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ना तो कृषि उड़ान योजना में छत्तीसगढ़ का कोई हवाई अड्डा शामिल और ना ही ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए यहां के किसी हवाई अड्डे का चयन

  नई दिल्ली, छत्तीसगढ़।                असल बात न्यूज़।।  00 विशेष संवाददाता  00  छत्तीसगढ़ की आवाज छत्तीसगढ़ राज्य में हवाई यात्रा सुविधाओं ...

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नई दिल्ली, छत्तीसगढ़।

               असल बात न्यूज़।। 

00 विशेष संवाददाता 

00  छत्तीसगढ़ की आवाज

छत्तीसगढ़ राज्य में हवाई यात्रा सुविधाओं को बढ़ाने की बात की जा रही है और पिछले वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में काफी काम भी नजर आते हैं। लेकिन लग रहा कि छत्तीसगढ़ को कई हवाई सुविधाओं से जोड़ने की ओर ध्यान नहीं दिया गया है तथा इसकी उपेक्षा की गई है। देश में कृषि उड़ान योजना शुरू की गई है जिसके पायलट प्रोजेक्ट में 53 हवाई अड्डे को शामिल किया गया है लेकिन कृषि प्रधान प्रदेश "छत्तीसगढ़ राज्य" के किसी भी हवाई अड्डे को इस योजना के अंतर्गत नहीं शामिल किया गया है।इस योजना का उद्देश्य पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों से आने वाले सभी कृषि उत्पादों के लिए निर्बाध, लागत प्रभावी, समयबद्ध, हवाई परिवहन और संबंधित रसद सुनिश्चित करना है लेकिन फिलहाल इसमें देश के उत्तर पूर्व के हवाई अड्डे को ही शामिल किया गया है।दूसरी तरफ देश के ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों में भी छत्तीसगढ़ के किसी हवाई अड्डे को शामिल नहीं किया गया है। 

कृषि उड़ान योजना 2.0 की घोषणा 27 अक्टूबर 2021 को की गई थी, जिसमें मौजूदा प्रावधानों को बढ़ाते हुए मुख्य रूप से  खराब होने वाले खाद्य उत्पादों के परिवहन पर ध्यान केंद्रित किया गया है। हवाई परिवहन द्वारा कृषि-उत्पाद की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने और प्रोत्साहित करने के लिए, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) भारतीय मालवाहकों और पी2सी (यात्री) के लिए लैंडिंग, पार्किंग, टर्मिनल नेविगेशनल लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) और रूट नेविगेशन सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) की पूर्ण छूट प्रदान करता है। इसमें बागवानी, मत्स्य पालन, पशुधन और प्रसंस्कृत उत्पाद शामिल हैं, के परिवहन के लिए मॉडल मिश्रण में हवाई ढुलाई की हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है। 

इसमें वर्तमान में कुल 58 हवाईअड्डों को शामिल किया गया, जैसे आदमपुर, अगरतला, अगत्ती, आगरा, अमृतसर, बागडोगरा, बरेली, भुज, भुंतर, चंडीगढ़, कोयम्बटूर, देहरादून, डिब्रूगढ़, दीमापुर, गग्गल, गोवा , गोरखपुर, हिंडन, इम्फाल, इंदौर, जैसलमेर, जम्मू, जामनगर, जोधपुर, जोरहाट, कानपुर, कोलकाता, लेह, लेंगपुई, लीलाबारी, नासिक, पकयोंग, पंतनगर, पठानकोट, पटना, पिथौरागढ़, पोर्ट-ब्लेयर, प्रयागराज, पुणे, रायपुर , राजकोट, रांची, रूपसी, शिलांग, शिमला, सिलचर, श्रीनगर, तेजपुर, तेजू, तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, वाराणसी, विशाखापत्तनम, बेलगावी, भोपाल, दरभंगा, जबलपुर और झारसुगुडा इटली हवाई अड्डे को शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ का कोई हवाई अड्डा इस योजना में शामिल नहीं है। या तो हम सबको मालूम है कि छत्तीसगढ़ राज्य कई फसलों और सब्जियों का बड़ा उत्पादक है प्रदेश है। नाचे टमाटर मिर्ची गोभी बरबटी जैसी सब्जियां और पपीता केला जैसे फल काफी लोकप्रिय हैं और इनकी देश के दूसरे राज्यौ में भी आपूर्ति की जाती है।कृषि उड़ान योजना जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों के लिए जरूरत के मुताबिक हवाई परिवहन और रसद सहायता प्रदान करने के लिए है। इसकी सुविधा छत्तीसगढ़ को भी मिलने से यहां के कई फलों सब्जियों की आपूर्ति देश में दूर दूर तक हो सकती है।अभी गुवाहाटी से 'राजा मिर्च, बर्मी अंगूर और असमिया नींबू', त्रिपुरा से 'कटहल' और दरभंगा से 'लीची' का हवाई परिवहन होने से इनका बाजार देश में काफी बढ़ा है।

इसी तरह से भारत सरकार (जीओआई) ने 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए 'सैद्धांतिक' अनुमोदन प्रदान की गई है जिसमे से, गोवा में मोपा, नवी मुंबई, महाराष्ट्र में शिरडी और सिंधुदुर्ग, कर्नाटक में कलाबुरगी, विजयपुरा, हासन और शिवमोग्गा, डबरा (ग्वालियर) मध्य प्रदेश में कुशीनगर और नोएडा (जेवर), गुजरात में धोलेरा और हीरासर, पुडुचेरी में कराईकल, आंध्र प्रदेश में दगदर्थी, भोगपुरम और ओरवाकल (कुरनूल), पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर, सिक्किम में पाक्योंग, केरल में कन्नूर और डोनी देश भर में अरुणाचल प्रदेश में पोलो, ईटानगर शामिल हैं।

इनमें से 9 ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे अर्थात। दुर्गापुर, शिरडी, कन्नूर, पक्योंग, कालाबुरागी, ओरवाकल (कुरनूल), सिंधुदुर्ग, कुशीनगर और डोनी पोलो, ईटानगर को चालू कर दिया गया है। इसमें भी छत्तीसगढ़ के किसी हवाई अड्डे को नहीं शामिल किया गया है। 

ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का विकास ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे (जीएफए) नीति, 2008 के तहत शासित है। नीति के अनुसार, एक राज्य सरकार या एक हवाईअड्डा डेवलपर, जो एक हवाई अड्डा स्थापित करने के इच्छुक हैं, को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजने की आवश्यकता है ( MoCA) 2-चरण अनुमोदन के लिए अर्थात 'साइट-क्लीयरेंस' और उसके बाद 'इन-सैद्धांतिक' अनुमोदन। ऐसे प्रस्तावों पर एमओसीए द्वारा जीएफए नीति में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार विचार किया जाता है। परियोजनाओं के वित्त पोषण सहित हवाईअड्डा परियोजनाओं के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार सहित संबंधित हवाईअड्डा विकासकर्ता की है (यदि राज्य सरकार परियोजना प्रस्तावक है)।