अंतर्राष्ट्रीय –राष्ट्रीय विशेषज्ञों की सहभागिता के साथ तकनीकी नवाचारों से सुसज्जित कृषि पर मंथन भिलाई . असल बात news. स्वामी श्री स्व...
अंतर्राष्ट्रीय –राष्ट्रीय विशेषज्ञों की सहभागिता के साथ तकनीकी नवाचारों से सुसज्जित कृषि पर मंथन
भिलाई .
असल बात news.
स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, भिलाई में कंप्यूटर साइंस एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग द्वारा एआईसीटीई] नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित–अटल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन समारोह डा. ए. एम. देशमुख, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी, भारत के मुख्य आतिथ्य एवं डा. गौरव शाह , प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वीएनएसजीयू, सूरत के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।
समापन समारोह का शुभारंभ श्रीमती श्रीलता नायर सहायक प्राध्यापक, कंप्यूटर साइंस विभाग, द्वारा मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के स्वागत एवं परिचय से किया गया। तत्पश्चात् उन्होंने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की समन्वयक डा. शमा अफ़रोज़ बेग, विभागाध्यक्ष, सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुये कहा कि यह छह दिवसीय अटल एफडीपी वास्तव में ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार का संगम रहा। इस कार्यक्रम में आयोजित 13 सत्रों ने प्रतिभागियों को कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के नवीनतम आयामों से जोड़ा। देश-विदेश से पधारे प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यानों के माध्यम से पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी, स्मार्ट पैकेजिंग, आई.ओ.टी. अनुप्रयोग, ड्रोन तकनीक, उद्यमिता, क्लाइमेट-स्मार्ट इनोवेशन और सतत कृषि पद्धतियों जैसे विषयों पर गहन मार्गदर्शन दिया।
उन्होंने कहा कि इस एफडीपी में भारत के विभिन्न राज्यों से 106 प्रतिभागियों की सक्रिय सहभागिता इस बात का प्रमाण है कि शिक्षण और अनुसंधान का यह मंच प्रतिभागियों की जिज्ञासा, सीखने की इच्छा और नवाचार की भावना को नई दिशा देने में सफल रहा है। प्रश्नोत्तर और चर्चाओं के माध्यम से प्रतिभागियों ने न केवल अपने ज्ञान का विस्तार किया, बल्कि कृषि और खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए व्यवहारिक दृष्टिकोण भी प्राप्त किया। डॉ. बेग ने अंत में कहा कि इस प्रकार के राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम न केवल शिक्षकों और शोधार्थियों को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराते हैं, बल्कि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रसर होने की प्रेरणा भी प्रदान करते हैं।
मुख्य अतिथि डॉ. ए. एम. देशमुख ने अपने उद्बोधन में महाविद्यालय, प्राचार्य, प्रबंधन तथा संपूर्ण एफडीपी टीम को सफल आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि “हम सभी जीवनभर विद्यार्थी ही रहते हैं और इस प्रकार के राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रम हमें नई ऊर्जा, नई दिशा और नवीनतम तकनीकी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।” डॉ. देशमुख ने आगे कहा कि ऐसे प्रयास शिक्षा और शोध को न केवल सशक्त बनाते हैं बल्कि प्रतिभागियों को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देते हैं। उन्होंने यह भी सराहा कि इस एफ.डी.पी. में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं को आमंत्रित कर प्रतिभागियों को विविध दृष्टिकोणों से परिचित कराया गया, जो वास्तव में शिक्षा और शोध की गुणवत्ता को नई ऊँचाइयाँ प्रदान करता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ. गौरव शाह ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए महाविद्यालय, प्राचार्य, प्रबंधन एवं आयोजन समिति को हार्दिक बधाई दी और इस सफल एफडीपी के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। उन्होंने कहा कि “इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम अकादमिक जगत को उद्योग और व्यवहारिक अनुप्रयोगों से जोड़ते हैं। यह न केवल प्रतिभागियों के ज्ञान का विस्तार करते हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी नई ऊँचाई प्रदान करते हैं।” डॉ. शाह ने आगे कहा कि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं द्वारा साझा किए गए विचार और अनुभव प्रतिभागियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायी रहे हैं और भविष्य में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को प्रोत्साहित करेंगे।
