Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


अमर सपूतों के स्मृति में संगोष्ठी आयोजित की गई नेहरू नगर भेलवा तालाब में

असल बात न्यूज  अमर सपूतों के स्मृति में संगोष्ठी आयोजित की गई नेहरू नगर भेलवा तालाब में भिलाई। नगर पाली निगम भिलाई क्षेत्र के नेहरू नगर भेलव...

Also Read

असल बात न्यूज 

अमर सपूतों के स्मृति में संगोष्ठी आयोजित की गई नेहरू नगर भेलवा तालाब में




भिलाई। नगर पाली निगम भिलाई क्षेत्र के नेहरू नगर भेलवा तालाब में आज बलिदान दिवस मनाया गया। अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव जी के शहादत को याद किया गया। किस प्रकार से अपनी कम उम्र में आजादी के दीवाने इंकलाब जिंदाबाद का नारा बुलंद करते हुए, फांसी के तख्ते पर झूल गए। आज के युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत है। निगम भिलाई के जनसंपर्क अधिकारी ने अजय शुक्ला ने बताया कि 24 मार्च 1931 को  फांसी होने वाली थी। अंग्रेजी हुकूमत डर के मारे 23 मार्च 2:00 बजे रात को उन्हें फांसी दी गई। जबकि जेल मैन्युअल  यह कहता है कि किसी को रात में फांसी नहीं दी जा सकती है। पूरी भीड़ लाहौर जेल के सामने फांसी रुकवाने की मांग कर रही थी। अंग्रेजी हुकूमत डर के मारे 23 मार्च के रात में ही फांसी देकर, कचरे के गाड़ी में अमर शहीदों कि मृतक शरीर को छुपा कर ले जाकर के रावी नदी के तट पर अंतिम संस्कार कर दिए। जब भीड़ को धुआ उठने दिखा पूरी भीड़ उसे तरफ दौड़ी, अंग्रेज अधिकारी अधजले लाश को नदी में प्रवाहित करके भाग गए। आज जिनके बदौलत  हम सब आजाद भारत के खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उन अमर सपूतों का अंतिम संस्कार भी ठीक से नहीं हो पाया था। भारत विकास परिषद के सचिव जितेंद्र सिंह युवाओं को संबोधित करते हुए कहा हम सब का कर्तव्य बनता है। महापुरुषों पुरुषों को याद करें, उनके द्वारा किए गए आजादी के आंदोलन में उनके  बलिदान को लोगों तक पहुंचाएं। यह हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी  हमें अपने इतिहास अपने वीर सपूतों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया अमर शहीदों को याद करते हुए मन रोमांचित हो जाता है। अपने कठिन परिस्थिति में भी आजादी का जज्बा जगाए रखें, वह भी घूम सकते थे, आराम कर सकते थे, मस्ती कर सकते थे लेकिन नहीं, उनके अंदर राष्ट्रभक्ति था। हमको उसी को अपने दिलों में सजो के रखना है। परिचर्चा के दौरान डोमार सिंह राजपूत, तेजस त्रिपाठी, पंकज कुमार इलाहाबादी, श्री पुरंग, दयानंद चिट्टा, रानी बोई ,खुशी ग्वालियर, ऋतिक श्रीवास्तव, अनुराग, उद्योगपति सुभाष गुलाटी, डॉक्टर नवीन कौरा, सुबोध अग्रवाल, तुलसी भमवानी, हरदयाल सिंह, श्री चतुर्वेदी, डॉ ललित पोपट, प्रदीप डालमिया, संजय भाटिया आदि लोग परिचर्चा में शामिल रहे।