Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


कबीरधाम की जल क्रांति, एक दिन, दो विश्व रिकॉर्ड और जनसंकल्प की ऐतिहासिक विजय, संकल्प से सिद्धि की ओर कबीरधाम, दो रिकार्ड, एक उद्देश्य, मुख्यमंत्री साय, उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा के मार्गदर्शन में कबीरधाम बना जल जागरूकता की मिसाल

कवर्धा,असल बात जनशक्ति से जलशक्ति की ओर, कबीरधाम के नाम दो विश्व रिकॉर्ड कवर्धा,। छत्तीसगढ़ का विशेष पिछड़ी जनजति बैगा एवं आदिवासी बाहुल्य और ...

Also Read

कवर्धा,असल बात



जनशक्ति से जलशक्ति की ओर, कबीरधाम के नाम दो विश्व रिकॉर्ड

कवर्धा,। छत्तीसगढ़ का विशेष पिछड़ी जनजति बैगा एवं आदिवासी बाहुल्य और मैकल पर्वत की तलहटी पर बसा यह कबीरधाम जिला। इस कबीरधाम जिले का नाम 20 जून 2025 की तारीख हमेशा के लिए इतिहास के पन्नो में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गई है। इस दिन जिले ने केवल दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए नहीं, बल्कि यह सिद्ध कर दिया कि जब नेतृत्व स्पष्ट हो, प्रशासन समर्पित हो और जनता जागरूक हो, तो असंभव को भी संभव में बदला जा सकता है। “मोर गांव-मोर पानी” महाअभियान के तहत कबीरधाम ने 12 घंटे के भीतर वर्षा जल संरक्षण के लिए 1 लाख 2 हजार 98 सोख पिटों का निर्माण और 1 लाख 17 हजार 504 नागरिकों से जल-संरक्षण की शपथ दिलवाकर दो अभूतपूर्व विश्व कीर्तिमान रच दिए। यह विजय केवल आंकड़ों की नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और सामूहिक सहभागिता की विजय है।

इस प्रेरक अभियान की नींव मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शिता में रखी गई। प्रदेशभर में जल संरक्षण को जनांदोलन में बदलने की उनकी सोच को कबीरधाम ने अपने कर्म से साकार कर दिखाया। वहीं, कबीरधाम जिले के ही निवासी और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा की सतत प्रेरणा, मार्गदर्शन और क्षेत्रीय संवेदनशीलता ने अभियान को नई ऊर्जा प्रदान की। उनका यह विश्वास कि जनभागीदारी से परिवर्तन संभव है, इस उपलब्धि के केंद्र में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।

जिले में इस ऐतिहासिक अभियान के संचालन की कमान कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने न केवल कुशलता से संभाली, बल्कि उन्होंने इसे प्रशासनिक दायरे से निकालकर सामाजिक आंदोलन बना दिया। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अजय कुमार त्रिपाठी के साथ मिलकर उन्होंने गांव-गांव तक पहुंच बनाई, जनप्रतिनिधियों, स्कूलों, स्व-सहायता समूहों, पंचायतों और नागरिकों को जोड़कर इस अभियान को जमीनी ताकत दी। यही कारण रहा कि जिले के 469 पंचायतों के अधीन 999 गांवों में यह अभियान न केवल सफल रहा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उदाहरण बन गया।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा प्रमाणित किए जाने से यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई प्रतीकात्मक आयोजन नहीं था, बल्कि धरातल पर किया गया प्रभावी, समर्पित और योजनाबद्ध प्रयास था। गोल्डन बुक के एशिया प्रमुख श्री मनीष विश्नोई ने स्वयं कवर्धा आकर संपूर्ण प्रक्रिया की समीक्षा की और इसे ‘अभूतपूर्व और अनुकरणीय प्रयास’ बताते हुए कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा और सीईओ श्री अजय त्रिपाठी को प्रोविजनल वर्ल्ड रिकॉर्ड प्रमाण पत्र सौंपा। यह केवल एक प्रशंसा नहीं, बल्कि जिले की प्रतिबद्धता और कार्य संस्कृति पर अंतरराष्ट्रीय मुहर है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा दोनों ने इस अभियान को लेकर जिले की सराहना की है।  छत्तीसगढ़ अब केवल योजनाएं बनाने वाला राज्य नहीं, बल्कि उसे धरातल पर उतारने वाला कार्यशील प्रदेश बन चुका है। उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा, जो स्वयं कबीरधाम जिले से संबंध रखते हैं, ने इस गौरवशाली अवसर को ‘जनचेतना और पर्यावरणीय दायित्व’ का संगम बताया। यह भावनात्मक और व्यवहारिक जुड़ाव ही था, जिसने जिले के नागरिकों को एक नई ऊर्जा और उद्देश्य दिया।

कलेक्टर श्री गोपाल वर्मा ने इस अभियान की सफलता को जिले के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करते हुए स्पष्ट किया कि यह महज़ प्रशासन की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर किसी ने अपने हिस्से की भूमिका निभाई, किसी ने गड्ढा खोदा, किसी ने पानी बचाने का संकल्प लिया, और किसी ने दूसरों को जागरूक किया। यह अभियान न किसी सरकारी आदेश से चला, न किसी विशेष आयोजन से, बल्कि यह एक सामूहिक चेतना का स्वरूप था, जो स्वतः समाज के भीतर से उपजा।

इस अभियान ने यह भी सन्देश दिया है कि यदि नेतृत्व मजबूत हो, दिशा स्पष्ट हो और समाज को विश्वास में लिया जाए, तो प्रशासनिक ढांचे केवल क्रियान्वयनकर्ता नहीं, बल्कि परिवर्तन के उत्प्रेरक बन सकते हैं।

कबीरधाम की यह उपलब्धि केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। जहाँ जल संकट की चुनौती विकराल होती जा रही है, वहाँ इस तरह की पहलें एक नई राह दिखाती हैं। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि “मोर गांव-मोर पानी” अब केवल एक अभियान नहीं रहा। यह कबीरधाम की पहचान बन चुका है, एक ऐसे जिले की, जो अपने कर्तव्यों को समझता है, नेतृत्व की बातों को कर्म में बदलता है और सामूहिक प्रयासों से विश्व पटल पर अपना नाम दर्ज कराता है।

असल बात,न्यूज