बिलासपुर, दुर्ग. असल बात news 0 विधि संवाददाता भिलाई के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड मामले में उच्च न्यायालय बिलासपुर ने आर...
बिलासपुर, दुर्ग.
असल बात news
0 विधि संवाददाता
भिलाई के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड मामले में उच्च न्यायालय बिलासपुर ने आरोपियों को बरी कर दिया है. ये आरोपी पिछले लगभग 8 वर्षों से जेल में थे जिन्हें दोष मुक्त घोषित कर दिया गया है. यह पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्षयों पर आधारित था. न्यायालय ने माना कि साक्षयों की कड़ियां एक दूसरे से जुड़ती नहीं है. वही अपराध करने का कोई स्पष्ट हेतुक भी नजर नहीं आता है. उच्च न्यायालय के द्वारा अपने फैसले में आरोपियों को जेल से बरी करने को कहा गया है.
प्रकरण में उच्च न्यायालय के समक्ष इसमें दोष मुक्ति के लिए आरोपियों विकास जैन और अजीत सिंह की ओर से एक Criminal Appeal औऱ दूसरी बरी किए गए आरोपी किम्सी कंबोज जैन के खिलाफ criminal misc.पेटिशन और मृतक के पिता आई पी मिश्रा के द्वारा Acquittal Appeal फाइल की गई थी. माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा दोनों प्रकरणों को एक साथ लेकर फैसला सुनाया गया. प्रकरण में माननीय उच्च न्यायालय ने 5 दिसंबर 2023 को फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसे आज सुनाया गया है.
प्रकरण में आरोपी विकास जैन और अजित सिंह.की सजा के खिलाफ अपील की गई,आपराधिक विविध. याचिका संख्या 816/2021 और 2021 की बरी अपील संख्या 224, दोनों सह-अभियुक्त किम्शी कंबोज (जैन) को बरी करने के खिलाफ हैं। उल्लेखनीय है कि सत्र न्यायाधीश, दुर्ग, के द्वारा प्रकरण में अपीलकर्ता विकास जैन और अजीत सिंह को दोषी ठहराया गया और आरोपियों को धारा 302 के तहत अपराध धारा 34, 120-बी और 201 के तहत जिंदगी की अंतिम सांस चलने तक के कारावास की सजा सुनाई गई थी. वहीं उच्च न्यायालय बिलासपुर के समक्ष इसमें सह-आरोपी किम्शी कंबोज (जैन) को बरी करने के फैसले के खिलाफ अपील की गई थी.
अभियोजन पक्ष के अनुसार यह पूरा मामला मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि तीनों आरोपी हैं. आरोपियों के द्वारा हत्या की साजिश रची गयी.इसके बाद उन्होंने अभिषेक मिश्रा फ्लैट नं.18, जी-11, चौहान टाउन, भिलाई, जिला दुर्ग,को टेनिस लीग टूर्नामेंट के प्रायोजन के लिए बातचीत करने के उद्देश्य से बुलाया और फिर उसके सिर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया, उसका मुंह कपड़े से बंद कर दिया।उसके शरीर को एयर बबल शीट से लपेट दिया और उसके हाथ-पैर बांध दिए रस्सी डालकर उसके शव को मकान नंबर 12, प्लॉट नंबर 80, स्मृति नगर, भिलाई के किचन गार्डन में दफना दिया।
माननीय उच्च न्यायालय ने पाया कि मामले के कुछ निर्विवाद तथ्य ये हैं कि बरी हुई आरोपी किम्शी कंबोज (जैन) सह आरोपी विकास जैन की पत्नी है एवं अभियुक्त अजीत सिंह उक्त बरी किये गये आरोपी किम्शी का चाचा है.
वर्तमान मामले में, कॉल डिटेल के अलावा कानूनी रूप से कोई अन्य नहीं
अभियोजन पक्ष द्वारा विरूद्ध स्वीकार्य साक्ष्य प्रस्तुत किये गये
आरोपी किम्शी कंबोज से पूछताछ में उसे अपराध से जोड़ने के लिए कहा गया है।
इसके अलावा, किम्शी कंबोज की DW-1 के रूप में जांच की गई और एक प्रस्तुत किया गया
दस्तावेज़ Ex.D/24, जो उसका डिस्चार्ज प्रमाणपत्र है
धन्वंतरी अस्पताल, नेहरू नगर, भिलाई। उसने यह बात साबित कर दी है
12.10.2015 यानी कथित घटना की तारीख से करीब 28 दिन पहले
उन्होंने सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए एक बेटे को जन्म दिया
धन्वंतरी हॉस्पिटल, नेहरू नगर, भिलाई से डिस्चार्ज किया गया
15.10.2015 को अस्पताल ने कहा। घटना दिनांक से एक दिन पूर्व कब उसके बेटे की तबीयत ठीक नहीं थी, वह उसे धन्वंतरि के पास ले गई है. माननीय न्यायालय ने माना कि हॉस्पिटल दिनांक 09.11.2015 को प्रातः जो कि Ex.D/40 से प्रमाणित है। यह इस बात पर विचार करना बहुत मुश्किल है कि एक महिला जिसने अभी-अभी बच्चे को जन्म दिया है,वह भी सिजेरियन द्वाराऑपरेशन, घटना दिनांक से 28 दिन पहले, वर्तमान जैसे अपराध में शामिल हो सकता है और साजिश रच सकता है
अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ. इसका रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है कि वह घटना के दिन घटनास्थल पर मौजूद थी।
इस तथ्य पर ध्यान में रखा गया कि प्रकरण में साक्षयों के तौर पर फोन कॉल डिटेल के अलावा कोई अन्य साक्षय प्रस्तुत नहीं किया गया है.
माननीय उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपी किम्शी कंबोज के खिलाफ उसे अपराध में शामिल करने के लिए प्रस्तुत किये गये साक्ष्य को
ट्रायल कोर्ट ने यह मानते हुए कि केवल फोन कॉल विवरण के आधार पर वह नहीं हो सकती यशिका को डिसमिस कर दिया कर दिया है.
प्रकरण में अधिवक्ता उमा भारती साहू और अनिल टावडकर ने अपीलकर्ता किम्सी जैन की ओर से पेरवी की.
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