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बस्तर दशहरा की परंपरा पर मंडराया संकट, नक्सल मोर्चे पर सुरक्षाबलों को मिली बड़ी सफलता, पत्नी निकली पति की हत्यारिन, एनएमडीसी स्कूलों में फीस को लेकर विवाद गहराया

  जगदलपुर। 610 वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक बस्तर दशहरा की परंपरा इस बार संकट में है। रथ निर्माण के लिए हर वर्ष जंगल से विशेष लकड़ियां लाई ज...

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 जगदलपुर। 610 वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक बस्तर दशहरा की परंपरा इस बार संकट में है। रथ निर्माण के लिए हर वर्ष जंगल से विशेष लकड़ियां लाई जाती हैं, लेकिन इस बार तिरिया गांव की ग्राम सभा ने जंगल से लकड़ी काटने पर रोक लगा दी है। ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण का हवाला देते हुए परंपरा में हस्तक्षेप किया है। इससे रथ निर्माण की प्रक्रिया ठप हो गई है। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए समाधान के प्रयास तेज किए हैं। साथ ही मांझी-चालकों व पुजारियों ने साल में एक बार मानदेय मिलने पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पहले की तरह हर महीने भुगतान किया जाए। वहीं बस्तर को बिलासपुर ज़ोन में शामिल करने की मांग भी उठी है। लोग इसे विकास की दृष्टि से जरूरी मान रहे हैं।


कोंडागांव : बस्तरिया बीयर’ की बढ़ती लोकप्रियता


कोंडागांव में छिंद पेड़ से निकाला गया रस ‘बस्तरिया बीयर’ के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है। यह रस पूरी तरह प्राकृतिक और मादकता रहित होता है। इसका सेवन शरीर को ठंडक देता है और लोग इसे परंपरागत पेय के रूप में अपना रहे हैं। हजारों लीटर रस ग्रामीण निकालकर बाजार में बेच रहे हैं। इससे उन्हें आमदनी का नया स्रोत मिला है। वहीं दूसरी ओर इंद्रावती नदी के जलस्तर में गिरावट आई है। बीते दिनों भारी बारिश से नदी उफान पर थी। अब जलस्तर सामान्य होने से आसपास के गांवों को राहत मिली है। प्रशासन ने अलर्ट में ढील दी है। फिर भी सतर्कता बरतने की अपील की गई है।




दंतेवाड़ा : नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता


दंतेवाड़ा में नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है। यहां 30 लाख रुपये के इनामी नक्सली समेत आठ माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। इनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास नीति के तहत सहायता दी जाएगी। पुलिस की लगातार कार्रवाई और विश्वास निर्माण कार्यक्रमों का यह सकारात्मक परिणाम है। वहीं, भगवान श्रीकृष्ण पर आपत्तिजनक पोस्ट वायरल होने से आक्रोश फैला। धर्म की भावना आहत करने पर पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज की। सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने शांति बनाए रखने की अपील की है।नारायणपुर : 21 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण


नारायणपुर में 21 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर शांति की राह चुनी। इनमें 13 इनामी नक्सली भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण के समय सभी ने हिंसा छोड़ समाज की मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई। पुलिस और प्रशासन ने इन्हें पुनर्वास नीति के तहत 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी। आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षा भी उपलब्ध कराई गई है। अधिकारियों ने इसे बड़ी सफलता बताया है। साथ ही जिले में ‘बेटी सुरक्षा माह’ के अंतर्गत जागरूकता अभियान भी चलाया गया। बालिकाओं को आत्मरक्षा, साइबर सुरक्षा और कानूनी अधिकारों की जानकारी दी गई। छात्राओं ने अभियान में उत्साह से भाग लिया।


दंतेवाड़ा : पत्नी ने ही पति को उतारा था मौत के घाटबीजापुर में हत्या के एक मामले में पुलिस को चौंकाने वाला मोड़ मिला। जांच में सामने आया कि आरोपी की पत्नी ही असली अपराधी है। उसने साजिशपूर्वक पुलिस को गुमराह किया था। पुलिस ने 8 दिन की जांच के बाद महिला को गिरफ्तार कर लिया। यह महिला अपराधों की जाँच में सतर्कता का उदाहरण बना। दूसरी ओर, जिले के दादरगुड़ जलाशय में बांस राफ्टिंग की मांग जोर पकड़ रही है। पर्यटक स्थल को विकसित कर रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जल्द पहल की मांग की है।


सुकमा : एनएमडीसी स्कूलों में फीस विवाद


सुकमा जिले में एनएमडीसी संचालित स्कूलों में फीस विवाद गहराया है। सामान्य वर्ग से 65 रुपये प्रति परीक्षा शुल्क लिया जा रहा है, जबकि बीपीएल वर्ग को छूट दी गई है। इस असमानता को लेकर अभिभावक नाराज़ हैं। उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण और अनुचित बताया है। वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खस्ताहाल सड़कों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। गड्ढों से भरे राजमार्गों पर पैदल मार्च निकालकर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सड़कें जानलेवा बन चुकी हैं। उन्होंने तत्काल मरम्मत की मांग की है। प्रशासन ने जांच के बाद मरम्मत कार्य शीघ्र शुरू करने का आश्वासन दिया है।


कांकेर : मंत्रिमंडल में कम प्रतिनिधित्व पर नाराजगी


कांकेर जिले से बस्तर के मंत्रिमंडल में कम प्रतिनिधित्व को लेकर असंतोष सामने आया है। चुनावों के दौरान बस्तर को महत्व देने के वादे किए गए थे। लेकिन नई सरकार में क्षेत्र से केवल दो या तीन ही मंत्री बनाए गए हैं। स्थानीय नेताओं और जनता में इस बात को लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि बस्तर की जनसंख्या और भूगोल के अनुसार अधिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यह क्षेत्र लंबे समय से उपेक्षा का शिकार रहा है। लोग चाहते हैं कि बस्तर को शासन में भागीदारी देकर विकास को नई दिशा दी जाए। मांग की जा रही है कि मंत्रीमंडल में फेरबदल कर संतुलन बनाया जाए।