पुणे स्थित फर्म एंटी-वायरल एजेंटों की परत चढे 3डी-प्रिंटेड मास्क ले कर आई N-95 से अधिक प्रभावी और कपड़े से बना 3-प्लाई मास्क: संस्थापक निदे...
पुणे स्थित फर्म एंटी-वायरल एजेंटों की परत चढे 3डी-प्रिंटेड मास्क ले कर आई
N-95 से अधिक प्रभावी और कपड़े से बना 3-प्लाई मास्क: संस्थापक निदेशक, थिंकर टेक्नोलॉजीज इंडिया
इसे बनाने वाली टीम थिंकर टेक्नोलॉजीज इंडिया नए फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन और विभिन्न दवाओं के ड्रग-लोडेड फिलामेंट्स की खोज के लिए फ्यूज्ड डिपोजिशन मॉडलिंग (एफडीएम) 3 डी-प्रिंटर के विकास पर काम करती है। इसके संस्थापक निदेशक डॉ. शीतलकुमार ज़म्बद बताते हैं: “हमने महामारी के शुरुआती दिनों में ही समस्या और उसके संभावित समाधानों के बारे में सोचना शुरू कर दिया था। हमने महसूस किया कि संक्रमण को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में फेस मास्क का उपयोग लगभग विश्वव्यापी हो जाएगा। लेकिन हमने महसूस किया कि ज्यादातर मास्क जो तब उपलब्ध थे और आम लोगों की पहुंच में थे, वे घर के बने थे और अपेक्षाकृत कम गुणवत्ता वाले थे। उच्च गुणवत्ता वाले मास्क की आवश्यकता है यही मान कर हमने संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए एक बेहतर दृष्टिकोण के रूप में लागत प्रभावी और अधिक कुशल विषाणुनाशक लेप वाले मास्क को विकसित करने यथा उसके और व्यावसायिक विपणन करने के लिए एक परियोजना शुरू करना तय किया।
कोटिंग फॉर्मूलेशन का उपयोग कपड़े की परत पर दवा का लेप करने के लिए किया गया और 3डी प्रिंटिंग सिद्धांत को कोटिंग की एकरूपता प्राप्त करने के लिए काम में लिया गया। लेप की हुई परत को फिर से काम में लिए जा सकने वाले फिल्टर के साथ N-95 मास्क, 3-प्लाई मास्क, साधारण कपड़े के मास्क, 3डीप्रिंटेड या अन्य प्लास्टिक कवर मास्क में एक अतिरिक्त परत के रूप में शामिल किया जा सकता है। इस प्रकार ये मास्क फिल्टर तंत्र द्वारा प्राप्त सुरक्षा से आगे जाकर अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मास्क में फिर से प्रयोग में लाये जा सकने वाले फिल्टर भी 3डी प्रिंटिंग का उपयोग करके विकसित किए गए हैं। इसके अलावा डॉ ज़ंबद का कहना है कि मास्क में बैक्टीरिया को फिल्टर कर देने की क्षमता 95% से अधिक पाई गई है। "इस परियोजना मेंपहली बारहमने प्लास्टिक-मोल्डेड या 3 डी-प्रिंटेड मास्क कवर के लिए सटीक रूप से फिट होने के लिए बहुपरत वाले क्लॉथ फिल्टर बनाने के लिए 3 डी-प्रिंटर का उपयोग किया"।
थिंकर टेक्नोलॉजीज इंडिया प्रा. लिमिटेड ने इस उत्पाद के पेटेंट के लिए आवेदन किया है। डॉ ज़ंबद बताते हैं कि इसका वाणिज्यिक पैमाने पर उत्पादन भी शुरू हो गया है। इस बीच एक एनजीओ ने नंदुरबार, नासिक और बेंगलुरु के चार सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के उपयोग के लिए और बेंगलुरु में एक लड़कियों के स्कूल और कॉलेज में ऐसे 6,000 वायरुसाइड मास्क का वितरण किया हैं।