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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वित्‍त वर्ष 2024-25 में राज्‍य सरकारों और बीमा प्रदाताओं की हिस्‍सेदारी क्रमश: 24 तथा 15 प्रतिशत हो चुकी है, ज...

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

वित्‍त वर्ष 2024-25 में राज्‍य सरकारों और बीमा प्रदाताओं की हिस्‍सेदारी क्रमश: 24 तथा 15 प्रतिशत हो चुकी है, जबकि यह 2020-21 में 20 और 11 प्रतिशत थी। इसके अलावा, इन उपायों ने प्रीमियम की दरों में पहले के वर्षों की तुलना में 32 प्रतिशत की कमी सुनिश्चित की है। इसके परिणामस्‍वरूप, वित्‍त वर्ष 2024 नामांकन कराने वाले किसानों की संख्‍या 4 करोड़ तक पहुंच गई जो 2023 में 3.17 करोड़ थी। यह संख्‍या 26 प्रतिशत की बढ़त दर्शाती है। वित्‍त वर्ष 2024 में बीमा के तहत कवर किया गया क्षेत्र 600 लाख हेक्‍टेयर तक पहुंच चुका है, जो 19 प्रतिशत की वृद्धि है, क्‍योंकि यह आंकड़ा वित्‍त वर्ष 2023 में 500 लाख हेक्‍टेयर था।

पीएम-किसान और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना

सरकार की योजनाएं जैसे किसानों को सीधे धनराशि अंतरित करने वाली पीएम-किसान तथा किसानों को पेंशन की सुविधा प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सफलतापूर्वक किसानों की आमदनी बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है और उनकी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं। पीएम-किसान योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक किसानों ने लाभ उठाया है और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अंतर्गत 23 लाख 61 हजार किसानों ने स्‍वयं का नामांकन कराया है। इन योजनाओं के अलावा कई अन्‍य प्रयास किए जा रहे हैं। ओएनओआरसी पहल के अंतर्गत ई-केवाईसी सुविधा और ई-एनडब्‍ल्‍यूआर वित्‍तीय व्‍यवस्‍था के लिए ऋण गांरटी योजना कृषि क्षेत्र को सशक्‍त बनाने में एतिहासिक भूमिका निभा रहे हैं।

क्रम

सख्या

 

फसलें

सामान्य क्षेत्र (डीईएस)

(2018-19 -

2022-23)

 

बोया गया क्षेत्र

वर्तमान वर्ष 2024-25

पिछला वर्ष 2023-24

1

गेहूँ

 

312.35

320.00

315.63

2

चावल

 

42.02

26.20

26.14

3

दालें

 

140.44

141.69

139.29

चना

 

100.99

98.28

95.87

मसूर

 

15.13

17.43

17.76

मटर

 

6.50

8.94

8.98

कुल्थी

1.98

3.13

3.13

उड़द की दाल

 

6.15

5.12

5.12

मूंग की दाल

 

1.44

1.21

1.08

लैथिरस/ लतरी

 

2.79

3.12

3.32

अन्य दालें

5.46

4.45

4.04

4

       श्री अन्न एवं मोटे अनाज

53.46

54.49

54.63

ज्वार

बाजरे

 

24.37

23.95

25.76

बाजरा

0.37

0.14

0.17

रागी

छोटे बाजरा

 

0.74

0.72

0.68

छोटा बाजरा

0.15

0.16

0.00

मक्का

जौ

 

22.11

22.90

21.32

जौ

 

5.72

6.62

6.71

5

तिलहन

रेपसीड और सरसों

87.02

97.62

101.80

रेपसीड और सरसों

79.16

89.30

93.73

मूंगफली

3.82

3.65

3.42

कुसुम

0.72

0.70

0.71

सूरजमुखी

0.81

0.74

0.43

तिल

0.58

0.20

0.37

अलसी

1.93

2.68

2.84

अन्य तिलहन

0.00

0.35

0.29

कुल

635.30

640.00

637.49

 

*****


लोकसभा में प्रश्नकाल में केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने देश में समग्र कृषि विकास की जानकारी दी


समय पर फसल बीमा क्लेम नहीं देने पर किसानों को मिलेगा 12 प्रतिशत ब्याज- श्री शिवराज सिंह चौहान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय बढ़ाने का अभियान जारी- श्री चौहान

10 वर्षों में फसलों का उत्पादन 246.42 मिलियन टन से बढ़कर 353.96 मिलियन टन- श्री शिवराज सिंह

उर्वरकों पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी दे रही हैं केंद्र सरकार- श्री शिवराज सिंह चौहान

केंद्र सरकार ने एमएसपी दोगुनी की, रिकॉर्ड खरीदी भी हो रही है- केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह

