Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

स्वरूपानंद महाविद्यालय मे सात दिवसीय रिसर्च डेवलपमेंट कार्यशाला का समापन

  भिलाई। असल बात न्यूज़।।    स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय मे शिक्षा विभाग, आईक्यूएसी एवं रिसर्च कमेटी के संयुक्त तत्वाधान मे स...

Also Read

 भिलाई।

असल बात न्यूज़।।   


स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय मे शिक्षा विभाग, आईक्यूएसी एवं रिसर्च कमेटी के संयुक्त तत्वाधान मे सात दिवसीय रिसर्च डेवलपमेंट कार्यशाला का समापन हुआ जिसका विषय. ‘रिसर्च स्टैटिकल एनालिसिस‌’ था। सात दिवसीय रिसर्च डेवलपमेंट कार्यशाला का समापन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। जिसमें कार्यक्रम की संयोजिका डॉक्टर शैलजा पवार ने प्रथम दिन रिसर्च सांख्यिकी गणना एवं विशलेषण के अन्तर्गत ‘केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप’ में माध्य निकालना बताया।

वर्गीकृत एवं अवर्गीकृत आंकड़ों से एवं उनकी उपयोगिता तथा परिणाम का विश्लेषण करना बताया । महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापकगण, पीएचडी रिसर्च स्कॉलर,  एम.एड. विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से सवाल द्वारा उन्हें अभ्यास कार्य देकर सिखाया गया, जिससे उन्हें लाभ हुआ जो उनके रिसर्च कार्य में सहायक सिद्ध होगा, साथ ही यह भी बताया गया कि किस प्रकार की रिसर्च समस्या में कौनसा सांख्यिकी लगेगा एवं किस प्रकार उनके परिणाम का विश्लेषण किया जाता है। कार्यक्रम के  द्वितीय दिन  ‘बहुलक’ निकालना वर्गीकृत एवं अवर्गीकृत आंकड़ों से बताया गया साथ में अभ्यास कार्य भी करवाया गया। कार्यक्रम के तृतीय दिन ‘सहसंबंध’ निकालना बताया गया जिससे ज्ञात हो  की किसी समस्या में एक चर का दूसरे चर से कैसा ‘सहसंबंध’ है, धनात्मक  सहसंबंध, ऋणात्मक सहसंबंध,  या शून्य  सहसंबंध  एवं परिणाम की व्याख्या  करना बताया गया  यदि  सही तरीके से सांख्यिकी गणना एवं विश्लेषण किया जाय तो  सही परिणाम प्राप्त होता है और यह समाज के लिए लाभदायक एवं उपयोगी होता है। कार्यशाला के चतुर्थ दिन सांख्यिकी ‘टी - मूल्य’ की गणना करना बताया गया जिसमें एक चर का दूसरे चर पर क्या प्रभाव पड़ता है देखने के लिए यह सांख्यिकी लगाया जाता है एवं इसमें दोनों चरों के मध्य मानो के बीच अंतर की सार्थकता देखी जाती है । परिणाम का विश्लेषण करना भी बताया गया । कार्यशाला के पांचवे दिन सांख्यिकी में ‘एनोवा’ द्वारा गणना करना बताया गया। किसी रिसर्च समस्या में दो से अधिक चर होने पर एक चर का अन्य चरों पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कैसे किया जाता है एवं परिणाम का विश्लेषण सार्थकता स्तर पर कैसे देखा जाता है निकालना बताया गया एवं परिणाम की व्याख्या किस प्रकार करें यह भी बताया गया। इसका अक्सर उपयोग कॉन्पिटिटिव परीक्षा परिणाम में किया जाता है। कार्यशाला के छठी दिन प्रतिशतांक प्वाइट, प्रतिशतांक रैंक निकालना बताया गया एवं परिणाम विश्लेषण किस प्रकार करें यह बताया गया । इसका उपयोग गैट, कैट, नीट परीक्षा परिणाम निकालने में किया जाता है। कार्यशाला के अंतिम दिन  समापन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें प्रथम दिन से अंतिम दिन तक जिन सांख्यिकी सूत्रों का  उपयोग किया गया उन्हें प्रत्यस्मरण किया गया एवं प्रश्नकाल में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर, प्रध्यापकों एवं विद्यार्थियों के प्रश्नों का समाधान एवं संशय को दूर किया गया । कंप्यूटर विभाग की सहायक प्राध्यापक श्रीमती श्रीलता मैडम ने प्रश्न किया कि यदि बहुलक निकालते समय उच्चतम आवृत्ति वाली दो संख्याएं, उच्चतम एवं बराबर प्राप्त हो तो हम कैसे बहुलक ज्ञात करेंगे  उसके जवाब में बताया गया कि तब बहुलक के लिए  अलग सूत्र उपयोग में लाया जाता हैं।  शिक्षा विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉक्टर दुर्गावती मिश्रा मैडम ने पूछा कि सहसंबंध गुणांक का मान एक से ज्यादा आ जाए तो क्या होगास जवाब में बताया गया कि वह उत्तर  गलत होगा क्योंकि सहसंबंध का मान प्लस, माइनस, वन से ज्यादा नहीं होता कंप्यूटर विभाग की विभागाध्यक्ष श्रीमती रुपाली खर्चे मैडम ने पूछा कि टी मूल्य का मान सार्थकता स्तर पर ही क्यों देखा जाता है और कौन सा मान इसमें से उत्तम होता है, जवाब में कहा गया कि सार्थकता स्तर पर ही टी मूल्य का मान देखा जाता है इसमें से सार्थकता स्तर 0.01 उत्तम होता है  रिसर्च में ज्यादा शुद्ध मान प्राप्त होता है । शिक्षा विभाग की सहायक अध्यापक डॉक्टर पूनम शुक्ला ने पूछा कि सहसंबंध का मान प्लस माइनस वन के बीच क्यों वेरी करता है इसके उत्तर में कहा गया की सहसंबंध  का मान प्लस माइनस वन  के मध्य ही देखा जाता है। पीएचडी रिसर्च स्कॉलर   सुगंधा  ने पूछा कि जब आंकड़ों की संख्या तीस से कम हो तब हम कौन सा सहसंबंध सूत्र का प्रयोग करते हैं, इसके जवाब में बताया गया कि जब आंकड़ों की संख्या 30 से कम होती है तो सहसंबंध रैंक डिफरेंस स्पियरमैन मेथड का प्रयोग किया जाता है।

 महाविद्यालय के कार्यकारिणी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने रिसर्च डेवलपमेंट कार्यशाला करवाने पर शिक्षा विभाग को बधाई दी । महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ  हंसा  शुक्ला ने आरडीपी कार्यशाला को प्रध्यापकों, पीएचडी रिसर्च स्कॉलर एवं एम.एड. के रिसर्च विद्यार्थियों के लिए लाभप्रद बताया । महाविद्यालय के उप प्राचार्य डॉ अज़रा हुसैन ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से पीएचडी स्कॉलर, प्राध्यापकों,  एम.एड. विद्यार्थियों को रिसर्च कार्य करने में मदद मिलेगी। 

इस अवसर पर महाविद्यालय के विभिन्न विभागों कें प्राध्यापकगण, पीएचडी स्कॉलर, एम.एड. विद्यार्थी उपस्थित थे जिन्होंने इस अवसर का लाभ उठाया शिक्षा विभाग के समस्त प्राध्यापकगण उपस्थित थे एवं सहयोग प्रदान किया।