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सीबीआई न्यायालय ने कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में मेसर्स जेएएस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक मनोज कुमार जायसवाल को दोषी ठहराया, कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में 19वीं सजा

नई दिल्ली  . असल बात न्यूज़.       माननीय विशेष न्यायाधीश (कोयला मामले) राउज एवेन्यू न्यायालय, नई दिल्ली ने आज यानी 06 जून को कोयला ब्ल...

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नई दिल्ली  .

असल बात न्यूज़.      

माननीय विशेष न्यायाधीश (कोयला मामले) राउज एवेन्यू न्यायालय, नई दिल्ली ने आज यानी 06 जून को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में दो आरोपियों मेसर्स जेएएस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक मनोज कुमार जायसवाल को दोषी ठहराया है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अन्वेषण किए गए कोयला ब्लॉक आवंटन मामलों में यह 19वीं सजा है।

शुरुआत में, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने  20 नवंबर 2014 को मामले में अंतिम रिपोर्ट (समापन) दाखिल की थी। , माननीय विशेष न्यायालय ने प्रकरण को संज्ञान लिया और निम्नलिखित आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए:

मैसर्स जेएएस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्रा. लिमिटेड

मनोज कुमार जायसवाल

एच.सी. गुप्ता

के.एस. क्रोफा

के.सी. समारिया

मामले में आरोप है कि आरोपी निजी व्यक्तियों, नामतः मेसर्स जेएएस इन्फ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों ने कंपनी के वित्तीय नेटवर्थ के बारे में झूठे और भ्रामक दावे किए थे और कोयला ब्लॉक के आवंटन को हासिल करने के उद्देश्य से वित्तीय संस्थानों द्वारा ऋण के मूल्यांकन और सिंडिकेशन को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था। यह भी आरोप लगाया गया था कि अन्य समूह या सहयोगी कंपनियों को कोयला ब्लॉकों के पिछले आवंटन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को जानबूझकर आवेदन और फीडबैक फॉर्म में छिपाया गया था। कंपनी ने अपने आवेदन में  महुगढ़ी कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष प्रस्तुतीकरण के दौरान, असंबंधित तीसरे पक्ष की कंपनियों- इनर्शिया आयरन एंड स्टील इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और आईएलएंडएफएस- के नेटवर्थ को भी बेईमानी से अपना बताया था।

विचारण (ट्रायल) के दौरान, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने अपने मामले के समर्थन में अभियोजन पक्ष के 18 गवाहों की गवाही ली । विचारण के पूरा होने पर, माननीय विशेष न्यायाधीश (कोयला मामले), राउज एवेन्यू न्यायाधीश, नई दिल्ली ने मेसर्स जेएएस इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड और इसके निदेशक श्री मनोज कुमार जायसवाल को आरोपित अपराधों का दोषी पाया। मामले में 3 सरकारी कर्मचारियों को बरी कर दिया गया है। सजा की अवधि पर बहस आगामी 8 जुलाई को सुनी जाएगी।