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छत्तीसगढ़ में कैम्पा का बुरा हाल, हर साल हो रही है राशि में कटौती, पिछला बकाया भी काफी अधिक,

  रायपुर । असल बात न्यूज़।।  वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण कैम्पा के द्वारा किए जाने वाले   क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण प्रबंधन क्षेत...

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 रायपुर ।

असल बात न्यूज़।। 

वनारोपण निधि प्रबंधन व योजना प्राधिकरण कैम्पा के द्वारा किए जाने वाले क्षतिपूरक वनीकरण, जलग्रहण प्रबंधन क्षेत्र का उपचार, वन्य जीव प्रबंधन, नरवा तथा वनों में आग लगने से रोकने के उपाय इत्यादि कार्यों के बारे में छत्तीसगढ़ में अच्छी खबर नहीं है। कहा जा रहा है कि पिछले कई वर्षों से इस राज्य में इस योजना को लगातार आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। दावे के साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि आर्थिक संकट के चलते इस योजना के कई काम ठप्प पड़ गए  है। छत्तीसगढ़ मानव से आच्छादित राज्य माना जाता रहा है लेकिन ऐसी परिस्थिति में उसके हरियाली गुम हो जाने की आशंका है। 

छत्तीसगढ़ राज्य की हरे-भरे वनों से आच्छादित अंचल के रूप में हमेशा से पहचान रही है। यहां के वनों में सागौन,  साल, , साखू, शीशम, चंदन, कुसुम, पलास, ढाक हर्ड, बहेडा, आंवला, बाँस, शहतूत, गूलर, महुआ और हल्दू इत्यादि के पेड़ पौधे बहुतायत में पाए जाते हैं।साल के पेड़ आदिवासियों के लिए पूजनीय है।इसको आदिवासियों का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है। साल छत्तीसगढ़ का राजकीय वृक्ष है।साल को बस्तर में सरई भी कहा जाता है । पिछले वर्षों के दौरान छत्तीसगढ़ के ज्यादातर इलाकों में साल कूप की कटाई, वनों में अतिक्रमण व अवैध कटाई की वजह से साल के जंगल खत्म हो रहे हैं।भारत सरकार द्वारा जारी गाईड लाईन के अनुसार विभिन्न संस्थानों द्वारा जमा की गई राशि के योजनाबद्ध उपयोग हेतु राज्य क्षतिपूर्ति वनीकरण, कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (राज्य कैम्पा) (Compensatory Afforestation Fund Management & Planning Authority-CAMPA) का गठन 24 जुलाई 2009 में किया गया है। एड्हाक कैम्पा नई दिल्ली से राज्य कैम्पा को ए.पी.ओ. 2009-10 से 2015-16 तक कुल रू.1293.24 करोड़ की राशि विमुक्त  की गयी। ए.पी.ओ. वर्ष 2009-10 से 2017-18 तक प्राप्त राशि को वर्ष 2018 तक पूर्ण रूप से उपयोग कर लिया गया है।

यहां तक तो सब ठीक ही नजर आता है लेकिन इसके बाद से  कई मामलों में कैम्पा की स्थिति  बदली हुई नजर आती  हैं। राज्य में कैमपा के लिए एलॉट होने वाली राशि साल दर साल लगातार कम होती जा रही है। जानकारी तो यह भी मिली है कि कैंपा के अंतर्गत राज्य के विभिन्न जिलों में लगभग ₹2000 के  कार्य पिछले वर्षों के दौरान करा लिए गए हैं लेकिन इसके लिए राशि अभी तक एलॉट नहीं हुई है। इसकी वजह से कई सारी दिक्कतें पैदा हो गई है। जानकारी यह भी आ रही है कि नेशनल campa से तो राशि अलाट कर दी जा रही है लेकिन स्टेट गवर्नमेंट् छत्तीसगढ़ से इस मद में कम राशि एलॉट की जा रही है।इस वजह से समस्याएं पैदा हुई है। अब राशि नहीं आ रही है तो स्वाभाविक रूप से योजना के कई कार्यो में कटौती की जा रही हैं और कई कार्य नहीं हो पा रहे हैं। कई कार्य आधे अधूरे में लटक गए हैं। बताया जा रहा है कि इस का  सर्वाधिक बुरा प्रभाव राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा के कार्यों पर भी पड़ा है। नारवा योजना के भी कई कार्यों के भी आधे अधूरे में लटक जाने की जानकारी मिली है।

विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार naitionl campa के द्वारा वर्ष दो हजार अट्ठारह उन्नीस से वर्ष 2023 24 तक कुल 5999 करोड़ रुपए की राशि अलाट की गई है। लेकिन राज्य सरकार के पास यह राशि आने के बाद इसी अवधि में अब तक सिर्फ ₹2700 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। वित्त वर्ष 2320 के लिए राज्य के वन विभाग ने 544.40करोड़ रुपए के कार्यों का प्रस्ताव सेंट्रल गवर्नमेंट को भेजा था। लेकिन इसमें से सेंट्रल से ही सिर्फ471.36 करोड़ रुपए के कार्यों के स्वीकृत होने की जानकारी मिली है। इस बार सेंट्रल से ही राशि एलॉट करने में कमी कर दी गई है। राशि कम होती जा रही है तो इसका बुरा असर छत्तीसगढ़ के जंगल पर भी पड़ता दिख रहा है। वन वैसे ही अतिक्रमण और अंधाधुंध कटाई से जूझ रहे हैं। वन प्रबंधन के काम रुकने से छत्तीसगढ़ की हरियाली भी गुम होती नजर आने लगी है।

Campa के अंतर्गत वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत विभिन्न संस्थानो को हस्तांतरित वन भूमि के बदले में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण का कार्य किया जाता है। वर्ष 1980 से अद्यतन स्थिति तक कुल 64446 हे. क्षेत्र में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण का लक्ष्य निर्धारित है, जिसमें से 51922 हे. क्षेत्र में (वर्ष 1980 से 2010 तक 23430 हे. तथा 2010 से 2018 तक 28492 हे.) क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण किया गया है। फिलहाल कम बजट होने के बावजूद इन कार्यों पर विपरीत असर नहीं पड़ा है।वर्ष 2009-10 से वर्ष 2017-18 तक कुल 22160 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण (सिंचित वृक्षारोपण, विशेष प्रजाति वृक्षारोपण, ग्राम वन, मितव्ययी एवं बाँस वृक्षारोपण आदि) संपन्न किये गये इसके साथ ही विभिन्न मार्गों में 898 किलोमीटर लंबाई में सड़क किनारे वृक्षारोपण का कार्य किया गया है। वन प्रबंधन के अंतर्गत campa मद से जो काम शुरू किए गए थे उसका सकारात्मक प्रभाव भी नजर आता है लेकिन अब यह काम रुक रहे हैं तो वनों की हरियाली गायब होने लगी है।