प्रविष्टि तिथि: 29 JUL 2025 6:37PM by PIB Delhi

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लोक सभा में प्रश्नकाल के दौरानदेश में समग्र कृषि विकास की तथ्यों व आंकड़ों सहित विस्तार से जानकारी दी और बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसानों की आय बढ़ाने का अभियान निरंतर जारी है।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए छह उपाय किए गए हैं। पहला– सरकार ने उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। दूसरा– आय बढ़ाने के लिए लागत कम करना। तीसरा– उत्पादन के ठीक दाम सुनिश्चित करना। चौथा– नुकसान की स्थिति में उचित मुआवजे की व्यवस्था। पांचवां– कृषि का विविधीकरणकेवल एक फसल की खेती नहींबल्कि फलोंफूलोंसब्ज़ियोंऔषधियों की खेतीकृषि वानिकीमछली पालनपशुपालनअलग-अलग प्रयत्नों को बढ़ावा देना और छठा– प्राकृतिक खेती और संतुलित उर्वरकों के प्रयोग के साथ भावी पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में फसलों का उत्पादन 246.42 मिलियन टन से बढ़कर अब 353.96 मिलियन टन हो गया है। दलहन उत्पादन 16.38 मिलियन टन से बढ़कर 25.24 मिलियन टन हो गयावहीं तिलहन उत्पादन, 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 42.61 मिलियन टन हो गया है। बागवानी उत्पादन 280.70 मिलियन टन से बढ़कर 367.72 मिलियन टन हो गया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि किसानों द्वारा ही दूध का उत्पादन किया जा रहा है और इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जहां तक किसानों की आय का सवाल हैमैं दावे के साथ कहता हूं कि कई किसानों की आय दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। पूर्व यूपीए सरकार में कृषि बजट 27 हज़ार करोड़ रुपये थाजो बढ़कर अब 1 लाख 27 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पहले थी ही नहीं और अब 10 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधि से लाभान्वित किया जा रहा है। हमें अपने प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर गर्व है। श्री शिवराज सिंह ने कहा कि लगभग 2 लाख करोड़ रुपये उर्वरकों पर केंद्र सरकार सब्सिडी दे रही है। उन्होंने बताया कि पूर्व सरकार में केसीसी और बाकी संस्थागत लोन की राशि मात्र 7 लाख करोड़ रुपये थीजो अब बढ़कर 25 लाख करोड़ रुपये हो गई है। ‘फसल बीमा योजना’ में केंद्र सरकार ने 35 हजार करोड़ रुपये प्रीमियम के मुक़ाबले 1 लाख 83 हजार करोड़ रुपये क्लेम किसानों के खाते में डालने का काम किया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए मैकेनाइजेशन पर सब्सिडी दे रही है। "पर ड्रॉप-मोर क्रॉप" पर किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर दिए जा रहे हैं। पॉलीहाउसग्रीनहाउस टेक्नॉलाजीफल-सब्ज़ियों के उत्पादन से लेकर बाकी सभी चीज़ों में उत्पादन बढ़ाने के प्रयास और ठीक ढंग से ख़रीदने के प्रयास किए जा रहे हैं।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों की आय बढ़ेइसलिए सरकार ने फैसला किया कि लागत में कम से कम 50 प्रतिशत मुनाफ़ा जोड़कर किसानों को एमएसपी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल व्यापक पैमाने पर एमएसपी पर फसलों की खरीद हो रही। नुक़सान की भरपाई की जा रही है। यूरियाडीएपीबाकी उर्वरकसब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैंजिससे किसानों की आय निरंतर बढ़ रही है। कई योजनाएं उन किसानों के लिए चलाई जाती हैजिनके पास कम लैंड होल्डिंग होती है। जो टेनेंट फॉर्मर्स हैंउनके लिए अलग-अलग योजना है। केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अगर जिसके पास स्वामित्व है वो किसानटेनेंट फॉर्मर को अधिकृत कर देते हैं तो फसल बीमा योजना का लाभ उनको मिलता है। पिछले दिनों जो हमारे टेनेंट फॉर्मर्स हैं और जो बटाई पर खेती करते हैंउनको प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ऐसे टेनेंट और शेयर क्रॉपर दोनों मिलाकर शेयर क्रॉपर 6 लाख 55 हजार 846 किसानों को लाभ दिया गया हैवहीं 41 लाख 62 हजार 814 किसानों को लाभ दिया गया है।

किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य 

प्रविष्टि तिथि: 22 JUL 2025 6:11PM by PIB Delhi

सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का विजन अपनाया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक कार्यनीतियों की सिफारिश करने हेतु दिनांक 13 अप्रैल, 2016 को एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था।

भारत सरकार ने किसानों के विकास में वृद्धि करने हेतु निम्नलिखित सात स्रोतों की पहचान की है: -

i. फसल उत्पादकता में वृद्धि

ii. पशुधन उत्पादकता में वृद्धि

iii.  संसाधनो  का उत्तम प्रयोग - उत्पादन लागत में कमी

iv. फसल की सघनता में वृद्धि

v. उच्च मूल्य वाली कृषि में विविधीकरण

vi. किसानों की उपज पर लाभकारी मूल्य

vii. अतिरिक्त जनशक्ति का कृषि से गैर-कृषि व्यवसायों की ओर स्थानांतरण

उपरोक्त सात उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु, भारत सरकार उचित नीतिगत उपायों, बजटीय सहायता और विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों के प्रयासों में सहायता करती है। सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) के बजट आवंटन को वर्ष 2013-14 में 21,933.50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2025-26 में 1,27,290.16 करोड़ रुपये कर दिया है।

भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम उत्पादन में वृद्धि, लाभकारी प्रतिलाभ और किसानों को आय सहायता प्रदान करके किसानों के कल्याण के लिए कार्यरत हैं, जिनका विवरण अनुबंध पर दिया गया है।

यूरोपीय संघ की वेबसाइट के अनुसार (agriculture.ec.europa.eu),  यूरोपीय संघ की समान कृषि नीति (सीएपी) कृषि क्षेत्र और यूरोपीय संघ के नियमों के अनुपालन की शर्तों से जुड़ी है। भारतीय प्रणाली किसानों के कल्याण और खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुसार व्यापक और समावेशी है। पीएम किसान सम्मान निधि के अतिरिक्त, सरकार संबंधित राज्य सरकारों और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के अभिमतों पर विचार करने के पश्चात कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर अधिदेशित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करती है। वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में एमएसपी को उत्पादन लागत के डेढ़ गुना के स्तर पर रखने के पूर्व-निर्धारित सिद्धांत की घोषणा की गई थी। तदनुसार, सरकार ने वर्ष 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत के न्यूनतम मुनाफे के साथ सभी अधिदेशित खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में लगातार वृद्धि की थी।

प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) की समेकित योजना एमएसपी के कार्यान्वयन को सुदृढ़ बनाती है और बाज़ार मूल्य स्थिरीकरण के एक साधन(टूल) के रूप में कार्य करती है। पीएम-आशा में मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), प्राइस डेफेसिट भुगतान योजना (पीडीपीएस) और बाज़ार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) शामिल है।

पीएसएस राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र के अनुरोध पर कार्यान्वित की जाती  है जो अधिदेशित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद पर मंडी कर से छूट देने और वैज्ञानिक भंडारण सुविधा की बुकिंग, खरीद केंद्रों की पहचान, गनी बैग्स की उपलब्धता आदि जैसी व्यवस्था करने के लिए सहमत होता है। किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए इसे निर्धारित अवधि के भीतर तब कार्यान्वित किया जाता है जब कृषि वस्तुओं के बाजार मूल्य चरम कटाई अवधि के दौरान अधिदेशित एमएसपी से नीचे आ जाते हैं। खरीद वर्ष 2024-25 से, पीएसएस के तहत अधिदेशित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को उस विशेष मौसम के लिए राज्य के उत्पादन के अधिकतम 25% तक की मंजूरी दी जाती है। इसके बाद, यदि राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्वीकृत मात्रा की तुलना में समग्र खरीद कर लेता है और उसके बाद भी स्वीकृत मात्रा से अधिक खरीद करने का विचार करता है, तो पीएसएस के तहत खरीद के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय उत्पादन के अधिकतम 25% तक विचार किया जाता है। दलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने में योगदान देने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए, सरकार ने वर्ष 2028-29 तक राज्य के अनुमानित उत्पादन के 100% के बराबर पीएसएस के तहत तुअर, उड़द और मसूर की खरीद की अनुमति दी है।

