छत्तीसगढ़। असल बात news. राजधानी रायपुर में आज राजनीति सरगर्म है. राजनीतिक विश्लेषकों की नजर यहां भाजपा की संगठनात्मक कार्यशाला और इसके सा...
छत्तीसगढ़।
असल बात news.
राजधानी रायपुर में आज राजनीति सरगर्म है. राजनीतिक विश्लेषकों की नजर यहां भाजपा की संगठनात्मक कार्यशाला और इसके साथ संभावित कुछ महत्वपूर्ण बैठकों की और लगी हुई है. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां से कुछ बड़े निर्णय हो सकते हैं. विशेषकर नियुक्तियों के संबंध में. संगठन के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह और प्रदेश प्रभारी नितिन नवीन यहीं हैं, तो इस संभावना को एकदम से अस्वीकार नहीं किया सकता है कि पार्टी यहां से प्रदेश स्तर के कुछ बड़े निर्णय भी ले सकती है विशेषकर नियुक्तियों के संबंध में.
भारतीय जनता पार्टी की संगठनात्मक कार्यशाला कुशाभाऊ ठाकरे परिसर स्थित प्रदेश कार्यालय राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह और प्रदेश प्रभारी नितिन नवीन का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। संगठनात्मक कार्यशाला मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष किरण देव, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जम्वाल, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय की उपस्थिति में शुरू हो गई है.कार्यशाला से पहले सभी वरिष्ठ नेताओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' कार्यक्रम का श्रवण किया.
संगठनात्मक कार्यशाला में प्रदेश अध्यक्ष किरण देव, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुश्री सरोज पांडेय, सुश्री लता उसेंडी, केंद्रीय मंत्री तोखन साहू, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय सहित भाजपा पदाधिकारी उपस्थित हैं।
यह तो पार्टी की संगठनात्मक कार्यशाला चल रही है. कार्यशाला में हो सकता है कि कुछ प्रशिक्षण का विषय हो. लेकिन राजनीतिक विश्लेशको की इस और नजर लगी हुई है कि कार्यशाला में प्रदेश में सरकार को चलाने को लेकर क्या कुछ टिप्स दिए जाएंगे. मंत्रियों को किसी विशेष योजना को आगे बढ़ाने के लिए कहा जाएगा. सरकार तथा आम जनता के बीच दूरियों को कम करने के लिए क्या कुछ विशेष बातें की जाएंगी. इसके साथ इस ओर भी सबका ध्यान लगा हुआ है कि प्रदेश में सत्ता और संगठन में अभी, जो कई नियुक्तियां लंबे समय से शेष हैं क्या उनके बारे में भी वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में कुछ बातें होने जा रही है .
देखा जाए तो प्रदेश में अभी मंत्रिमंडल में जो रिक्त सिटी थी उसको पूरा कर लिया गया है. कुछ दिनों पहले ही तीन नए मंत्रियों की नियुक्ति की गई है और उसके बाद में यहां मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है. इस तरह से मंत्रिमंडल के रिक्त सदस्यों की संख्या को तो पूरा कर लिया गया है लेकिन, अभी बातें की जाए तो राज्य में संसदीय सचिवों की जगह रिक्त है. यह संभावना है कि कम से कम 13 संसदीय सचिव बनाए जाएंगे. ऐसी संभावना को देखते हुए कई विधायक इस पद पर नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, जापान और दक्षिण कोरिया इत्यादि देशों की यात्रा के बाद कल ही यहां वापस लौटे हैं. उसके दूसरे दिन से संगठन के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में महत्वपूर्ण बैठक हो रही है.
यहां बात सिर्फ संसदीय सचिवों के नियुक्तियां की नहीं है, अभी कुछ निगम आयोग और मंडलों में भी पद रिक्त हैं, जिन पर पर भी नियुक्तियां की जानी है. पार्टी में भी कई स्तर पर नियुक्तियां की जानी है.
