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आईआईटी भिलाई की सीटों की संख्या में होगी शीघ्र बढ़ोतरी,शैक्षणिक और अवसंरचना क्षमता के विस्तार की योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल की स्वीकृति

  मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश (तिरुपति), छत्तीसगढ़ (भिलाई), जम्मू - कश्मीर (जम्मू), कर्नाटक (धारवाड़) और केरल (पलक्कड़) में स्थापित पांच भारत...

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मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश (तिरुपति), छत्तीसगढ़ (भिलाई), जम्मू - कश्मीर (जम्मू), कर्नाटक (धारवाड़) और केरल (पलक्कड़) में स्थापित पांच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) की शैक्षणिक और अवसंरचना क्षमता के विस्तार को स्वीकृति दी


इन प्रमुख संस्थानों में 6500 से अधिक विद्यार्थियों को अध्ययन करने की सुविधा प्रदान करने के लिए विस्तार

उद्योग-अकादमिक संबंध को मजबूत करने के लिए पांच नए अत्याधुनिक अनुसंधान पार्क भी बनाए जा रहे हैं

नई दिल्ली. 
असल बात news. 

आईआईटी भिलाई के अगले चरण के शैक्षणिक और अधिसंरचना विकास का कार्य शीघ्र शुरू हो जाएगा.प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज आंध्र प्रदेश (आईआईटी तिरुपति), केरल (आईआईटी पलक्कड़), छत्तीसगढ़ (आईआईटी भिलाई), जम्मू- कश्मीर (आईआईटी जम्मू) और कर्नाटक (आईआईटी धारवाड़ ) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित पांच नए आईआईटी की शैक्षणिक और अवसंरचना क्षमता (चरण-बी निर्माण) के विस्तार को स्वीकृति दी। 

इसके लिए 2025-26 से 2028-29 तक चार वर्षों की अवधि में कुल लागत 11,828.79 करोड़ रुपये है।मंत्रिमंडल ने इन आईआईटी में 130 संकाय पदों (प्रोफेसर स्तर यानी लेवल 14 और उससे ऊपर) के सृजन को भी स्वीकृति दी है। 

उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत करने के लिए पांच नए अत्याधुनिक अनुसंधान पार्क भी बनाए जा रहे हैं। 

कार्यान्वयन रणनीति और लक्ष्य: 

इन आईआईटी में विद्यार्थियों की संख्या अगले चार वर्षों में 6500 से अधिक बढ़ जाएगी, जिसमें स्नातक (यूजी), स्नातकोत्तर (पीजी) और पीएचडी कार्यक्रम में प्रथम वर्ष में 1364 विद्यार्थी, द्वितीय वर्ष में 1738 विद्यार्थी, तृतीय वर्ष में 1767 विद्यार्थी और चतुर्थ वर्ष में 1707 विद्यार्थी बढ़ेंगे।

लाभार्थी: 

निर्माण पूरा होने पर, ये पांच आईआईटी 7,111 की वर्तमान विद्यार्थी संख्या की तुलना में 13,687 विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगे, यानी 6,576 विद्यार्थियों की वृद्धि होगी। सीटों की कुल संख्या में इस वृद्धि के साथ, अब 6,500 से अधिक अतिरिक्त विद्यार्थी देश के सबसे प्रतिष्ठित और मांग वाले शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन करने की आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होंगे। यह कुशल कार्यबल का निर्माण करके, नवाचार को बढ़ावा देकर और आर्थिक विकास को बढ़ावा देकर राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देगा। यह सामाजिक गतिशीलता को बढ़ाता है, शैक्षिक असमानता को कम करता है और भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करता है।

रोजगार सर्जन:

विद्यार्थियों और सुविधाओं की बढ़ती संख्या का प्रबंधन करने के लिए संकाय, प्रशासनिक कर्मचारियों, शोधार्थियों और सहायक कर्मियों की भर्ती के माध्यम से प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होगा। साथ ही, आईआईटी परिसरों का विस्तार आवास, परिवहन और सेवाओं की मांग बढ़ा कर स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करता है। आईआईटी से स्नातक और स्नातकोत्तर की बढ़ती संख्या नवाचार और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को और बढ़ावा देती है, जो विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सर्जन में योगदान देती है।

राज्य और जिले:

ये पाँच आईआईटी आंध्र प्रदेश (आईआईटी तिरुपति), केरल (आईआईटी पलक्कड़), छत्तीसगढ़ (आईआईटी भिलाई), जम्मू - कश्मीर (आईआईटी जम्मू) और कर्नाटक (आईआईटी धारवाड़) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित हैं। हालाँकि, आईआईटी में प्रवेश अखिल भारतीय आधार पर होता है और इसलिए इस विस्तार से देश भर के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को लाभ होगा।