फसलों और तकनीक हेतु तकनीकी सहायता अनुसंधान संस्थानों द्वारा और अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग के माध्यम से प्रदान की जाती है।

डिजिटल कृषि मिशन देश में एक मजबूत डिजिटल कृषि ईकोसिस्टम को सक्षम बनाता है ताकि नवाचार किसान केंद्रित डिजिटल समाधान प्राप्त हो सके और किसानों को समय पर विश्वसनीय फसल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। मिशन में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्टर जैसे एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली, कॉम्प्रेहेन्सिव सॉइल फर्टिलिटी और प्रोफ़ाइल मैप, और केंद्र सरकार/राज्य सरकारों द्वारा की गई अन्य आईटी पहलों का निर्माण शामिल है। एग्रीस्टैक परियोजना इस मिशन के प्रमुख घटकों में से एक है, जिसमें कृषि क्षेत्र में तीन मूलभूत रजिस्ट्रियां या डेटाबेस, अर्थात, राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा बनाई और रखी गई किसानों की रजिस्ट्री, जियो रेफरेंस्ड विलेज मैप, और फसल बुआई रजिस्ट्री शामिल हैं। इस प्रणाली का उद्देश्य, उभर रही डिजिटल तकनीकों का उपयोग कर कृषि क्षेत्र में अनुप्रयोगों के विकास को बढ़ावा देते हुए, प्रयासों की अंतर-क्षमता और संयोजन को बढ़ाना है।

डिजिटल कृषि मिशन के तहत एक घटक, कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (एनईजीपीए) कार्यक्रम के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एआई/एमएल), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), ब्लॉकचेन आदि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके डिजिटल कृषि परियोजनाओं के लिए राज्य सरकारों को वित्त पोषण दिया जाता है।

एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) के अंतर्गत फसलोपरांत हानि को कम करने और किसानों के प्रतिलाभ में वृद्धि करने के लिए छोटे और सीमांत किसानों तथा बड़े व्यवसायों, एपीएमसी/मंडियों के लिए, कृषि-निर्यात क्लस्टरों में, फार्म-लेवल पर, कोल्ड स्टोरेज को सहायता प्रदान की जाती है। उद्यमी, सहकारी समितियाँ, पीएसीएस और स्वयं सहायता समूह, कोल्ड-चेन लॉजिस्टिक्स की स्थापना के लिए एआईएफ सहायता का सक्रिय रूप से लाभ उठा रहे हैं, जिसे सामान्यतः ग्रेडिंग, सोर्टिंग और पैकेजिंग इकाइयों के साथ एकीकृत किया जाता है। दिनांक 30.06.2025 तक, एआईएफ के अंतर्गत 8258 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के साथ 2454 कोल्ड स्टोरेज परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।

इसके अतिरिक्त, एमआईडीएच के अंतर्गत, फसल और फसलोपरांत हानि को कम करने सहित बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए विभिन्न बागवानी गतिविधियों हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इनमें पैक हाउस, समकेति पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज, रीफर ट्रांसपोर्ट, राइपनिंग चैंबर आदि की स्थापना शामिल है। यह घटक मांग/उद्यमी आधारित है, जिसके लिए संबंधित राज्य बागवानी मिशनों (एसएचएम) के माध्यम से सामान्य क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35% की दर से और पहाड़ी और अनुसूचित क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50% की दर से ऋण-लिंक्ड बैक-एंडेड सब्सिडी के रूप में सरकारी सहायता उपलब्ध है।

सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपीएस)

 नई दिल्ली.

सरकार हर साल कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों एवं संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों से विचार करने के बाद पूरे देश के लिए 22 अनिवार्य कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करती है। सरकार ने एमएसपी खरीद के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली लागू की है।
वर्तमान में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में ऋण माफी की कोई योजना संचालित नहीं है। हालांकि, किसानों को उनकी वित्तीय परेशानियों को संरचित तरीके से दूर करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), पीएम किसान, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) और कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) जैसी अन्य योजनाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की जाती है।

I.  न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) : 2024-25 (जुलाई से जून तक) के दौरान खरीद, किसानों को भुगतान की गई एमएसपी राशि और लाभान्वित किसानों की संख्या का विवरण नीचे दिया गया है।

खरीद (लाख मीट्रिक टन में) (एलएमटी)

किसानों को दी गई एमएसपी राशि
(लाख करोड़ रुपये में)

लाभान्वित किसानों की संख्या (करोड़ रुपये में)

 

 

1,175

 

3.33

 

1.84


खरीद (लाख मीट्रिक टन में) (एलएमटी)  1,175
किसानों को दी गई एमएसपी राशि
(लाख करोड़ रुपये में) 3.33
लाभान्वित किसानों की संख्या (करोड़ रुपये में)

II.  प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना एक केंद्र सरकार की योजना है। इसे प्रधानमंत्री की ओर से फरवरी 2019 में भूमि-धारक किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए शुरू किया गया था।  इस योजना के तहत किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है। लाभार्थियों के पंजीकरण और सत्यापन में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हुए भारत सरकार ने शुरुआत से अब तक 19 किस्तों के माध्यम से 3.69 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है।
III. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) देश में खरीफ 2016 सीजन से शुरू की गई थी। यह योजना प्राकृतिक आपदाओं, प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से उत्पन्न फसल के नुकसान/क्षति से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है और किसानों की आय आदि को स्थिर करती है। 2016 में योजना की शुरुआत के बाद से किसानों ने 35,753 करोड़ रुपये के कुल प्रीमियम का भुगतान किया है और 1.83 लाख करोड़ रुपये (30.06.2025 तक) के दावे प्राप्त किए हैं, जो इसी अवधि के दौरान भुगतान किए गए किसानों के प्रीमियम का लगभग 5 गुना है।

संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस):  सरकार भारत में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) के रूप में जानी जाने वाली 100% केंद्रीय वित्त पोषित केंद्रीय क्षेत्र योजना को लागू कर रही है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से प्राप्त अल्पकालिक कृषि ऋण पर रियायती ब्याज दर प्रदान करना है। पिछले पांच वर्षों के दौरान संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस) के तहत धनराशि के वितरण का विवरण नीचे दिया गया है:

