पाटन,दुर्ग . असल बात न्यूज़. जिला पंचायत,जनपद पंचायत,पंच- सरपंच के चुनाव के चलते क्षेत्र में लगातार बढ़ रही राजनीतिक सरगर्मी के बीच एक बड़...
पाटन,दुर्ग .
असल बात न्यूज़.
जिला पंचायत,जनपद पंचायत,पंच- सरपंच के चुनाव के चलते क्षेत्र में लगातार बढ़ रही राजनीतिक सरगर्मी के बीच एक बड़ी खबर है कि इस सीजन में किसानों ने अपेक्षाकृत कम धान बेचा है अथवा कहा जा सकता है कि इस साल यहां धान की खरीदी कम हुई है भूमि का उपयोग अब तेजी से बदल रहा है,जिसका धान की फसल पर भी असर दिख रहा है. दुर्ग जिले के पाटन विकासखंड के कई गांवों में भी इस साल धान की खरीदी अपेक्षाकृत कम हुई है.धान की कम खरीदी के बीच प्रशासन के द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि किसानों ने जितना टोकन लिया था सभी से धान की खरीदी की गई है. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सेलुद के अंतर्गत आने वाले नौ गांवो से लगभग 5 लाख 78 हजार 70 क्विंटल धान की खरीदी की गई है.
इतना धान यहां के फेकारी, उतई खोपली, मर्रा,गाडाड़ीह,सेलुद,सांतरा, फुंडा और बाकीगारका इत्यादि गांव से की गई है. इसमें से उतई की बड़ी कृषि भूमि आबादी जमीन में परिवर्तित होती जा रही है. वही खोपली,गाडाड़ीह, सांतरा और बोरीगारका जैसे गांव में कृषि भूमि को माइंस के उपयोग में लिया जाने लगा है.वही यह भी जानकारी सामने आई है कि फौती उठाने के बाद जो परिवर्तन हुआ है उसके बाद कतिपय दिक्कतों के चलते किसान फसल बेचने की सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार अपने वादे के अनुसार किसानों से प्रति एकड़ क्विंटल धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर कर रही है. और राज्य सरकार के द्वारा धान खरीदी पर निर्धारित समर्थन मूल्य के अतिरिक्त राशि भी प्रदान की जा रही है. कहा जा रहा है कि इसके चलते अब किसानों में धान की फसल लेने के प्रति रुझान बढा है और हर जगह बड़े पैमाने पर धान की समर्थन मूल्य पर बिक्री की जा रही है. लेकिन यहां अपेक्षाकृत समर्थन मूल्य पर कम धान के खरीदी हुई है.
जानकारी के अनुसार फेकारी गांव अभी 1370 पंजीकृत किसान हैं जहां से 76 हजार 557 क्विंटल धान बेचा गया है. यहां के फुंडा गांव में सबसे अधिक पंजीकृत कुल 1हजार 951 किसान है जहां से 1 लाख क्विंटल से अधिक धान बेचा गया है. बोरीगारका में 1435 पंजीकृत किसान हैं जबकि इस सीजन में वहां से समर्थन मूल्य पर लगभग 63 हजार क्विंटल धान बेचा गया है. खोपली में सबसे कम 701 पंजीकृत किसान हैं जहां से सिर्फ 26 हजार क्विंटल के आसपास धान बेचा गया है.
धान बेचने की मात्रा कम होने के पीछे यह भी जानकारी सामने आ रही है कि अब किसान सब्जियां भी बहुतायत में उगाते हैं. उसके साथ दूसरी फसल भी लेने लगे हैं जिससे उन्हें अधिक फायदा मिल रहा है.