Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


स्वरुपानंद महाविद्यालय में बायोटेक विभाग द्वारा गठिया रोग मिथक एवं सच्चाई विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन

  भिलाई। असल बात न्यूज।। स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको, भिलाई में बायोटेक्नोलॉजी विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी. के संयुक्त तात्व...

Also Read

 

भिलाई।

असल बात न्यूज।।

स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको, भिलाई में बायोटेक्नोलॉजी विभाग एवं आई.क्यू.ए.सी. के संयुक्त तात्वावधान में ”गठिया रोग मिथक एवं सच्चाई“ विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ता के रुप में डॉ. विपिन जैन हड्डी रोग विशेषज्ञ एवं शल्य चिकित्सा जिला अस्पताल दुर्ग थे।

कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये डॉ. शिवानी शर्मा विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलॉजी ने कहा आज के बदलते परिवेश में अधिकांशतः प्रौढ़ व्यक्ति गठिया रोग से पीढ़ित है। इसके रोकथाम व उपचार के प्रति लोगों में जागरुकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

अपने उदबोधन में डॉ. विपिन जैन ने बताया आर्थराइटिस के रोगी के जोड़ो में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है। इस रोग से जोड़ों में गांठे बन जाती है और शूल चूभन जैसी पीड़ा होती है इसलिये इस रोग को गठिया भी कहते हैं। रुमेटाईड आर्थराइटिस एक ऐसी बिमारी है जो जोड़ो में दर्द सूजन और अकड़न का कारण बनता है। डॉ. जैन ने बताया की यह एक आटोइम्यून डिसीज है। जिसमें शरीर की इम्यूनिटी स्वस्थ कोशिकाओं को ही नुकसान पहुॅंचाना शुरु कर देती है। डॉ. जैन ने गठिया का ईलाज बताते हुये कहा फिजियोथैरेपी जोड़े के उपचार का सबसे अच्छा तरीका है, सूर्य नमस्कार जैसे व्यायामों से उपचार व रोकथाम किया जा सकता है। आज कल अधिक उम्र गठिया का कारण नहीं है अपितु एक जगह बैठना, धूम्रपान, गलत खानपान आदि के कारण भी हो सकता है। इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय व्यायाम व सूर्य नमस्कार है।

महाविद्यालय के सीओओ डॉ. दीपक शर्मा, प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला एवं उपप्राचार्य डॉ. अज़रा हुसेन ने कार्यक्रम आयोजन के लिये बायोटेक विभाग की सराहना की व आयोजन के लिये बधाई दी।

कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ. शिवानी शर्मा विभागाध्यक्ष बायोटेक व धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. राखी अरोरा बायोटेक विभाग ने दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में आई.क्यू.ए.सी. प्रभारी डॉ. निहारिका देवांगन ने विशेष योगदान दिया।