भिलाई, दुर्ग। असल बात न्यूज़।। 00नगर संवाददाता / field report विशालकाय पानी टंकी के भरभरा कर ढह जाने के हादसे को भिलाई आसानी से नह...
भिलाई, दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।
00नगर संवाददाता /field report
विशालकाय पानी टंकी के भरभरा कर ढह जाने के हादसे को भिलाई आसानी से नहीं भूलेगा।ये पानी टंकियां कुछ मिनटो में धूल में मिल गई। इस्पात नगरी भिलाई जहां श्रमिकों के तप परिश्रम से लोहा भी पिघल कर पानी के जैसे बहता है और पूरी दुनिया में भिलाई का नाम रोशन करता है,वहां स्थानीय निवासियों की बुनियादी जरूरत को पूरा करने वाली पानी टंकी ढह गई। कम मेहनत से अधिक मुनाफा की सोच से उभरी अव्यस्थाओं का भिलाई को नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रबंधन और प्रशासन को अब लग रहा है कि और कई सारी टंकियां जर्जर हो सकती हैं इसके बाद टाउनशिप के सेक्टर 1 और सेक्टर 5 की टंकियों में पानी नहीं भरने का निर्णय ले लिया गया है। जो हालात अब बन गए हैं उसे टाउनशिप के कई क्षेत्रों में लोगों को कई दिनों तक पानी की समस्या से जुड़ना पड़ सकता है। इस संकट की घड़ी में विभिन्न राजनीतिक दल और तमाम स्वास्थ्य सेवी संगठन आगे आकर लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने की कोशिशें में लग गए हैं।
मृतप्राय व्यवस्थाओं से भिलाई की तमाम व्यवस्था बिगड़ रही है। लोगों के बीच सवाल है कि उन टंकियों को ढह जाने से क्या बचाया जा सकता था। इस पर लोगों की अलग-अलग राय है। अभी तक जो जानकारी है इन टंकियां के निर्माण को 50 साल से अधिक का समय हो गया है। और 50 साल बीत जाने के बाद संभवता इन टंकियां की उम्र पूरी हो गई है। इसी के चलते इन टंकियों के ढह जाने का काफी पहले से खतरा पैदा हो गया था और टंकियां अंततः ढह गई। फिर वही सवाल उठता है अगर कहीं भी आशंका थी कि टंकियां रह जाएगी बेजार्जर हो गई हैं अब उनके आगे इस्तेमाल करना खतरे से खाली नहीं है तो फिर इसके बचाव के लिए क्या उपाय किए गए। ऐसी आशंका होने के बावजूद क्यों चुप्पी साधे रखी गई और लोगों को खतरे में डाला गया ? कहा जा सकता है कि इन सब के लिए जिम्मेदार मृतप्राय व्यवस्थाएं ही हैं।मृतप्राय व्यवस्थाओं के दौर में अनहोनी की आशंका को भी नजर अंदाज करने का लापरवाह सिलसिला शुरू हो जाता है। मरम्मत करने के कार्य में अधिक कुछ गुंजाइश नहीं रहती,तो बल वाले भी यह पूछने नहीं पहुंचते हैं कि मेरे क्षेत्र में ऐसा क्यों हो रहा है और क्या कर रहे हो।
भिलाई में दो विशालकाय पानी टंकियों के ढह जाने की घटना की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दे रही है। पानी टंकी के गिर जाने के बाद कई सारी नई दिक्कतें भी खड़ी हो गई हैं। उस क्षेत्र में लोगों को दो टाइम का पानी निश्चितता से मिल जाता था, अब वह नहीं मिल रहा है। स्थानीय निवासियों के सामने पानी के लिए टैंकरों के आगे लाइन लगाने की नौबत पड़ रही है। कई जगह तो टैंकर पहुंच ही नहीं पा रहा है। सुविधाएं कम है इसलिए अचानक आई विपदा में ऐसी दिक्कतें स्वाभाविक है। जानकारी के अनुसार टाउनशिप के इस क्षेत्र में भी कई घरों में लोगों ने निजी खर्चे से बोरिंग लगा ली है जिससे आसपास पानी की असुविधा नहीं हो रही है। संयंत्र प्रबंधन की टीम, स्थिति को सामान्य करने में लगी हुई है। अभी शायद,मरोड़ा फिल्टर प्लांट से पानी टंकियों में ना भेज कर पाइपलाइन के माध्यम से सीधे घरों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इससे जर्जर पानी टंकियां में पानी भरने के खतरे से होने वाले नुकसान बचने की कोशिश की जा रही है। वही मरम्मत और सुधार कार्य बिस्तर पर चल रहा है जिससे पाइपलाइन के माध्यम से हर घर तक पानी पहुंचाने के काम में अभी एक-दो दिन का समय और लग सकता है। सेक्टर 4 में जहां भरभरा कर टंकी ढह गई है उसके नीचे ही उसका वाल्ब है जिसे मरम्मत के काम में लगी टीम के लगातार प्रयासों के बाद खोज कर निकाल लिया गया है जोकि भारी मलबे के नीचे दब गया था। इस वाल्व को खोजने और बाहर निकालने के लिए टीम घटना के पहले दिन से ही लगी हुई थी।
भिलाई,ढहने उजड़ने के दौर को दिख रहा है। इस्पाती शिक्षित नौजवानों के बेरोजगारी का और उनके पलायन का दौड़ देख रहा है। टाउनशिप वासी कार्मिक तमाम सुविधाओं की कमी के दौर को देख रहे हैं।ढह जाने को आतुर और अभी भी ले देकर-खड़े क्वार्टर, व्यवस्थाओं की कमी को चिढ़ाते नजर आ रहे हैं कि हम हैं तो है दम। हम सीना टांगे खड़े हैं।वे सब अपने दम पर अब भी खड़े हैं। गिरे नहीं।
इन सब के बीच राज्य शासन के द्वारा कुछ पानी टंकियां को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है। यहां लोगों से आस-पास नहीं आने जाने की अपील की गई है। ताजा हालातो में लग नहीं रहा है कि,भिलाई का सुनहरा दौर वापस आ रहा है। अब तो अतिक्रमण कारियों का दौर दिख रहा है, क्वार्टर्स पर कब्जे कर लेने और गुंडागर्दी कर उनसे किराया वसूलने वालों का दौर दिख रहा है। ऐसे में तो सूरत बिगड़ती ही जाने वाली है।