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वनों से समृद्धि की ओर बढ़ने के संकल्प के साथ पाटन में आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई लोकार्पण

पाटन,दुर्ग  . असल बात news.   प्रदेश एक नए हरित औद्योगिक युग की ओर अग्रसर हो रहा है, जिससे वनवासियों और ग्रामीणों के जीवन में व्यापक सकारात्...

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पाटन,दुर्ग  .

असल बात news.  

प्रदेश एक नए हरित औद्योगिक युग की ओर अग्रसर हो रहा है, जिससे वनवासियों और ग्रामीणों के जीवन में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन सुनिश्चित हो रहा है। इसी कड़ी में आज यहां पाटन में वनों से समृद्धि की ओर फॉरेस्ट टू फार्मेसी के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई शुरू किया गया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुवर्धन ने भव्य समारोह में इसका लोकार्पण किया. इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ वन संपदा से भरपूर राज्य है. हम वोकल और लोकल के सपना को मजबूत बनाने, साकार करने का प्रयास कर रहे हैं.छत्तीसगढ़ में 36.47 करोड़ की आयुर्वेदिक इकाई का शुभारंभ यह छत्तीसगढ़ की बड़ी आयुर्वेदिक प्रसंस्करण परियोजना है.

छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित अत्याधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई का लोकार्पण ग्राम जामगांव (एम), जिला दुर्ग में किया गया है। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय  के साथ वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप,सांसद दुर्ग श्री विजय बघेल, स्थानीय विधायकगण श्री ललित चंद्राकर,श्री गजेन्द्र यादव विधायक दुर्ग विधानसभा श्री रीकेश सेन,विधायक वैशाली नगर श्री डोमन लाल कोर्सेवाडा जी विधायक अहिवारा,पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहु राज्य वनोषधि बोर्ड के अध्यक्ष श्री विकास मरकाम और वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री रामसेवक पैकरा,श्री श्री 1008 डॉक्टर स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज महा मण्डलेश्वर, हरिद्वार उत्तराखण्ड विशेष रूप से उपस्थित थे।

आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा को विज्ञान और आधुनिक तकनीक से जोड़कर फॉरेस्ट टू फार्मेसी मॉडल को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। 27.87 एकड़ क्षेत्र में रू. 36.47 करोड़ की लागत से निर्मित आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई से प्रतिवर्ष लगभग रु. 50 करोड़ मूल्य के उत्पाद तैयार किए जाने का अनुमान है। यह इकाई प्रदेश में वनों में पाई जाने वाली औषधीय और लघु वनोपज जैसे महुआ,साल बीज,कालमेघ,गिलोय, अश्वगंधा आदि का संगठित एवं वैज्ञानिक प्रसंस्करण कर चूर्ण, सिरप, तेल, टैबलेट एवं अवलेह जैसे गुणवत्तापूर्ण आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण करेगी। यह इकाई छत्तीसगढ़ हर्बल्स ब्रांड के तहत प्रदेश के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने का प्रमुख केंद्र भी बनेगी। परियोजना के अंतर्गत 1000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की प्राथमिक प्रसंस्करण कार्यों में भागीदारी सुनिश्चित होगी, जिससे उन्हें स्वरोजगार का अवसर मिलेगा। वहीं युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त होने से स्थानीय स्तर पर आजीविका के नए द्वार खुलेंगे।

आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई में आधुनिक वेयरहाउस की 20,000 मीट्रिक टन की संग्रहण क्षमता विकसित की गई है, जिससे सीजनल वनोपजों के दीर्घकालीन संरक्षण एवं गुणवत्ता नियंत्रण में सहायता मिलेगी। यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत के विजन को मूर्तरूप देती है। यह न केवल वन उत्पादों के स्थानीय मूल्य संवर्धन का उदाहरण प्रस्तुत करती है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशिता को भी सशक्त बनाती है।