(करोड़ रुपये में)

क्र.सं

वर्ष

धन का वितरण

1

2020-21

17,789.72

2

2021-22

21,476.93

3

2022-23

17,997.88

4

2023-24

14,251.92

5

2024-25

17,811.72

 


V.  कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) भारत सरकार द्वारा 2020 में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इसका उद्देश्य फसल के बाद के व्यवहार्य प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों में निवेश के लिए मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाना है। इस योजना का उद्देश्य देश में फसल कटाई के बाद प्रबंधन बुनियादी ढांचे में मौजूदा कमियों को दूर करके कृषि क्षेत्र में विकास और आधुनिकीकरण को बढ़ावा देना है। एआईएफ के तहत ऋणदाता संस्थाओं के माध्यम से 1 लाख करोड़ रुपये के ऋण का प्रावधान किया गया है, जिसमें ऋण पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा 9% है। संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के उत्पादन के कुल मूल्य के अनुपात के आधार पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 1 लाख करोड़ रुपये का योजना लक्ष्य अस्थायी रूप से आवंटित किया गया है।

30 जून 2025 तक एआईएफ के तहत 1,13,419 परियोजनाओं के लिए 66,310 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं। इन स्वीकृत परियोजनाओं से कृषि क्षेत्र में 107,502 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया गया है। एआईएफ के तहत स्वीकृत प्रमुख परियोजनाओं में 30,202 कस्टम हायरिंग सेंटर, 22,827 प्रोसेसिंग यूनिट, 15,982 गोदाम, 3,703 छंटाई और ग्रेडिंग यूनिट, 2,454 कोल्ड स्टोर परियोजनाएं, लगभग 38,251 अन्य प्रकार की फसल कटाई के बाद प्रबंधन परियोजनाएं और व्यवहार्य कृषि संपत्तियां शामिल हैं।

पीएम-किसान योजना के लिए लाभार्थियों को आधार सीडिंग कराना अनिवार्य (12 अंकों के आधार नंबर को बैंक खाते से जोड़ना होगा)

 नई दिल्ली.

पीएम-किसान योजना केंद्र सरकार की योजना है। इसे प्रधानमंत्री द्वारा फरवरी 2019 में कृषि योग्य भूमि वाले किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए शुरू किया गया था। इस योजना के तहत प्रतिवर्ष प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में स्थानांतरित किए जाते हैं। पीएम-किसान योजना के तहत उच्च आय की स्थिति से संबंधित कुछ अपवादों को छोड़ कर कृषि योग्य भूमि इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्राथमिक पात्रता मानदंड है।

किसान-केंद्रित डिजिटल बुनियादी ढांचे ने यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना का लाभ बिना किसी बिचौलिए की भागीदारी के देश भर के सभी किसानों तक पहुंचे। लाभार्थियों के पंजीकरण एवं सत्यापन में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हुए इस योजना की शुरुआत से अब तक भारत सरकार ने 20 किस्तों में 3.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की है।

पीएम-किसान योजना के लाभ पीएम-किसान पोर्टल पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त सत्यापित आंकड़ों के आधार पर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों को हस्तांतरित किए जाते हैं। किसानों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने और योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए पीएफएमएसयूआईडीएआई और आयकर विभाग के साथ एकीकरण सहित कई तकनीकी उपक्रम शुरू किए गए हैं। इसके अतिरिक्त आधार-आधारित भुगतान और ई-केवाईसी को अनिवार्य बना दिया गया। इससे यह सुनिश्चित करना होता है कि योजना का लाभ किसानों तक निर्बाध रूप से पहुंचे। आंकड़ों में किसी भी विसंगति के मामले में रिकॉर्ड को सुधार के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को वापस भेज दिया जाता है और सही आंकड़े प्राप्त होने पर आगामी रिलीज के साथ इसे तुरंत जारी कर दिए जाते हैं।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि योजना का लाभ लाभार्थियों तक सफलतापूर्वक पहुंचे, 13वीं किस्त (दिसंबर 2022 - मार्च 2023) से पीएम-किसान के तहत लाभ जारी करने के लिए आधार-आधारित भुगतान अनिवार्य कर दिया गया है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि योजना का लाभ लाभार्थी के आधार से जुड़े खाते में स्थानांतरित हो जाए। इससे खाता-आधारित भुगतान की समस्या समाप्त हो गई हैजिसमें बैंक विलय के कारण डेटा प्रविष्टि त्रुटियों और खाता विवरण में परिवर्तन की संभावना रहती थी। इसके परिणामस्वरूप 19वीं किस्त में लेनदेन की सफलता दर 99.92% रही।
यदि अभी भी कोई असफल लेनदेन होता है तो इसे समय-समय पर पुनः संसाधित किया जाता है। लेन-देन की विफलता के प्रमुख कारणों में बैंक द्वारा एनपीसीआई मैपर से आधार संख्या को अलग करनाखाता संख्या में आधार की मैपिंग न करना और खाता बंद करना शामिल हैं। ऐसे मामलों में किसानों और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को त्रुटि सुधार और उनकी ओर से लंबित मामलों को लेकर सूचित किया जाता है। जैसे ही त्रुटि ठीक हो जाती हैआगामी रिलीज के साथ योजना का लाभ मिल जाता है।

पीएम-किसान योजना के तहत किसानों के समक्ष आने वाली समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित शिकायत निवारण तंत्र लागू हैं :

  • सीपीजीआरएएमएस पोर्टल
  • पीएम किसान पोर्टल
  • वास्तविक रसीदें और ईमेल


शिकायत निवारण को और बेहतर बनाने के लिए एआई-आधारित किसान ई-मित्र चैटबॉट को सितंबर 2023 में लॉन्च किया गया। यह चैटबॉट किसानों के प्रश्नों का चौबीसों घंटे उनकी मूल भाषा में त्वरितसटीक और स्पष्ट उत्तर प्रदान करता हैजिससे यह प्रणाली अधिक सुलभ और उपयोग करने वाले के अनुकूल बन जाती है। यह वेबमोबाइल आदि सभी प्लैटफॉर्मों पर उपलब्ध है।

