अंतिम मौखिक तर्क लगातार दूसरे दिन जारी है। प्रकरण में विशेष न्यायाधीश शैलेश कुमार तिवारी के न्यायालय में सुनवाई चल रही है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने आज ढेर सारे तर्क प्रस्तुत किए तथा कहा कि जो साक्ष्य हैं जिससे अनुसंधान किया गया है उसमें कई तरह के शक पैदा होते हैं और कई तरह की कमियां नजर आ रही है। एक मुल्जिम पर फांसी के तख्ते पर चढ़ाने वाला आरोप लगा है लेकिन अनुसंधान मैं कई सारे सवाल छोटे रह गए हैं। विशेष न्यायालय के द्वारा प्रकरण में एक एक तर्क को बारीकी से सुना जा रहा है।

न्यायालय में बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अंतिम मौखिक तर्क में पुलिस अनुसंधान के कई मुद्दों पर सवाल खड़े किए। बचाओ पर अधिवक्ता ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि आई ओ के द्वारा कहा गया है कि उसने आसपास के लोगों से मामले के बारे में पूछताछ नहीं किया है। उसका कहना है कि आसपास के लोगों ने बयान देने से मना कर दिया। यह इतना महत्वपूर्ण और गंभीर संवेदनशील मामला है यदि किसी जरूरी साक्षी ने साक्षी देने से मना कर दिया तो इसका कोई जवाब नहीं है कि उसके बाद पुलिस अनुसंधान में क्या किया गया। क्या बयान नहीं देने वाले लोगों को कोई नोटिस दी गई। मृतक रावल मल जैन और पुलिस थाने के बीच इतनी अधिक दूरी है कि कोई भी 20 सेकंड में वहां नहीं पहुंच सकता और घटना होने का जो समय बताया गया है इतनी जल्दी f.i.r. मर्ग दर्ज नहीं किया जा सकता। इसमें धारा 157 की भी पालना नहीं की गई है घटना को तत्काल मजिस्ट्रेट को जानकारी दी जानी चाहिए थी जो कि मजिस्ट्रेट का कार्यालय सिर्फ 50 कदम की दूरी पर होने के बावजूद सूचना नहीं दी गई। 

बचाव पक्ष के अधिवक्ता के द्वारा मामले में यह भी महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया गया कि प्रकरण में यह कहा जा रहा है कि घटना को उस समय अंजाम देने की साजिश की गई कि जब नया वर्ष था और उस समय पटाखे फूटने का शोर होता था। सुबह 5:54 पर फोन आता है कि नाना जी को कुछ हो गया है आवाज आई है। तो यह आवाज आखिर किसकी थी बंदूक के चलने की थी फटाका फूटने की थी या गिरने की थी। जो कोई तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं उसमें कहीं नहीं कहा गया है कि नानी जी ने कहा है कि वहां गोली चली है कि वहां संदीप उपस्थित था

बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने मामले में घटनास्थल, पंचनामा, मौका, मुआयना पर भी सवाल खड़े किया है। प्रकरण में अभी लंच के बाद अंतिम मौखिक तर्क लगातार जारी रहेगा। 

दुर्ग जिले का अत्यंत बहुचर्चित मामला होने की वजह से पूरे जिले के लोगों की नजर इस मामले की सुनवाई की ओर लगी हुई है। प्रकरण में पूरी सुनवाई विशेष न्यायाधीश के ओपन कोर्ट में चल रही है और आज सुनवाई के दौरान वहां न्यायालय कक्ष में पिन ड्रॉप साइलेंस के जैसी स्थिति थी। तर्को को सुनने बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं के साथ आम लोग उपस्थित थे और एक एक तर्क को बारीकी से सुना जा रहा था। लंच के बाद जब सुनवाई शुरू होगी तो न्यायालय कक्ष में और भीड़ बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है।