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फर्जी तरीके से डॉक्टर बनकर काम कर रहे डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को बिलासपुर पुलिस गिरफ्तार कर बिलासपुर पहुंच गई है

  बिलासपुर।  अपोलो अस्पताल में फर्जी तरीके से डॉक्टर बनकर काम कर रहे डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को बिलासपुर पुलिस गिरफ्तार कर बिलासपुर पहुंच गई ...

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 बिलासपुर। अपोलो अस्पताल में फर्जी तरीके से डॉक्टर बनकर काम कर रहे डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को बिलासपुर पुलिस गिरफ्तार कर बिलासपुर पहुंच गई है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. राजेंद्र शुक्ल सहित अन्य मरीजों की इलाज के दौरान मौत के मामले में उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा. इसके अलावा फर्जी डॉ. को अपोलो अस्पताल ले जाया जाएगा और मृतकों के परिजनों से पहचान परेड कराई जाएगी. एसएसपी रजनेश सिंह ने डॉक्टर नरेंद्र जॉन की गिरफ्तारी की पुष्टि की है. बता दें, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. राजेंद्र शुक्ल की इलाज के दौरान मौत के बाद परिजनों ने सरकंडा थाना में आरोपी डॉ. नरेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके बाद एक व्यापारी ने भी आरोपी डॉ. के खिलाफ आरोप लगाया था कि उसके पिता को पेट दर्द के इलाज के लिए अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉ. नरेंद्र ने उसके पिता के दिल का ऑपरेशन कर दिया, जिससे उनकी मौत हो गई. मामले की जांच में पुलिस ने पाया कि आरोपी डॉ. की योग्यता और नियुक्ति प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी रही है.



फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आरोपी ने हासिल की नौकरी

गौरतलब है कि दमोह के मिशनरी अस्पताल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के नाम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल की थी. उसने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की, जिनमें से 8 मरीजों की मौत हो चुकी है. जिन मरीजों का ऑपरेशन किया था, उनमें से तीन की मौत एंजियोप्लास्टी के समय हुई थी. जांच में पता चला कि डॉ. नरेंद्र जॉन कैम के डिग्री और अनुभव पूरी तरह से फर्जी थे.

दमोह में फर्जी डॉक्टर का खुलासा होने के बाद बिलासपुर में भी हलचल हुई. अपोलो अस्पताल में 2006 में इलाज के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेन्द्र शुक्ल की मौत के पीछे उनके बेटे ने प्रदीप शुक्ल ने फर्जी डॉक्टर को जिम्मेदार बताते हुए पुलिस में शिकायत की थी. इस पर फर्जी डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जान केम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 466 (दस्तावेजों में कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के इरादे से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेजों का उपयोग), 304 (गैर इरादतन हत्या) और 34 (सामूहिक अपराध) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इस मामले में अपोलो प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया है. आरोप है कि बिना दस्तावेज सत्यापन के अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी डॉक्टर को भर्ती कर इलाज का मौका दिया, जिससे गंभीर लापरवाही हुई और मरीज की जान चली गई. पुलिस मामले में प्रबंधन की भूमिका की भी जांच कर रही है.

जांच में पाई गई फर्जी डिग्रियां

पुलिस जांच में पाया गया कि नरेंद्र का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है. वह देहरादून का रहने वाला है. दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है. उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की बताई गई है. उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है. इसके बाद जो 3 एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है. ये डिग्रियां कलकत्ता, दार्जिलिंग व यूके की बताई गई हैं.