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धान खरीदी में किसका पैसा !:केंद्र 1 किलो धान भी नहीं खरीदता

  धान खरीदी में पैसा राज्य सरकार देती है या केंद्र सरकार इस मसले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेता आमने-सामने है । अब प्रदेश कांग्रेस अध्य...

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धान खरीदी में पैसा राज्य सरकार देती है या केंद्र सरकार इस मसले को लेकर भाजपा और कांग्रेस के नेता आमने-सामने है । अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भाजपा प्रमुख अरुण साव के बयानों पर पलटवार किया है। दरअसल अरुण साव ने कहा था कि राज्य में जो भी धान खरीदी होती है सारा पैसा केंद्र देता है। अब इसके जवाब में मोहन मरकाम ने दावा किया है कि राज्य सरकार अपने दम पर धान खरीदी करती है केंद्र कुछ नहीं करता।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा धान खरीदी पर लगातार झूठ बोल रही है। भाजपा अध्यक्ष अरुण साव झूठा दावा कर रहे है कि केंद्र सरकार धान खरीदी का बारदाना, सुतली और ट्रांसपोर्टिंग तक का पैसा देती है। जबकि हकीकत यह है कि केंद्र सरकार 1 किलो भी धान की खरीदी नहीं करती है, राज्य सरकार अपने दम पर मार्कफेड के माध्यम से धान की खरीदी करती है। केंद्र का इसमें एक रू. का भी योगदान नहीं है। केंद्र अपनी आवश्यकताओं के लिए राज्य से चावल खरीदता है। छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों के कारण किसानों को देश में सबसे ज्यादा धान की कीमत 2640 और 2660 रू. मिल रही है।

भाजपा की वजह से एकमुश्त भुगतान नहीं

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि किसानों को धान की कीमत 2640 और 2660 रू. जो मिला उसके पीछे कांग्रेस की राजीव गांधी किसान न्याय योजना है। जिसके कारण किसानों को 9000 रू. प्रति एकड़ की इनपुट सब्सिडी मिल रही है। इनपुट सब्सिडी प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदी के हिसाब से 600 रू. प्रति एकड़ होती है। 600 रू. और समर्थन मूल्य के 2040 तथा 2060 रू. का जोड़ मिलाकर किसानों को 2640 और 2660 रू. मिला है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना की यह सहायता भाजपा के किसान विरोधी निर्णय के कारण ही शुरू की गई। केंद्र सरकार रोक नहीं लगाती तो किसानों को कांग्रेस सरकार एकमुश्त भुगतान करती।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि भाजपा की कथनी करनी का अंतर हमेशा से अलग रही। छत्तीसगढ़ में सरकार में रहते भाजपा ने वायदा किया कि धान का 2100 रूपये समर्थन मूल्य देंगे, नहीं दिया। 5 साल तक 300 रूपये बोनस देंगे, 5 साल नहीं दिया। धान का एक-एक दाना खरीदेंगे, नहीं खरीदा। 10 क्विंटल खरीद रहे थे। कांग्रेस के विरोध के बाद बढ़ाया। 2014 के चुनाव के पहले मोदी ने वायदा किया था स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों लागू करेंगे। लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत जोड़कर समर्थन मूल्य देंगे, नहीं दिया। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करेंगे। 2022 बीत गया किसानों की आय बढ़ने के बजाये घट गई।

मोदी सरकार ने रासायनिक खादों के दामों में बेतहाशा वृद्धि कर, सस्ती डीजल को महंगे दामों में बेचकर मुनाफाखोरी कर महंगाई की मार झेल रहे कर्ज से दबे हताश परेशान मजबूर देशभर के किसानों को लगातार नुकसान पहुंचाया है।