बिलासपुर आम जनता का आक्रोश, डलहौजी कीहड़प्प नीति और चर्बी युक्त कारतूस का मिलाजुला परिणाम था, प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन ,जो 10 मई 1857 को प्रा...
बिलासपुर
आम जनता का आक्रोश, डलहौजी कीहड़प्प नीति और चर्बी युक्त कारतूस का मिलाजुला परिणाम था, प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन ,जो 10 मई 1857 को प्रारम्भ हुआ ,जिसकी नेतृत्व अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने किया ,प्लांनिग और संचार के अभाव से आंदोलन को आशातीत सफलता मिली और जिसका दूरगामी परिणाम हुआ ,आंदोलन से अंग्रेज अनहोनी भय से ग्रसित हो गए ,और भविष्य में अंग्रेजो को भारत छोड़ने की पृष्ठ भूमि तैयार हो गई, आंदोलन में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए बहादुर शाह जफर ,जिनके तीन पुत्रो की हत्या कर उनके सिर को तश्तरी में तोहफे के तौर पर दिया गया और उन्हें निर्वासित कर रंगून भेज दिया गया ,इस आंदोलन के ठीक 90 वर्ष बाद देश आजाद हुआ।
कार्यक्रम में संयोजक ज़फ़र अली,हरीश तिवारी, त्रिभुवन कश्यप, विनोद शर्मा,माधव ओत्तालवार, विनोद साहू, मनोज शर्मा, राजेश शर्मा,वीरेंद्र सारथी,गणेश रजक,दिनेश सूर्यवँशी,अंजलि यादव,बिनु लहरे, अलीशा लहरे, प्रिया शर्मा, जगदीश कौशिक,सत्येंद्र तिवारी,तिलेश्वर शर्मा, गौरव एरी आदि उपस्थित थे।
ऋषि पांडेय,प्रवक्ता शहर