वर्ष 2025-26 की बजट घोषणा में कहा गया है:

'पिछले 10 वर्ष में 23 आईआईटी में विद्यार्थियों की कुल संख्या 65,000 से 1.35 लाख होकर 100 प्रतिशत बढ़ गई है। वर्ष 2014 के बाद शुरू किए गए पांच आई.एल.टी. में 6,500 और अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए अतिरिक्त अवसंरचना का निर्माण किया जाएगा।'

पृष्ठभूमि:

ये पांच नए आई.आई.टी. आंध्र प्रदेश (आई.आई.टी. तिरुपति), केरल (आई.आई.टी. पलक्कड़), छत्तीसगढ़ (आई.आई.टी. भिलाई), जम्मू - कश्मीर (आई.आई.टी. जम्मू) और कर्नाटक (आई.आई.टी. धारवाड़) राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित किए गए थे। पलक्कड़ और तिरुपति में आई.आई.टी. का शैक्षणिक सत्र 2015-16 में शुरू हुआ था और शेष तीन का 2016-17 में उनके अस्थायी परिसरों से शुरू हुआ था। ये आई.आई.टी. अब अपने स्थायी परिसरों से काम कर रहे हैं।


*आईआईटी भिलाई सहित देश के पांच आईआईटी के शैक्षणिक और अवसंरचना क्षमता के विस्तार को मंजूरी पर मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रधानमंत्री के प्रति जताया आभार


 नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय कैबिनेट बैठक में आज छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी घोषणा हुई। आईआईटी भिलाई के कैम्पस के विस्तार के साथ ही तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान के लिए नई सुविधाएं मिलेंगी। इसके अलावा अब आईआईटी भिलाई में अधिक छात्रों को पढ़ाई का मौका मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आईआईटी भिलाई के विस्तार के संबंध में की गई घोषणा के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी का विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ के लक्ष्य की दिशा में एक और बड़ा कदम है।



उल्लखेनीय है कि केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा देश के पांच नए आईआईटी संस्थानों, जिनमें छत्तीसगढ़ का आईआईटी भिलाई भी शामिल है, की शैक्षणिक और आधारभूत संरचना का विस्तार करने की मंजूरी दी गई है। केंद्रीय केबिनेट के फैसले से आने वाले चार वर्षों में देशभर के 6,500 से अधिक छात्र प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई का सपना पूरा कर सकेंगे। खास बात यह है कि आईआईटी भिलाई में अब और अधिक सीटें होंगी, जिससे छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों के युवाओं को भी लाभ मिलेगा। इस फैसले से आईआईटी भिलाई कैम्पस के अवसंरचना विस्तार के साथ-साथ न केवल छात्रों को लाभ मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। शिक्षकों, कर्मचारियों और शोधकर्ताओं की भर्ती के साथ-साथ आस-पास के इलाकों में आवास, परिवहन और अन्य सेवाओं की मांग भी बढ़ेगी।

 

आईआईटी भिलाई पहले से ही अपने स्थायी परिसर में कार्य कर रहा है, लेकिन इस विस्तार के बाद यह संस्थान अब और भी अधिक छात्रों के लिए शिक्षा और नवाचार का केंद्र बनेगा।उल्लेखनीय है कि चार वर्षों में पूरे देश में छात्रों के लिए 13,687 सीटें उपलब्ध होंगी, जो अभी 7,111 हैं। इसका मतलब है कि 6,576 नई सीटों का इजाफा होगा। देश के जिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में शैक्षणिक और अवसंरचना क्षमता के विस्तार की स्वीकृति दी गई है, इनमें भिलाई के साथ-साथ आंध्र प्रदेश (तिरुपति), जम्मू-कश्मीर (जम्मू), कर्नाटक (धारवाड़) और केरल (पालक्काड़) के आईआईटी  शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने इनके विस्तार के लिए 11,828.79 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है, जो साल 2025-26 से 2028-29 तक खर्च होगा। इसके अंतर्गत न केवल नई इमारतें और आधुनिक सुविधाएं बनाई जाएंगी, बल्कि 130 नए प्रोफेसर पदों का सृजन भी होगा, जिससे पढ़ाई और शोध का स्तर और मजबूत होगा। उद्योग अकादमिक संबंधों को मजबूत करने के लिए पांच नये अत्याधुनिक अनुसंधान पार्क भी बनाये जा रहे हैं।