O धान खरीदी, भुगतान, कस्टम मिलिंग में आ रहे हैं कई घोटाले सामने Oदुर्ग और बालोद जिले में विशेष प्रोत्साहन योजना की राशि के कमीशन की कौन...
Oधान खरीदी, भुगतान, कस्टम मिलिंग में आ रहे हैं कई घोटाले सामने
Oदुर्ग और बालोद जिले में विशेष प्रोत्साहन योजना की राशि के कमीशन की कौन वसूली करता था? को लेकर भी कई अटकलें
रायपुर.
असल बात न्यूज़.
छत्तीसगढ़ में कस्टम राइस मिलिंग घोटाला मामले का मुख्य आरोपी पकड़ा गया है. प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा इसे हिरासत में लिया गया है. आरोपी पर आरोप है कि उसने खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के दौरान चावल मिल मालिकों से अवैध रिश्वत वसूली की एक संगठित प्रणाली संचालित की.उस दौरान वह राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन का कोषाध्यक्ष था. आरोपी कुरुद जिला धमतरी का एक राइस मिलर है. कहा जा रहा है कि यह तो सिर्फ कुछ जिले में हुई अवैध वसूली के खिलाफ कार्रवाई है. प्रत्येक जिले में कस्टम राइस मिलिंग विशेष प्रोत्साहन योजना की राशि को देने के नाम पर भारी अवैध वसूली होने की जानकारियां सामने आ रही हैं जिससे दुर्ग, कोंडागांव, बालोद सहित और कई जिलों में भी गिरफ्तारियां होने की आशंका है.
प्रकरण के बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार ई डी ने इनकम टैक्स (आईटी) जाँच विंग रायपुर द्वारा दायर अभियोजन शिकायत के खुलासे के आधार पर जाँच शुरू की है. उसमें यह आरोप लगाया गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी ने छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ मार्केट के अधिकारियों के साथ मिलीभगत की और विशेष प्रोत्साहन योजना की राशि के दुरुपयोग की साजिश रची और करोड़ों रुपए की रिश्वत अर्जित की.
आरोप के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से खरीफ वर्ष 2021-22 तक धान की कस्टम मिलिंग के लिए चावल मिलर्स को ₹40 रु का विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया गया. और बाद में इसे अत्यधिक बढ़ा कर ₹120 प्रति क्विंटल कर दिया गया. और इसका भुगतान दो किश्तों में किया गया. प्रत्येक किश्त में ₹60 की राशि दी गई.
आरोप है कि तब छत्तीसगढ़ राज्य राइस मिलर संगठन के पदाधिकारी ने कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर के नेतृत्व में चावल मिलर्स से प्रत्येक कुंटल धान की मिलिंग के लिए रुपए ₹20 प्रति क्विंटल प्रति किस्त रिश्वत की रकम वसुलना शुरू कर दिया. जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन के द्वारा जिला विपणन अधिकारी डीएमओ को नगद राशि का भुगतान करने वाले चावल मिलर्स का विवरण भेज दिया जाता था. चावल मिलर्स के बिल प्राप्त होने पर डी एम ओ के द्वारा उसे जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन से प्राप्त विवरण की और उसके बाद पूरी जानकारी की किससे राशि मिली है और किससे नहीं की पूरी जानकारी मार्कफेड के मुख्य कार्यालय को उपलब्ध कराई जाती थी. मार्कफेड एम डी के द्वारा केवल उन्हें राइस मिलर्स के बिलों उपभोक्ता के लिए मंजूरी दी जाती थी जिसके द्वारा उक्त संगठन को नगद राशि का भुगतान कर दिया होता था.
जिस तरह के आरोप सामने आए हैं उसके अनुसार जिला राइस मिलर्स एसोसिएशन, चावल मिलर्स से अवैध रिश्वत की वसूली करते थे और उसे रोशन चंद्राकर या उसके व्यक्तियों को सौंपते थे. प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह बात सामने आई है की विशेष प्रोत्साहन राशि को ₹40 से बढ़कर 120 रुपए प्रति कुंतल करने के बाद लगभग 110 करोड रुपए से अधिक की रिश्वत राशि वसूल की गई. इस सब रिश्वत वसूली और उसके संचालन में रोशन चंद्राकर की मुख्य भूमिका सामने आई है.