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लाभांडी हत्या के मामले में अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा

रायपुर। असल बात न्यूज़।।          00 विधि संवाददाता    यहां हत्या के एक मामले में आरोपी को दोष सिद्ध पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई ...

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रायपुर।
असल बात न्यूज़।। 

        00 विधि संवाददाता  

यहां हत्या के एक मामले में आरोपी को दोष सिद्ध पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश रायपुर श्रीमती विभा पांडेय के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। मामले में न्यायालय ने मृतक की पत्नी को क्षतिपूर्ति दिलाने की अनुशंसा भी की है। 
यह प्रकरण मार्च 2020 का तेलीबांधा थाना रायपुर के अंतर्गत लाभंडी का है। घटना के दिन होली त्यौहार मनाया जा रहा था। वहां होली का नगाड़ा बज रहा था और घासीदास चबूतरा के पास बच्चे डांस कर रहे थे। मामले में मृतक के मामा ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि उस दिन उसके भांजा जैस राड़िया उसके साथी निखिल, राकी और राजेंद्र को स्कूल की तरफ जाते देखा गया था। उसके बाद दोपहर में उसके भाई हीतेंद्र और मानु ने उसे बताया कि उसके भांजा  जैस को आंगनवाड़ी बरामदे में किसी ने मार डाला है। जैस राडिया के सिर और सीना को पत्थर से बुरी तरह से कुचल दिया गया था। घटनास्थल पर सीमेंट कांक्रीट का ईंट पत्थर पाया गया था जिसके पुलिस के द्वारा जप्ति बनाई गई । बरामदे में मृतक का खून फैला हुआ था। मामले में तेलीबांधा पुलिस के द्वारा अपराध कायम कर जांच शुरू की गई। अभियुक्त राजेंद्र उर्फ गोलू को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ की तो अपने मेमोरेंडम कथन में जैस के द्वारा गाली गलौज करने तथा उसका कालर पकड़ लेने से उत्तेजित होकर गुस्से में आकर उसने उसकी हत्या कर देना बताया है।
न्यायालय ने प्रकरण में पाया कि इसमें स्वीकृत तथ्य कुछ नहीं है।
 बचाव पक्ष के अधिवक्ता के द्वारा यह तर्क दिया गया कि अभियुक्त के द्वारा पुलिस के समक्ष की गई स्वीकारोक्ति का कोई विधिक मूल्य नहीं है और यह साक्षय के के अभाव में आग्राहय है। अभियोजन के द्वारा अपराध किए जाने का कोई हेतुक प्रमाणित नहीं किया गया है। प्रकरण में घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्ष्य नहीं है। बल्कि अभियोजन का संपूर्ण प्रकरण परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है और कोई भी परिस्थिति शंका से प्रमाणित नहीं है। आपराधिक विधि में शंका चाहे कितनी भी प्रबल क्यों ना हो वह प्रमाण का स्थान नहीं ले सकती। 
लोक अभियोजक के द्वारा तर्क किया गया कि अभियुक्त के मेमोरेंडम कथन के आधार पर प्रकरण में जप्ती कार्रवाई की गई है। आरोपी ने मेमोरेंडम कथन में मृतक की हत्या करना बताया है। 

न्यायालय के द्वारा प्रकरण में अभियुक्त को दोषसिद्ध पाए जाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।