उर्वरकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए अभियान

प्रविष्टि तिथि: 01 AUG 2025 4:32PM by PIB Delhi

भारत सरकार ने उर्वरकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु एक अभियान शुरू करने हेतु राज्यों को निर्देश/निर्देश जारी किए हैं। इस अभियान का उद्देश्य किसानों को पर्याप्त मात्रा में गुणवत्तापूर्ण उर्वरक उपलब्ध कराना है। सरकार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए मूल्यांकन के आधार पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराती है। यह सुनिश्चित करना राज्यों की जिम्मेदारी है कि किसानों को उचित स्थान पर और आवश्यकता पड़ने पर पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध हों।

उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ), 1985, निर्धारित मानकों के अनुरूप न होने वाले किसी भी उर्वरक के निर्माण/आयात/बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लगाता है। एफसीओ के तहत राज्य सरकारों को उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है। राज्य सरकारें नकली और निम्न स्तर के उत्पादों की जाँच के लिए निरीक्षण और नमूना संग्रह के माध्यम से उर्वरकों के निर्माण और बिक्री की नियमित निगरानी करती हैं।

सरकार राज्य सरकारों द्वारा की गई प्रवर्तन कार्रवाई की नियमित निगरानी कर रही है। अप्रैल, 2025 से 25 जुलाई, 2025 की अवधि के दौरान, देश भर में कई छापे मारे गए हैं, जिनमें 5,302 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए, 2,172 लाइसेंस निलंबित/रद्द किए गए और चूककर्ताओं के विरुद्ध 170 प्राथमिकी दर्ज की गईं।

कृषि में संरचनात्मक समस्याओं के समाधान के लिए सुधारात्मक कदम 

 नई दिल्ली.

सरकार भारतीय कृषि को एक टिकाऊ उत्पादन प्रणाली बनाने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) का कार्यान्वयन कर रही है। कृषि में अनुकूलन प्राप्त करने के लिए एनएमएसए के तहत कई योजनाएं शुरू की गई हैं। प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना लघु सिंचाई तकनीकों यानी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धतियों के माध्यम से फील्ड स्तर पर जल के उपयोग की क्षमता को बढ़ाती है। वर्षा सिंचित क्षेत्र विकास, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तनशीलता से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए समेकित कृषि प्रणाली पर केंद्रित है। मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता योजना, मृदा स्वास्थ्य और उसकी उत्पादकता में सुधार के लिए जैविक खादों और जैव-उर्वरकों के साथ द्वितीयक और सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित रासायनिक उर्वरकों के समुचित उपयोग के माध्यम से समेकित पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा देने में राज्यों की सहायता करती है। बागवानीकृषि वानिकी के समेकित विकास मिशन और राष्ट्रीय बांस मिशन भी कृषि में जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देते हैं। जैविक खेती को परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन (एमओवीसीडीएनईआर) जैसी योजनाओं द्वारा सहायता दी जा रही है। पीकेवीवी पूर्वोत्तर (एनई) राज्यों के अलावा अन्य सभी राज्यों में कार्यान्वित की जा रही हैजबकि एमओवीसीडीएनईआर का कार्यान्वयन केवल पूर्वोत्तर राज्यों में  किया जा रहा है। ये योजनाएं जैविक किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करणप्रमाणीकरण और विपणन तकक्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण में, जहां छोटे और सीमांत किसानों को प्राथमिकता दी जाती है, शुरुआत से अंत तक सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिएराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली ने पिछले 10 वर्षों (2014-2024) के दौरान 2900 किस्में जारी की हैं। इनमें से 2661 किस्में एक या एक से अधिक जैविक और/या अजैविक दबाव सहने योग्य हैं। जलवायु अनुकूलन प्रौद्योगिकियां जैसे चावल गहनता प्रणालीएरोबिक राइसचावल की सीधी बुवाईजीरो टिल गेहूं की बुवाईसूखे और गर्मी जैसी मौसम की चरम स्थितियों को सहन करने वाली जलवायु अकूलन किस्मों की खेतीचावल के अवशेषों का इन-सीटू समावेशनआदि का विकास और प्रदर्शन किया गया हैं।

पीएम किसान सम्मान निधि पोर्टल

 नई दिल्ली.

पीएम-किसान योजना केंद्र सरकार की योजना है। इसे प्रधानमंत्री द्वारा फरवरी 2019 में कृषि योग्य भूमि वाले किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए शुरू किया गया था। इस योजना के तहत प्रतिवर्ष प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में स्थानांतरित किए जाते हैं। पीएम-किसान योजना के तहत उच्च आय की स्थिति से संबंधित कुछ अपवादों को छोड़ कर कृषि योग्य भूमि इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्राथमिक पात्रता मानदंड है।

किसान-केंद्रित डिजिटल बुनियादी ढांचे ने यह सुनिश्चित किया है कि इस योजना का लाभ बिना किसी बिचौलिए की भागीदारी के देश भर के सभी किसानों तक पहुंचे। लाभार्थियों के पंजीकरण एवं सत्यापन में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हुए इस योजना की शुरुआत से अब तक भारत सरकार ने 20 किस्तों में 3.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित की है।

इस योजना में किसानों का पंजीकरण एक सतत प्रक्रिया है और यह महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के किसानों के लिए खुली है। किसान पीएम-किसान पोर्टल, पीएम-किसान ऐप और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से अपना पंजीकरण करा सकते हैं। ऐसे सभी आवेदनों को संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उचित सत्यापन के बाद अनुमोदित किया जाता है। ऐसे मामलों में जहां आवेदक द्वारा अपेक्षित दस्तावेज/विवरण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं, आवेदन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा अस्वीकृत किया जा सकता है। एक बार राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसे अनुमोदित कर दिया जाए तो विभाग द्वारा तुरंत लाभ की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है और उसे अगली किस्त में जारी कर दिया जाता है।

इसके अलावा यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र किसान इस योजना से वंचित न रह जाए भारत सरकार अक्सर राज्य सरकारों के साथ समन्वय करके परिपूर्णता अभियान चलाती है। 15 नवंबर 2023 से विकसित भारत संकल्प यात्रा (वीबीएसवाई) के तहत एक बड़ा राष्ट्रव्यापी परिपूर्णता अभियान चलाया गया। इस दौरान पीएम-किसान के तहत 1.0 करोड़ से अधिक किसानों को शामिल किया गया। इसके अलावा नई सरकार की 100 दिन की पहल के तहत पीएम-किसान योजना के तहत लगभग 25 लाख और पात्र किसानों को जोड़ा गया। इसके अतिरिक्त लंबित स्व-पंजीकरण मामलों को निपटाने के लिए सितंबर 2024 से एक विशेष अभियान चलाया गया। अभियान की शुरुआत के बाद से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 30.11.2024 तक 30 लाख से अधिक लंबित स्व-पंजीकरण मामलों को मंजूरी दी गई।

उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच के लिए तंत्र

 नई दिल्ली.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अपने केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्रों (सीआईपीएमसी), कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) एवं राज्य कृषि विभागों के माध्यम से किसानों द्वारा रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग को रोकने और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग केवल आवश्यकता के समय अंतिम उपाय के रूप में विवेकपूर्ण तरीके से करने हेतु जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वर्तमान में, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत सब्सिडी वाले मूल्यों पर कीटनाशकों की खरीद के लिए कोई योजना/कार्यक्रम नहीं है। इसके अतिरिक्त, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा, देश में किसानों को गुणवत्ता वाले कीटनाशकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कीटनाशक अधिनियम, 1968 और कीटनाशक नियम, 1971 के विभिन्न प्रावधान कार्यान्वित किए जाते हैं। देश में, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कीटनाशकों की गुणवत्ता की जाँच करने के लिए कुल 12511 कीटनाशक निरीक्षक नियुक्त किए गए हैं, जो नियमित अंतराल पर अपने अधिकार क्षेत्र में विनिर्माण इकाइयों और बिक्री केंद्रों से नमूने एकत्र करते हैं, और नकली, अवमानक तथा गलत ब्रांडिंग वाले कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश लगाते हैं। वर्ष 2020-21 से 2024-25 के दौरान, कुल 356091 कीटनाशक नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिनमें से 9088 कीटनाशक नमूने अवमानक पाए गए तथा दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2014-15 से सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में 'कृषि मशीनीकरण उप-मिशन' (एसएमएएम) नामक केंद्रीय प्रायोजित योजना कार्य़ान्वित की जा रही है, जिसके तहत, किसानों को व्यक्तिगत स्वामित्व के आधार पर सब्सिडी मूल्य पर कृषि मशीनरी की खरीद तथा कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने हेतु कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी)/फार्म मशीनरी बैंक (एफएमबी) की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत, कृषि क्षेत्र में महिला किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, राज्य सरकार के विभागों के माध्यम से कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) स्थापित करने के लिए महिला किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि किसानों को किराये के आधार पर सेवाएं प्रदान की जा सकें। किसानों को किराये के आधार पर ड्रोन सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए, किसान सहकारी समिति, एफपीओ और ग्रामीण उद्यमियों के तहत सीएचसी को ड्रोन की खरीद के लिए 40% की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। सीएचसी स्थापित करने वाले कृषि स्नातक, ड्रोन की लागत के 50% की दर से अधिकतम 5.00 लाख रुपये प्रति ड्रोन तक की वित्तीय सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। व्यक्तिगत आधार पर ड्रोन की खरीद के लिए, छोटे और सीमांत, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, महिला तथा पूर्वोत्तर राज्य के किसानों को लागत के 50% की दर से अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक और अन्य किसानों को 40% की दर से अधिकतम 4.00 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के फसल अवशेष जलाने की समस्या से निपटने के प्रयासों को समर्थन तथा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी पर सब्सिडी प्रदान करने के लिए वर्ष 2018-19 से फसल अवशेष प्रबंधन योजना क्रियान्वित की जा रही है।

भारत सरकार द्वारा उर्वरकों की गुणवत्ता को विनियमित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 के अंतर्गत उर्वरक नियंत्रण आदेश, (एफसीओ) 1985 जारी किया गया। अनुसूची I, III से VI और VIII में रासायनिक उर्वरक, जैव-उर्वरक, ऑर्गेनिक उर्वरक, तेल-रहित केक, जैव-उत्तेजक और ऑर्गेनिक कार्बन वर्धक के विनिर्देश दिए गए हैं। एफसीओ की धारा 19 उन उर्वरकों की बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लगाती है जो निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं हैं। एफसीओ के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने पर एफसीओ के तहत प्रशासनिक कार्रवाई जैसे प्राधिकरण पत्र को रद्द एवं निलंबित करना तथा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 3 महीने से 7 वर्ष तक की अवधि के लिए जुर्माने सहित दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। राज्य सरकारें, उर्वरक निरीक्षकों के माध्यम से गोदामों, निर्माण इकाइयों, खुदरा दुकानों आदि से नमूने लेकर उर्वरक की गुणवत्ता की जाँच करने के लिए अधिकृत हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं को कम करने के उद्देश्य से सीमांत किसानों के लिए प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) और वर्षा सिंचित विकास क्षेत्र (आरएडी) योजनाओं को भी कार्य़ान्वित कर रहा है। पीडीएमसी, सूक्ष्म सिंचाई जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है और आरएडी, उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए समेकित कृषि प्रणाली (आईएफएस) पर केंद्रित है।

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंज़ूरी 


100 ज़िलों में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में विकास को तेज़ गति मिलेगी

 नई दिल्ली.

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज छह वर्ष की अवधि के लिए "प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना" को स्वीकृति दे दी। यह योजना 2025-26 से 100 ज़िलों में लागू होगी। नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरित प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित पहली विशिष्ट योजना है।

योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, फसल विविधीकरण और संधारणीय कृषि पद्धतियों को अपनानाकटाई के बाद पंचायत और प्रखंड स्तर पर भंडारण क्षमता में वृद्धिसिंचाई सुविधा में सुधार और दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक ऋण उपलब्धता सुगम बनाना है। यह 2025-26 के केंद्रीय बजट में "प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना" के अंतर्गत 100 ज़िले विकसित किये जाने की घोषणा के अनुरूप है। योजना का क्रियान्वयन 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं, राज्यों की अन्य योजनाओं और निजी क्षेत्र की स्थानीय भागीदारी में किया जाएगा।

तीन प्रमुख संकेतकों- कम उत्पादकताकम फसल सघनता और अल्प ऋण वितरण के आधार पर सौ जिले चिन्हित किये जाएंगे। प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या शुद्ध फसल क्षेत्र (वह कुल क्षेत्रफल, जहां किसी कृषि वर्ष में वास्तव में फसलें उगाई जाती हैं) और परिचालन जोत के हिस्से पर आधारित होगी। इस योजना में प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले का चयन किया जाएगा।

