नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को श्याम जी कृष्णा वर्मा की जयंती पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए...
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
मंगलवार को श्याम जी कृष्णा वर्मा की जयंती पर उन्हें याद करते हुए
श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि श्री वर्मा महान स्वंतत्रता सेनानी थे।
श्री मोदी ने श्री वर्मा की अस्थियों को विसर्जित करने के अवसर पर कहा कि
उनकी अस्थियां पिछले 73 वर्षों से इंतजार कर रही थी आज यह सपना साकार हआ
है। श्री वर्मा को भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि 1930 से 2003 तक उनकी
अस्थिया इंतजार करती रही। श्री वर्मा का चार अक्टूबर 1857 में मांडवी में
जन्म हुआ और उनका निधन 1930 में स्विजरलैंड में हआ था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेश में रखी उनकी अस्थियों को लाने के काम में
प्रमुख रूप से विष्णु भाई पांडया , मंगल भानुशाली तथा हिरजी भाई ने अनेक
वर्षों से लगातार प्रयास किये उन्हीं का परिणाम है कि उनकी अस्थियाें को
देश में लाया जा सका। उन्होंने कहा कि श्री वर्मा की आत्मा जहां कई भी होगी
उन्हें यह लगता होगा कि आज भी देश के किसी कोने मे उनकी इज्जत की जा रही
है।
उन्हाेंने कहा कि श्री वर्मा जी विद्वान थे और कुछ भी बन सकते थे, लेकिन
उन्होंने देश की आजादी का सपना देखा। गुजरात में कच्छ के मांडवी में गरीब
परिवार में जन्मे श्री वर्मा का जन्म 1857 के संग्राम के दौरान हआ। कहा
जाता है कि गर्भावस्था में मां जिस वायुमंडल से प्रभावित होती है उसका असर
उसके बच्चे पर पड़ता है और श्री वर्मा ने उस दौरान संग्राम की कहानियां
सुनी होगी, इसके बाद उन्होंने देश को आजाद करने का रास्ता चुना।
उन्होंने कहा कि इस तीर्थ पर विद्यार्थी आयेंगे तो मैं गाइड को कहूंगा कि
उनको श्यामजी के जीवन के बारे में विस्तार से बतायें। उन्होंने कहा कि
1857 की क्रांति को उस समय केवल एक सरकार के खिलाफ आंदोलन माना जा रहा था
लेकिन इसे स्वंतत्रता संग्राम कहने का साहस वीर सावकर ने दिखाया और इंगलैड
में इसके पचास वर्ष श्यामजी की प्रेरणा से मनाए गए।
श्री मोदी ने कहा कि श्यामजी का व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि उनसे स्वामी
विवेकानद , दयानंद सरस्वती जैसे लोग मिलते थे, वह लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
के प्रिय थे और वे अपने पास आने वाले युवाओं को श्यामजी के पास भेजते थे,
ऐसे व्यक्ति को इस देश ने भुला दिया। शायद कुछ अच्छे काम मेरे लिए छोड़ दिए
गए।
उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे भी आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ लक्ष्य छोड़ कर जाये।