भाजपा अपने कार्यक्रमों को अंतिम इकाई तक लेकर जाएगी
इधर इन चचाओं के बीच अभी-अभी भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किरण सिमह देव ने पत्रवार्ता लेकर कहा है कि प्रदेश भाजपा में संगठन इकाइयों का अभी नए सिरे से गठन हुआ है। मंडल, जिला व प्रदेश इकाइयों का गठन हो चुका है। भाजपा अब आगामी दिनों में अपने कार्यक्रमों को लेकर कार्यकर्ताओं के माध्यम से व्यवस्थित रूप से अंतिम इकाई तक लेकर जाएगी और इस दृष्टि से यह कार्यशाला रखी गई है। इसके बाद अब जिला स्तर पर भी इसी तरह की कार्यशालाएँ रखी जाएंगीं जिसमें वक्तागण विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन करेंगे। भाजपा वर्षभर संगठनात्मक स्तर पर विभिन्न विषयों को लेकर कार्यक्रम करती है। श्री देव ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता वर्षों से पार्टी के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में अपनी सहभागिता निभा रहे हैं।
किन जिलों से मिल सकती है संसदीय सचिवों को जगह..?
भारतीय जनता पार्टी नए चेहरों पर फोकस कर रही है। अगर यहां छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल को देखा जाए तो, उसमें चार मंत्रियों को छोड़कर सारे नए मंत्री शामिल हो गए हैं. अभी 3 नए मंत्री बनाए गए जिसमें सभी नए चेहरों को जगह दी गई है. ऐसे में नए संसदीय सचिवो की जो संभावना बन रही है उसमें भी नए विधायकों को जगह मिलने की अधिक संभावना है। वैसे भाजपा के विधानसभा सदस्यों को देखा जाए तो उसमें लगभग 12 को छोड़कर सभी नए विधायक हैं. अब पुराने अनुभवी विधायक संसदीय सचिव तो नहीं बनने वाले हैं.राजनीतिक गालियारे में अभी सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिन जिलों से अभी 3 नए मंत्री बनाए गए हैं क्या वहां से भी किसी को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है. अगर भाजपा के कामकाज के तरीके को देखा जाए तो उसकी संभावना काफी कम नजर आती है. एक बात यह भी उल्लेखनीय है कि कई विधायकों को विभिन्न निगम, आयोग, मंडल में पद देकर संतुष्ट करने की कोशिश की गई है. लेकिन इस बारे में यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि आरंग के विधायक खुशवंत साहिब को अनुसूचित जाति प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है और अब उन्हें मंत्रिमंडल में भी जगह दे दी गई है. हो सकता है कि आगे चलकर दुर्ग जिले के अहिवारा से विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा अथवा पुन्नूलाल मोहले में से किसी को अनुसूचित जाति प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दे दी जाय. राजनीतिक गलियारे में एक सवाल यह भी जमकर उछल रहा है कि कई पुराने चेहरे जो पहले 15 वर्षों में लंबे समय तक मंत्री रह चुके हैं उनमें से भी क्या किसी को कोई पद देकर संतुष्ट करने की कोशिश की जाएगी. हालांकि, अब इसकी संभावना काफी कम दिख रही है.
संसदीय सचिव के पद पर नियुक्तियों की बात करें तो इसमें रायपुर जिले से पुरंदर मिश्रा अथवा अनुज शर्मा की दावेदारी काफी मजबूत नजर आती है. विधायक पुरंदर मिश्रा की दावेदारी और अधिक मजबूत इसलिए हो जाती है क्योंकि वह उड़िया समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. बेमेतरा जिले से दीपेश साहू को भी संसदीय सचिव बनाये जाने की संभावना प्रबल हो रही है.
अन्य जो नाम है इनमें से यह विधायक बन सकते हैं संसदीय सचिव
प्रेम नगर - फूलन सिंह मरावी
प्रतापपुर -श्रीमती शकुंतला सिंह पोर्ते
सांमरी -श्रीमती उद्धेश्वरी पैकरा
लुंडरा -प्रबोध मिंज
सीतापुर -रामकुमार टोप्पो
जयपुर -श्रीमती रायमुनि भगत
पत्थलगांव -श्रीमती गोमती साय
मरवाही -प्रणव कुमार
बेलतरा -सुशांत शुक्ला
महासमुंद -योगेश्वर राजू सिन्हा
राजिम -रोहित साहू
पंडरिया -श्रीमती भावना बोहरा
केशकाल -नीलकंठ टेकाम
दंतेवाड़ा -चेतराम अराम
कांकेर -आसाराम नेताम ( में से कोई )
यहां कहा जा सकता है की संसदीय सचिवों की नियुक्तियों के बाद प्रदेश की सरकार, सरपट दौड़ने लगेगी.