योजना के प्रभावी नियोजन, क्रियान्वयन और निगरानी के लिए जिलाराज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियां गठित की जाएंगी। जिला धन धान्य समिति द्वारा जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधि योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। समिति में प्रगतिशील किसान भी सदस्य होंगे। जिले की योजनाएं फसल विविधीकरणजल एवं मृदा स्वास्थ्य संरक्षणकृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता तथा प्राकृतिक एवं जैविक खेती को विस्तार देने जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप होंगी। प्रत्येक धन धान्य जिले में योजना में प्रगति की निगरानी मासिक आधार पर डैशबोर्ड के माध्यम से 117 प्रमुख कार्य निष्पादन संकेतकों के अनुसार की जाएगी। नीति आयोग भी जिला योजनाओं की समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा। इसके अलावा, प्रत्येक जिले में नियुक्त केंद्रीय नोडल अधिकारी भी नियमित आधार पर योजना की समीक्षा करेंगे।

इन सौ जिलों में लक्षित परिणामों में सुधार के साथ देश के प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों के मुकाबले समग्र औसत में वृद्धि होगी। योजना के परिणामस्वरूप उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होगी, कृषि और संबद्ध क्षेत्र में मूल्यवर्धन (उत्पाद और सेवा में उन्नयन) होगा और स्थानीय आजीविका सृजित होगी। इस प्रकार इस योजना से घरेलू उत्पादन में वृद्धि तथा आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) हासिल होगी। इन सौ जिलों के संकेतकों में उत्तरोत्तर सुधार के साथ ही राष्ट्रीय संकेतकों में भी स्वतः ही वृद्धि होगी।

छोटे किसानों का कल्याण

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) के अनुसार, क्षति आकलन और ग्राउंड लेवल पर राहत उपाय करने सहित आपदा प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रयासों के लिए आवश्यक लॉजिस्टिक और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। राज्य सरकारें, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मदों और मानदंडों के अनुसार, पहले से ही अपने पास उपलब्ध राज्य आपदा प्रतिक्रिया फंड (एसडीआरएफ) से, 12 अधिसूचित प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में प्रभावित लोगों को वित्तीय राहत प्रदान करती हैं। तथापि, 'गंभीर प्रकृति' की आपदा की स्थिति में, निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया फंड (एनडीआरएफ) से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) के दौरे के आधार पर मूल्यांकन भी शामिल होता है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता राहत के रूप में दी जाती है, मुआवज़े के रूप में नहीं।

सरकार पूरे भारत में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संशोधित ब्याज छूट योजना (एमआईएसएस) के रूप में जानी जाने वाली 100% केंद्र द्वारा वित्तपोषित केंद्रीय क्षेत्र की योजना को कार्यान्वित कर रही है। यह योजना किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से प्राप्त अल्पकालिक कृषि ऋणों पर रियायती ब्याज दर प्रदान करती है।

इस योजना के अंतर्गत, किसानों को 7% की रियायती ब्याज दर पर केसीसी ऋण मिलता है। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, वित्तीय संस्थानों को 1.5% की अग्रिम ब्याज सहायता (आईएस) प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, जो किसान अपने ऋण समय पर चुकाते हैं उन्हें 3% शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) मिलता है, जिससे ब्याज दर प्रभावी रूप से घटकर 4% प्रति वर्ष हो जाती है। प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में किसानों को राहत प्रदान करने के लिए, बैंकों को पुनर्गठित राशि पर पहले वर्ष के लिए ब्याज सहायता का घटक उपलब्ध है और ऐसे पुनर्गठित ऋणों पर आरबीआई द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार दूसरे वर्ष से सामान्य ब्याज दर लागू होगी। एनडीआरएफ सहायता प्रदान करने के लिए अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) और राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एससी-एनईसी) की उप-समिति की रिपोर्ट के आधार पर गंभीर प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को पुनर्गठित फसल ऋणों पर ब्याज सहायता और शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन अधिकतम 5 वर्षों की अवधि के लिए दिया जाता है।

पिछले कुछ वर्षों में समग्र मुद्रास्फीति और कृषि इनपुट लागत में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण सहित कोलेटरल मुक्त कृषि ऋणों की सीमा को मौजूदा 1.6 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति उधारकर्ता करने का निर्णय लिया गया है, जो 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी है।

भारत सरकार, कृषक समुदाय में योजनाओं के लाभों और सलाह के बारे में जागरूकता पैदा करने और उनका प्रसार करने के लिए डीडी क्षेत्रीय केंद्र, डीडी किसान और आकाशवाणी के माध्यम से  केंद्रीय क्षेत्र की योजना "कृषि विस्तार हेतु जनसंचार माध्यम सहायता" का कार्यान्वयन कर रही है। इस योजना के अंतर्गत, विभागीय योजनाओं, चल रही पहलों, नीतिगत निर्णयों और सलाहों के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए 18 डीडी क्षेत्रीय केंद्रों, आकाशवाणी के 97 एफएम स्टेशनों और डीडी किसान का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, "फोकस्ड प्रचार और जागरूकता अभियान' के एक भाग के रूप में दूरदर्शन (डीडी), ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) और निजी टीवी और रेडियो चैनलों पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की योजनाओं के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए ऑडियो-विजुअल स्पॉट का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, प्रचार और जागरूकता आउटडोर प्रचार के साथ-साथ देश भर के प्रमुख समाचार पत्रों में प्रिंट विज्ञापनों के माध्यम से भी की जाती है। विभाग की किसान कल्याण योजनाओं के विवरण के बारे में बेहतर आउटरीच और व्यापक प्रचार के लिए फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, थ्रेड्स, यूट्यूब, लिंक्डइन, व्हाट्सएप, पब्लिक ऐप आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भी उपयोग किया जा रहा है।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने  लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को बड़ी सौगात, सीधे खातों में बीमा राशि का भुगतान


किसानों के खातों में बीमा राशि का डिजिटल भुगतान,35 लाख किसानों को 3,900 करोड़ रुपए की बीमा राशि मिली

 नई दिल्ली.

