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राज्यों को आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर कड़ी नजर रखने को कहा गया, ताकि कोई भी जमाखोरी, कालाबाजारी न कर सके

    कोई मिल कारोबारी, थोक विक्रेता या फुटकर विक्रेता कोविड की परिस्थितियों का अनुचित फायदा उठाकर जमाखोरी करता है तो राज्यों द्वारा अनिवार्य ...

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 कोई मिल कारोबारी, थोक विक्रेता या फुटकर विक्रेता कोविड की परिस्थितियों का अनुचित फायदा उठाकर जमाखोरी करता है तो राज्यों द्वारा अनिवार्य वस्तु अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाए: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल

नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज़।
देश में वस्तुओं की कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। अभी कोरोना संकट के समय में वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी तथा उसे काफी अधिक मूल्य पर बेचने की शिकायतें बढ़ती जा रही है।इसके मद्देनजर केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कहा है कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए।वस्तुओं की कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी को रोकने के लिए अतिरिक्त स्टाक रखे जाने पर भी जोर दिया जा सकता है।

उपभोक्ता मामले,  खाद्य एवं सार्वजनिक वितरणरेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री  पीयूष गोयल ने  अधिकारियों से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर कड़ी नजर रखने को कहा है। मंत्री ने उपभोक्ता मामलों के विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि असामान्य रूप से कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने और कीमतों को स्थिर रखने के लिए एक बफर (अतिरिक्त संग्रह) बनाने के लिए जरूरी खाद्य वस्तुओं का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखा जाए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि कोई मिल कारोबारीथोक विक्रेता या खुदरा विक्रेता कोविड की परिस्थिति का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश करता है और वह आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी करता है तो राज्यों द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधान लागू किए जाएं।

वे आज  राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रण में रखने के प्रावधानों की समीक्षा कर रहे थे।

उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मामले विभाग 34 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के 157 केंद्रों से कीमतों के बारे में आंकड़े एकत्र करता है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से सभी 22 आवश्यक वस्तुओंविशेष रूप से दालोंतिलहनसब्जियों और दूध की कीमतों की निगरानी करने और किसी भी असामान्य मूल्य वृद्धि के शुरुआती संकेतों पर नजर रखने की उम्मीद की जाती है। ताकि समय पर हस्तक्षेप किया जा सके और उपभोक्ताओं को किफायती कीमतों पर खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो सके।