दुर्ग। असल बात न्यूज़।। 00 विधि संवाददाता लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अपराध में दोष सिद्ध पाए जाने पर अभि...
दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।
00 विधि संवाददाता
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अपराध में दोष सिद्ध पाए जाने पर अभियुक्त को 20 साल की सजा सुनाई गई है। न्यायालय ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए दंड देने में अभियुक्त के प्रति कोई सहानुभूति पूर्वक विचार करना उचित नहीं माना।अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायालय श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने उक्त सजा सुनाई है। न्यायालय ने पीड़ित अभियोक्तरी के पुनर्वास के लिए क्षतिपूर्ति देने की भी अनुशंसा की है।
यह घटना दुर्ग जिले के मोहन नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत 23 जून 2021 की है जिसमें दूसरे दिन मोहन नगर थाने में एफ आई आर दर्ज कराई गई।अभियोजन के अनुसार प्रकरण के तथ्य इस प्रकार है कि प्रार्थी के द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई गई कि उसकी नाबालिग पुत्री 24 जून 2021 को शाम 4:00 बजे जन्मदिन पार्टी में शामिल होने जा रही हूं बोल कर घर से निकली थी जो वापस नहीं लौटी। आसपास एवं रिश्तेदारों में पता करने पर भी उसका पता नहीं चला। बाद में 19 जुलाई 2021 को अभियोक्तरी को बरामद किया गया।
प्रकरण में विचारण एवम सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अभियुक्त के विरुद्ध आरोप को युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित पाया कि अभियुक्त के द्वारा अवयस्क अभियोक्तरी को अयुक्त संभोग करने के आशय से उसके विधि पूर्ण संरक्षक उसके माता-पिता के संरक्षकता में से अवैधानिक रूप से उनकी सहमति के बिना उसे बहला-फुसलाकर उसका व्यपहरण किया गया और उसके साथ एक से अधिक बार बलातसंग एवं गुरुत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला कारित किया गया।
न्यायालय के समक्ष बचाव पक्ष की ओर से अभियोक्तरी के जन्मतिथि पर सवाल खड़ा किया गया तथा तर्क लिया गया कि अभियोक्त्री की उम्र दाखिल खारिज पंजी में दर्ज जन्मतिथि को इंद्राज करने वाले शिक्षक के द्वारा प्रमाणित नहीं कराया गया है। अभियोक्तरी के पिता भी उसकी जन्मतिथि बताने में असमर्थ रहे हैं। आसीफिकेशन टेस्ट में उसकी उम्र अट्ठारह उन्नीस वर्ष होना ही पाया गया है। इस प्रकार अभियोजन पक्ष निश्चचायक साक्षय के माध्यम से अभियोक्तत्री की उम्र प्रमाणित करने में असफल रहा है।
न्यायालय ने बचाव पक्ष के इस तर्क को स्वीकार योग्य नहीं माना। न्यायालय ने अभियुक्त को दोषी पाए जाने पर लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास और ₹5हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।