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पोक्सो एक्ट में दोष सिद्ध होने पर दुर्ग में दो अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा

0 नाबालिक को चाकू की नोक पर उठा ले गए 0 सेंट जैसी चीज सुधाकर किया था कृकृत्य  0 भिलाई खुर्सीपार का है मामला   दुर्ग। असल बात न्यूज़।।  00  व...

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0 नाबालिक को चाकू की नोक पर उठा ले गए

0 सेंट जैसी चीज सुधाकर किया था कृकृत्य 

0 भिलाई खुर्सीपार का है मामला


 दुर्ग।

असल बात न्यूज़।। 

00  विधि संवाददाता 

बच्ची के साथ अनाचार का दोषी पाए जाने पर दुर्ग में दो अभियुक्तों को अभियुक्त को पोक्सो एक्ट के अंतर्गत  आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। चतुर्थ एफटीएससी विशेष न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा363, 376 (घ ) (क) और पोक्सो एक्ट की धारा 5(6) ए व 6 के तहत मामले में यह सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों को  ₹50 हजार 100 रुपए का अर्थदंड भी अदा करना होगा। अर्थदंड अदा नहीं करने पर उसे अलग से एक साल की सजा भुगताई जाएगी। न्यायालय के द्वारा अर्थदंड की संपूर्ण राशि अभियोक्तरी  को बतौर क्षतिपूर्ति प्रदान करने का निर्देश दिया गया है। मामले में दोनों अभियुक्त, गिरफ्तारी के बाद से लगातार जेल में हैं, उन्हें कहीं से जमानत नहीं मिल पाई।

 बच्ची के साथ अनाचार के मामले में न्यायालय का फैसला लगभग दो साल 10 महीने में आया है।खुर्सीपार भिलाई थाना क्षेत्र के अंतर्गत का यह मामला 2 जनवरी 2019 का है और न्यायालय के द्वारा इस प्रकरण में तेजी से सुनवाई की गई। मामले के बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार इसमें  आरोपी वी चिरंजीवी उम्र 32 वर्ष सेक्टर 7 भिलाई का निवासी है ।अभियोक्त्री जो कि नाबालिग उम्र लगभग 6 वर्ष है  थाना सुपेला क्षेत्र भिलाई की निवासी है। आरोपी अभियोक्तरी के घर के पास गार्ड का काम करता था तथा अभियोक्तरी आरोपी को बचपन से जानती थी। अभियोक्त्री ने अपनी माता को जानकारी दी थी कि आरोपी ने उसके साथ गंदा काम किया है जिसके बाद उसकी मां ने पिता व उनके दोस्तों के साथ खुर्सीपार थाने में जाकर मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पीड़िता घर पहुंचीथी तब उसकी माता ने उसके कहां चले जाने  के बारे में पूछा था। 

न्यायालय ने मामले में विचारण में पाया कि अभियुक्त प्रदीप कुमार गौतम और संतोष कुमार के द्वारा लगभग 10 वर्ष  की अवयस्क बालिका को उसके विधिक संरक्षक के संरक्षकत्व से उसकी सहमति के  व्यपहरण कारित  किया तथा उसकी मां के पास छोड़ देंगे बोलकर मोटरसाइकिल में बिठा कर अभियोक्त्री को सेंट जैसी चीज सुंघा कर उसके साथ एक से अधिक बार सामूहिक बलात संग एवं गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला कारित  किया। अभियोक्त्री को उक्त अपराध के समय  से ही मानसिक और शारीरिक पीड़ा को भुगतना पड़ा है जिसकी कल्पना करना भी असहनीय है। न्यायालय के द्वारा अभियुक्त  को भारतीय दंड संहिता की  धारा 366 के तहत 3 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹100 अर्थदंड तथा अर्थदंड नहीं पटाने पर 1 माह की अतिरिक्त सजा और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012  के मामले में आजीवन सश्रम कारावास तथा ₹50000 का अर्थदंड व अर्थदंड नहीं पटाने पर एक साल  की सजा सुनाई गई है। यह दोनों सजाएं एक साथ चलेगी।

न्यायालय के द्वारा इस मामले में आरोपी के गंभीर कृकृत्य के मद्देनजर यह माना गया कि अपराध की प्रवृत्ति को दृष्टिगत रखते हुए दंड के प्रति नरम रुख अपनाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। अभियुक्त के द्वारा 10 वर्ष से कम उम्र की अवयस्क बालिका अभियोक्त्री के साथ लैंगिक संभोग कर बलातसंग एवम गुरुत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला का अपराध कारित किया गया है। बालकों के प्रति दैनिक अपराधों की बढ़ती घटनाएं, गंभीर निंदनीय होने के साथ समाज के व्यवस्था के प्रति अपराध की श्रेणी में आने वाला गंभीरतम अपराध है। ऐसे अपराध से बालक की सुरक्षा और प्रतिष्ठा धूमिल होने के साथ ही ऐसा जघन्य अपराध उसके जीवन एवं भविष्य को भी कुंठित एवं प्रभावित करने वाला है। समाज का यह नैतिक कर्तव्य है कि बालकों के हितों का संरक्षण करें अभियुक्त का कृत्य  न केवल राज्य के प्रति अपराध है बल्कि समाज के प्रति अपराध है।

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पक्ष रखा।