किसान कल्याण प्रतिबद्धता सिद्ध करते हुए  केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने राजस्थान के झुंझूनु से किसानों के खातों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत डिजिटल राशि का भुगतान किया। करीब 35 लाख किसानों के खातों में 3,900 करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री भागीराथ चौधरी, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, मौजूद रहे। बड़ी संख्या में किसानों ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। विभिन्न राज्यों के लाखों किसान व लाभार्थी वर्चुअल माध्यम से समारोह से जुड़े रहें।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक अद्भुत भारत का निर्माण हो रहा है। राजस्थान को जल्द ही यमुना, चंबल के साथ-साथ सिंधु नदी का पानी भी मिलने वाला है। भारत के द्वारा पहलगाम के आतंकी हमले का मजबूती से बदला लिया गया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। भारत ने अपनी क्षमता से निर्णय लिया। जब पाकिस्तान झुका और शरण में आया तब हमारी ओर से कार्रवाई रोकी गई।


श्री चौहान ने कहा कि पहले कि सरकार द्वारा फसल बीमा की राशि पूरी तहसील या ब्लॉक की फसल बर्बाद होने के बाद ही दी जाती थी लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पुरानी सारी योजनाओं को निरस्त करते हुए ऐसी बीमा योजना बनाई के जिसके अंतर्गत एक गांव क्या एक किसान की भी अगर फसल बर्बाद हुई तो बीमा की राशि दी जाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मात्र एक योजना ही नहीं बल्कि विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सरकार किसानों की जिंदगी सुखद बनाने का कार्य कर रही है। पौने चार लाख करोड़ रुपये की धनराशि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत सीधे किसानों के खातों में वितरित की जा चुकी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के 2016 में शुरुआत से अब-तक 2 लाख 12 हजार करोड़ रुपये किसानों को दिए जा चुके हैं। खाद की सब्सिडी में भी सरकार ने बड़े स्तर पर किसानों को मदद पहुंचाने की कोशिश की है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज यूरिया की 45 किलो की एक बोरी किसानों को 266 रुपये में मिलती है, इसकी असली कीमत 1,633 रुपये 24 पैसे है। 266 रुपये से ऊपर की सभी राशि का वहन सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में किया जाता है। डीएपी की 50 किलो की बोरी किसानों को 1,350 रुपये में मिलती है, जिसकी असली कीमत है 3,100 रुपये। अब-तक 14 लाख 6 हजार करोड़ रुपये सस्ते खाद के लिए फर्टिलाइजर कंपनियों को दिए जा चुके हैं।

अन्य कल्याणकारी योजनाओं का भी केंद्रीय मंत्री ने जिक्र किया। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा एमएसपी के दाम बढ़ाने का भी काम किया गया है। किसानों की लागत में 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर ही एमएसपी तय करने का निर्णय लिया गया। सरकार ने 2,000 रुपये प्रति क्विंटल मूंग खरीदने का निर्णय लिया। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पीएम आशा योजना के तहत अब-तक गेहूं और धान की खरीद के लिए किसानों के खातों में 43 लाख 87 हजार करोड़ रुपये डाले गए हैं। बाजार हस्तक्षेप योजना (MIP) के तहत भी किसानों को दूसरे राज्यों में माल बेचने की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है, जिसमें परिवहन की लागत सरकार वहन करेगी। किसानों के फायदे के लिए नई-नई योजनाएं बनाने का काम किया जा रहा है।

नकली खाद और उर्वरकों पर सख्ती जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस संबंध में त्वरित कदम उठाते हुए एक कड़ा कानून बनाने की प्रक्रिया पर तेजी से काम चल रहा है। जल्द ही ठोस कानून बनाकर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को जेल भेजा जाएगा।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा फसलों पर वायरस अटैक की स्थिति में यदि किसानों द्वारा जानकारी साझा की जाएगी या मात्रा एक फोटो के जरिए भी सूचना दी जाएगी, तो मदद के लिए वैज्ञानिकों की टीम तुरंत किसानों के पास गांव पहुंचेगी।

 

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि खरीफ के फसल के बाद अब रबी की फसल के लिए भी ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत वैज्ञानिकों की टीम किसानों के गांव-गांव जाएगी और उन्हें खेती व शोध की सही जानकारी देगी। श्री शिवराज सिंह ने कहा कि अब भावी कृषि अनुसंधान खेती और किसानों की मांग पर आधारित होंगे। खेती की वर्तमान जरुरत के अनुसार ही वैज्ञानिकों को अनुसंधान करने के निर्देश दिए गए हैं। मूंग, उड़द, सोयाबीन, बाजरे के उत्पादन में वृद्धि के लिए अच्छे बीज बनाने के लिए वैज्ञानिकों को कहा गया है।

25 जुलाई 2025 तक खरीफ फसलों के अंतर्गत रकबे की प्रगति

 नई दिल्ली.

कृषि और किसान कल्याण विभाग ने 25 जुलाई 2025 तक खरीफ फसलों के अंतर्गत रकबे की प्रगति जारी की है 

क्षेत्रफल: लाख हेक्टेयर में

 

क्र.सं.

 

फसल

सामान्य क्षेत्र (2019-20 से 2023-24)

बोया गया क्षेत्र

2024-25 में वृद्धि(+)/कमी(-)

 

 

 

2025 - 26

2024-25

 

 

 

1

चावल

403.09

245.13

216.16

28.97

 

 

2

दलहन

129.61

93.05

89.94

3.11

 

 

तूर

44.71

34.90

37.99

-3.10

 

 

बी

कुलथी

1.72

0.15

0.13

0.02

 

 

सी

उड़द

32.64

16.59

17.79

-1.20

 

 

डी

मूंग

35.69

30.60

26.36

4.24

 

 

अन्य दलहन

5.15

2.67

2.60

0.07

 

 

एफ

मोथ बीन

9.70

8.14

5.06

3.08

 

 

3

मोटे अनाज

180.71

160.72

154.97

5.75

 

 

ज्वार

15.07

12.45

12.34

0.11

 

 

बी

बाजरा

70.69

58.02

57.99

0.02

 

 

सी

रागी

11.52

2.03

2.62

-0.58

 

 

डी

मक्का

78.95

85.58

78.92

6.66

 

 

अन्य छोटे मिलेट

4.48

2.64

3.10

-0.46

 

 

4

तिलहन

194.63

166.89

170.73

-3.83

 

 

मूंगफली

45.10

41.17

40.77

0.40

 

 

बी

तिल

10.32

7.44

7.14

0.31

 

 

सी

सूरजमुखी

1.29

0.56

0.59

-0.03

 

 

डी

सोयाबीन

127.19

116.71

121.38

-4.68

 

 

नाइजरसीड

1.08

0.03