Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

बसंत पंचमी 25 या 26 जनवरी कब है? जानें सरस्वती पूजा की सही डेट, शुभ मुहूर्त व महत्व

    हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है। बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा भी कहा ज...

Also Read

 


  हिंदू धर्म में बसंत पंचमी के पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा की जाती है। बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा भी कहा जाता है। हालांकि इस साल बसंत पंचमी की तारीख को लेकर लोगों के बीच भम्र की स्थिति है। अगर आप भी बसंत पंचमी या सरस्वती पूजा की तारीख को लेकर असमंजस में हैं तो यहां जान लें सही तारीख, शुभ मुहूर्त व महत्व-

बसंत पंचमी 2023 कब है?

बसंत पंचमी का त्योहार इस साल 26 जनवरी 2023, गुरुवार को मनाया जाता है। बसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी की पंचमी को मनाया जाता है। इस साल पंचमी तिथि 25 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगी।

बसंत पंचमी सरस्वती पूजन मुहूर्त 2023-   

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त सुबह 07 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। सरस्वती पूजा मुहूर्त 05 घंटे 21 मिनट तक है। बसंत पंचमी का क्षण दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त-

बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना जाता है। इस दिन को श्री पंचमी और सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच में व्याप्त रहती है। उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से कुछ सालों में बसंत पंचमी चतुर्थी के दिन पड़ जाती है। हिंदू कैलेंडर में सूर्योदय और दोपहर के मध्य के समय को पूर्वाह्न के नाम से जाना जाता है। बसंत पंचमी का दिन सभी शुभ कार्यो के लिये उपयुक्त माना जाता है। इसी कारण से बसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के नाम से प्रसिद्ध है और नवीन कार्यों की शुरुआत के लिये उत्तम माना जाता है।

सरस्वती पूजा-

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