प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि तथा सभी आमंत्रित विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि “महाविद्यालय को गर्व है कि हमें ऐसे विद्वान अतिथियों और विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ, जिनके अनुभव और ज्ञान से हमारे शिक्षकों एवं शोधार्थियों को समृद्धि मिली है।” उन्होंने कहा “ऐसे कार्यक्रम शिक्षकों और शोधार्थियों को नवीनतम तकनीकों से जोड़ते हैं तथा उन्हें अनुसंधान और नवाचार के नए आयाम प्रदान करते हैं।”आयोजन टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि “समन्वयक, सह-समन्वयक एवं पूरी टीम की मेहनत और प्रतिबद्धता ने इस कार्यक्रम को सफलता के शिखर तक पहुँचाया है।”
डॉ. मोनिषा शर्मा एवं डा. दीपक शर्मा, निदेशक, श्री शंकराचार्य एजुकेशनल कैंपस, हुडको, ने कहा कि द्य अतिथिगण एवं सभी विशय विशेशज्ञयों के मार्गदर्शन एवं व्याख्यान ने न केवल इस एफडीपी को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं बल्कि प्रतिभागियों को भी अनुसंधान और नवाचार की नई राह दिखलाई है। प्रबंधन ने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी उनके सतत् मार्गदर्शन से संस्थान शैक्षणिक उत्कृष्टता और शोध कार्यों की नई ऊँचाइयों को प्राप्त करता रहेगा।” उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि “यह हमारे संस्थान के लिए गौरव का विषय है कि देशभर से प्रतिभागियों ने इस एफडीपी में सक्रिय सहभागिता की। प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों ने जिस स्तर की शैक्षणिक और व्यवहारिक जानकारी प्रदान की है, वह प्रतिभागियों के लिए निश्चित ही भविष्य की राह आसान करेगी।”
समापन समारोह में सभी आमंत्रित विषय विशेषज्ञों को ऑनलाइन प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। साथ ही प्रतिभागियों ने अपने फीडबैक साझा करते हुए कार्यक्रम की सराहना की। डॉ भावना पांडे, एचओडी बायोटेक्नोलॉजी ने कहा कि “इस कार्यक्रम ने हमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं से जुड़ने का अवसर दिया है, जिससे हमें विशय को एक नये दृष्टिकोण से देखने का अवसर मिलता है। डॉ. युगल किशोर महान्ता, यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एवं टेक्नोलॉजी मेघालय ने कहा कि “इस प्रकार के जीवंत एफडीपी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भविष्य में भी किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षकों और शोधार्थियों को नवीनतम तकनीकों और व्यावहारिक ज्ञान से लगातार जोड़ा जा सके।”वहीं डॉ. लोकनाथ देशमुख आई.टी.एम., रायपुर ने सभी आयोजकों को सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी और इसे एक प्रेरणादायी एवं उपयोगी अनुभव बताया। डॉ.अजय कुमार मनहर, विभागाध्यक्ष, सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, वैशाली नगर महाविद्यालय, भिलाई ने विशेष रूप से आयोजक टीम की सराहना करते हुए कहा कि “कार्यक्रम का समन्वय, समयबद्धता और संरचना अत्यंत अनुकरणीय रही।”
अंत में सह-समन्वयक श्रीमती रुपाली खर्चे ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ. ए. एम. देशमुख एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. गौरव शाह का विशेष आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन और शुभकामनाओं ने इस एफडीपी को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान की है। उन्होंने निदेशक, श्री शंकराचार्य एजुकेशनल कैंपस, हुडको,डॉ. मोनिषा शर्मा एवं डॉ. दीपक शर्मा का भी हृदय से धन्यवाद किया, और कहा कि ईनके सहयोग और प्रेरणा के बिना इस आयोजन की परिकल्पना संभव नहीं थी।प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला के नेतृत्व और सतत प्रोत्साहन को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि उनका मार्गदर्शन ही इस कार्यक्रम की सफलता की आधारशिला रहा। साथ ही, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. शमा अफ़रोज़ बेग के अथक प्रयास और शैक्षणिक दृष्टि ने सभी सत्रों को ज्ञानवर्धक और प्रभावी बनाया।
उन्होंने सभी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विषय विशेषज्ञों का अभिनंदन किया और कहा कि उनके विद्वत्तापूर्ण व्याख्यानों ने प्रतिभागियों को नवाचार, अनुसंधान और व्यावहारिक ज्ञान का अनुपम संयोग प्रदान किया।
देशभर से जुड़े 106 प्रतिभागियों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सक्रिय सहभागिता, जिज्ञासु प्रश्न और सकारात्मक प्रतिक्रिया ने प्रत्येक सत्र को जीवंत बना दिया। अंत में उन्होंने आयोजन समिति के सभी सदस्यों श्री शांतुनु बनर्जी, श्री जमुना प्रसाद, श्रीमती श्रीलता नायर, सुश्री संतोषी चक्रवर्ती, श्रीमती मोनिका मेश्राम, सुश्री सीमा राठौड़, सुश्री निकिता देवांगन और सुश्री सुरभि श्रीवास्तव एवं महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों का विशेष धन्यवाद करते हुए कहा कि –“इस एफडीपी की सफलता हमारे सामूहिक प्रयासों, ज्ञान-साझेदारी और शैक्षणिक प्रतिबद्धता की सच्ची मिसाल है। यह कार्यक्रम न केवल सीखने और सिखाने का मंच रहा, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा भी बना है जो भविष्य में और अधिक नवाचार एवं शोध की राह प्रशस्त करेगा।”


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