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कृषि में नवाचार की उड़ान: ड्रोन तकनीक से प्रिसीजन फार्मिंग

  भिलाई. असल बात news.   स्वामी स्वरूपानंद  महाविद्यालय, द्वारा आयोजित एफडीपी में विशेषज्ञो ने साझा किया अनुभव ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा प्रायोजि...

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भिलाई.

असल बात news.  

स्वामी स्वरूपानंद  महाविद्यालय, द्वारा आयोजित एफडीपी में विशेषज्ञो ने साझा किया अनुभव ए.आई.सी.टी.ई. द्वारा प्रायोजित स्वामी श्री स्वरूपानंद महाविद्यालय में आयोजित अटल  संकाय विकास कार्यक्रम “कृषि प्रौद्योगिकी और खाद्य प्रसंस्करण में तकनीकी नवाचार” के ग्यारहवें बारहवें  एवं तेरहवें सत्र  का सफल आयोजन किया गया।

ग्यारहवें सत्र में सुश्री सुजाता वर्मा, निदेशक एवं सीईओ, आर्गस एम्बेडेड सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड ने “स्मार्ट और सतत कृषि” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि सेंसर टेक्नोलॉजी, स्मार्ट ग्रीनहाउस और रोबोटिक्स जैसे नवाचार कृषि को अधिक कुशल, टिकाऊ और पर्यावरण–अनुकूल बना सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सतत कृषि केवल उत्पादन बढ़ाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और किसानों की आय वृद्धि का सशक्त साधन है।

बारहवें सत्र में डॉ. योगेश नर्खेड़े, टेक्निकल मार्केटिंग मैनेजर, चैतन्य ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज, मल्कापुर, महाराष्ट्र ने “अभिनव कृषि विपणन  विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म, ब्लॉकचेन आधारित ट्रेसेबिलिटी, ब्रांडिंग रणनीतियाँ, इको–फ्रेंडली पैकेजिंग और वैश्विक बाजार विस्तार जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि एफ.पी.ओ., स्थायित्व आधारित विपणन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को जोड़कर किसानों और उद्यमियों को कैसे नए अवसर प्रदान किए जा सकते हैं।

तेरहवें सत्र  में श्री गौतम कुमार हलदार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पिकैग एनर्जी, भिलाई, छत्तीसगढ़, जिन्होंने “सटीक कृषि और फसल निगरानी के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।उन्होंने अपने व्याख्यान में बताया कि आधुनिक ड्रोन तकनीक कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला रही है। ड्रोन के माध्यम से फसल की वास्तविक समय पर निगरानी, रोग और कीटों का शीघ्र पता लगाना, प्रिसीजन स्प्रेइंग तथा संसाधनों का अनुकूल उपयोग संभव हो पा रहा है। इस तकनीक के उपयोग से न केवल उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि कीटनाशकों का अति-प्रयोग घटाकर मिट्टी एवं पर्यावरण की सुरक्षा भी की जा सकती है।

सभी सत्रों में विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों की शंकाओं का समाधान किया तथा व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से जटिल विषयों को सरलता से समझाया।

प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि “ऐसे व्याख्यान शिक्षकों और शोधार्थियों को आधुनिक तकनीकों और वैश्विक दृष्टिकोण से जोड़ते हैं।” उन्होंने कहा कि “ड्रोन तकनीक किसानों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से खेती करने का नया आयाम प्रदान कर रही है।”

सह-समन्वयक श्रीमती रुपाली खर्चे , विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर विज्ञान ने सत्र का संचालन करते हुए विशेषज्ञों  का स्वागत किया। उन्होंने प्रतिभागियों को सत्र की रूपरेखा से अवगत कराया और कार्यक्रम को गरिमामय ढंग से आगे बढ़ाया।

डा. मोनिषा शर्मा एवं डा. दीपक शर्मा, निदेशक, श्री शंकराचार्य एजुकेशनल कैंपस, हुडको, ने कहा कि “ऐसी तकनीकें हमारे राज्य को कृषि नवाचारों के मानचित्र पर अग्रणी बना सकती हैं।” 

कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. शमा अफ़रोज़ बेग ने दोनों संसाधन व्यक्तियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “इन सत्रों ने प्रतिभागियों को व्यवहारिक दृष्टिकोण और नवाचार–आधारित समाधान प्रदान किए हैं।” उन्होंने कहा कि “आपका मार्गदर्शन हमारे प्रतिभागियों के लिए प्रेरणादायी रहा और कृषि में प्रौद्योगिकी आधारित नए अवसरों के द्वार खोले हैं।”

अंत में सुश्री योगिता लोखंडे, सहायक प्राध्यापक, सूक्ष्मजीवविज्ञान विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। 

कार्यक्रम का संचालन एफ.डी.पी. टीम श्री शांतुनु बनर्जी, श्री जमुना प्रसाद, श्रीमती श्रीलता नायर, सुश्री संतोषी चक्रवर्ती, श्रीमती मोनिका मेश्राम, सुश्री सीमा राठौड़, सुश्री निकिता देवांगन, सुश्री सुरभि श्रीवास्तव  द्वारा किया गया और देश के विभिन्न भागों से जुड़े प्रतिभागियों ने सत्र को सफल बनाया।