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"बेड टच" कर लगातार प्रताड़ित करने वाले मौलाना को 5 साल के सश्रम कारावास की सजा, अरबी भाषा का ट्यूशन पढ़ाता था मौलाना,नौ वर्षीय बालक के कान में बोलता था 'मैं तुमसे प्यार करता हूं'

' पोक्सो एक्ट' के प्रकरण में 6 महीने के भीतर फैसला, गंभीर मामले में न्यायालय ने तेज गति से पूरी की कार्रवाई दुर्ग। असल बात न्यूज़।। ...

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'पोक्सो एक्ट' के प्रकरण में 6 महीने के भीतर फैसला, गंभीर मामले में न्यायालय ने तेज गति से पूरी की कार्रवाई

दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।   

   00  विधि संवाददाता   

नौ वर्षीय बालक को 'बेड टच' कर कई दिनों से प्रताड़ित करने, 'मैं तुमसे प्यार करता हूं' जैसे गंदे शब्द बोलने वाले मौलाना को यहां 5 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। वह मौलाना पीड़ित बालक को अरबी भाषा का ट्यूशन पढाता था। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ एफटीएससी विशेष न्यायालय दुर्ग, श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि इस गंभीर मामले में बहुत तेज गति से सुनवाई और विचारण करते हुए न्यायालय ने सिर्फ 6 महीने के भीतर न्याय कर दिया है। आरोपी गिरफ्तारी के बाद से 22 जून तक न्याय हिरासत में रहा है। 

यह गंभीर मामला दुर्ग जिले के सुपेला भिलाई थाना क्षेत्र के अंतर्गत का है। न्यायालय ने इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया,इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि प्रकरण में सिर्फ 6 महीने के भीतर न्याय कर दिया गया है। अरबी भाषा का ट्यूशन पढाने वाले आरोपी ने उक्त कृत्य सिर्फ 9 वर्षीय  अप्राप्तवय अभियोक्त्री के साथ कारित किया है। अभियुक्त, अभियोक्त्री को उसके घर में अरबी भाषा का ट्यूशन पढाता था। अभियोक्त्री, कई दिनों पहले से काफी डरी सहमी रहती थी। उसका व्यवहार देखकर उसके परिवार के सदस्य परेशान थे। 

अभियोजन के अनुसार मामले के तथ्य इस प्रकार है कि परिवार के सदस्यों ने पीड़ित बालक से उसकी परेशानी का कारण पूछते थे। अभियोक्त्री ने एक दिन घटना के तुरंत बाद अपनी माता को अभियुक्त के कृत्य के बारे में जानकारी दी। न्यायालय के द्वारा आरोप पढ़कर सुनाए जाने पर अभियुक्त ने अपराध करना अस्वीकार कर  प्रतिरक्षा चाही थी। उसने अभियोजन कथा को अस्वीकार करते हुए स्वयं को निर्दोष होने का अभिवाक किया।

न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान बचाव पक्ष के द्वारा अभियोक्त्री की जन्म तिथि को कोई चुनौती नहीं दी गई। न्यायालय ने अखंडित  साक्षयों एवं दस्तावेजों के आधार पर अभियोक्त्री की जन्म तिथि 30 नवंबर 2013 होना प्रमाणित पाया। न्यायालय में बचाव पक्ष के विद्वान अभिभाषक द्वारा यह तर्क दिया गया कि घटना के संबंध में कोई चक्षुदर्शी साक्षी नहीं है जिसने अभियुक्त को अभियोक्त्री के साथ छेड़छाड़ करते हुए देखा हो। बचाव पक्ष की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि अभियोक्त्री एक बाल साक्षी है, उसके एकमात्र अभि साक्षय के आधार पर दोषसिद्ध आधारित नहीं किया जा सकता। 

न्यायालय ने माना कि अभियोक्तरी के द्वारा अपनी माता को घटना की जानकारी तत्काल देने का तथ्य एक सुसंगत एवं ग्राह्या साक्ष्य है। अभियोक्तरी के पिता के अभिसाक्षय से भी इसकी पुष्टि होती है। प्रति परीक्षण के दौरान एक साक्षी ने बचाव पक्ष के इस तर्क को सिरे से खारिज किया कि अभियोक्त्री के पिता ने अभियुक्त के ट्यूशन की फीस नहीं देने के कारण झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई। बचाव पक्ष की ओर  से यह बचाव लिया गया कि अभियुक्त को 2 महीने से ट्यूशन की फीस नहीं दी गई थी और उसके द्वारा ट्यूशन की फीस मांग किए जाने पर ट्यूशन फीस देने से बचने के लिए उक्त रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पीड़िता के पिता ने इस तर्क को सिरे से खारिज करते हुए न्यायालय को बताया कि अभियुक्त के द्वारा सिर्फ एक माह से ट्यूशन पढ़ाया जा रहा था।

न्यायालय ने 22 वर्षीय वयस्क युवक के द्वारा शिक्षक होते हुए भी, 9 वर्ष की अप्राप्तवय बालिका अभियोक्त्री के साथ  गुरुत्तर लैंगिक हमले जैसा घृणित अपराध करने के लिए उसे परीविक्षा अधिनियम का लाभ देना उचित नहीं माना।

न्यायालय ने अभियुक्त को दोष सिद्ध  पाए जाने पर लैंगिक अपराध से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 10 के अपराध में 5 वर्ष के सश्रम कारावास और धारा 12 के अपराध में 1 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह दोनों सजाएं समानांतर रूप से भुगताने का आदेश दिया गया है। 

अभियोजन पक्ष की ओर से मामले में विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की।



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