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कोरोना थमा नहीं है, naya variant और खतरनाक, तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है तो एक दिन का प्रतीकात्मक पूर्ण लॉकडाउन क्या बेहतर नहीं होता ?

  रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर। असल बात न्यूज़। 0  चिंतन/ विश्लेषण/ जिंदगी बचाने के लिए 0  अशोक त्रिपाठी महाराष्ट्र प्रदेश में कोरोना के न...

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रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर। असल बात न्यूज़।

0  चिंतन/ विश्लेषण/ जिंदगी बचाने के लिए

0  अशोक त्रिपाठी

महाराष्ट्र प्रदेश में कोरोना के नए वेरिएंट Delta plus के प्रतिदिन बड़ी संख्या में नए संक्रमित मिल रहे हैं। कोरोना का डेल्टा प्लस variant इसके पहले के variant के मुकाबले में अधिक आक्रामक और खतरनाक माना जा रहा है। इस पर भी रिसर्च किया जा रहा है कि अभी जो vaccine लगाई जा रही है वह कोरोना के नए वेरिएंट के खिलाफ असरकारक साबित होगी अथवा नहीं। महाराष्ट्र की बड़ी सीमाएं छत्तीसगढ़ से जुड़ी, सटी हुई है। आशंका है कि पिछली बार भी दूसरी लहर के दौरान छत्तीसगढ़ में कोरोना महाराष्ट्र के रास्ते से ही अधिक फैला। ऐसे में इस आशंका से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि महाराष्ट्र के रास्ते से कोरोना के नए variant डेल्टा प्लस का छत्तीसगढ़ में फिर से आक्रमण, प्रवेश  हो सकता है। कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका बनी है। ऐसे में आम लोगों के मास्क नहीं पहनने, तथा कोरोना से बचाव के दूसरे उपायों को नहीं अपनाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं तो चिंता भी बढ़ती जा रही है। यह कहा जाने लगा है कि आम लोगों की लापरवाही से कोरोना फिर से भयावह खतरनाक तरीके से  फैल सकता है। लेकिन यहां यह भी सवाल पूछा जाना लाजिमी है कि ऐसे कठिन संकट के दौर में कोरोना से बचाव रोकथाम और नियंत्रण के लिए आखिर शासन- प्रशासन की क्या नीति है। क्या जिंदगी को दांव पर लगाकर आजीविका को बढ़ाने की नीति के रास्ते पर आगे बढ़ा जाएगा। अब जिंदगी महत्वपूर्ण है इसे ध्यान में रखकर निर्णय लिये जाएंगे।

जब विशेषज्ञ, जानकार लोग कोरोना से बचाव, रोकथाम के उपाय करने में आम जनता के लापरवाह हो जाने की बात करते हैं तब यह भी पूछा जाना स्वाभाविक है कि ऐसी लापरवाहिया  आखिर क्यों बढ़ रही है और इसके लिए हम सब कितने जवाबदेह है।   आम लोगों को ऐसा लापरवाह हो जाने के लिए कहीं शासन प्रशासन ने ही  जाने अनजाने में कोई संकेत तो नहीं दे दिया है। छत्तीसगढ़ में अभी कोरोना के काफी कम संक्रमित मिल रहे हैं। नए संक्रमितो की संख्या कम होने के बाद यहां लॉक डाउन को पूरी तरह से वापस ले लिया गया है।शासन प्रशासन के द्वारा इस तरह से जो कई सारी पाबंदियां लगाई गई थी वह वापस ले ली गई है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि कोरोना के संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित करने में lockdown की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।लोगों की व्यक्तिगत सुरक्षा और सामुदायिक सुरक्षा की परिस्थितियां अलग अलग होती हैं। एक पूरे समुदाय की सुरक्षा  के लिए अलग नियम कानून  हैं।सिर्फ व्यक्तिगत  सुरक्षा से ही सामुदायिक सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो सकती। मास्क पहनना, बार-बार हाथ धोना, दूरी बनाए रखना एक व्यक्ति की सुरक्षा के उपाय के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। लेकिन जब सामुदायिक सुरक्षा के बाद आती है, समाज, प्रदेश की एक साथ सुरक्षा की बात आती है तब लॉकडाउन की उपयोगिता, महत्व बढ़ जाता है। और lockdown के उपाय का इस्तेमाल किए बिना एक खतरनाक महामारी के संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित कर पाना असंभव जैसा है।कोरोना से बचाव के लिए 14 दिनों के क्वारंटाइन को अनिवार्य माना गया है। ऐसे में यहां lockdown को 14 दिनों के quarantine के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन जब कोरोना के संक्रमण का कहर कम हो रहा हो तब एक दिन के लाकडडाउन की अलग उपयोगिता है।उसके अलग फायदे मिल सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में लॉक डाउन को पूरी तरह से वापस ले लिया गया है तो इस पर कई सारे जानकार लोगों ने आपत्ति भी की है। खास तौर पर रविवार के एक दिन के lockdown को वापस ले लिए जाने पर कई लोगों ने आपत्तियां की है। कई बार लॉकडाउन अथवा हम जो कुछ भी करते हैं उसका प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तौर पर आम जनता पर प्रभाव पड़ता है। आम जनमानस को उन निर्णय से सीधे प्रभावित होता है। हम लाक डाउन को वापस ले लेते हैं खारिज कर देते हैं, तो आम जनमानस के दिलो-दमाग पर यह भी मैसेज जाना स्वाभाविक है है, अथवा जा सकता है कि सब कुछ नॉर्मल होने की ओर समान होने की ओर आगे बढ़ रहा है। महामारी नियंत्रित हो गई  है। सब कुछ सामान्य हो रहा है।तब लोगों के मन में निश्चित रूप से एक निश्चितता पैदा होती है। तनाव कम होता है। लापरवाही  थोड़ी बहुत बढ़ जाती है। जो मन केंद्रित रहता है कि यह सावधानियां बरतनी है, ऐसा ही करना है, दूरी बनाए रखना है, उसने निश्चित रूप से जाने अनजाने में लापरवाही होने लगती है। लोग थोड़े से असावधान होने लगते हैं। और कोरोना के मामले में कहा जाता रहा है कि ऐसे ही असावधानियां लापरवाही भारी खतरनाक साबित हुई है।

महाराष्ट्र में कोविड-19 से संक्रमित लोगों की कुल संख्या  59 लाख,79 हजार,051 पर पहुंच गई हैजबकि 94 मौतों ने मृतकों की संख्या को 1,18,313 तक पहुंचा दिया। राज्य में अभी 1,24,398 सक्रिय मामले हैंजहां कोरोनवायरस रिकवरी रेट 95.89 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में अत्यधिक संक्रामक माने जाने वाले कोविड-19 के ''डेल्टा प्लस'' वेरिएंट के अब तक 21 मामले मिल चुके हैं। यहां के चार जिलों- सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, पालघर और जलगांव से एकत्रित किए गए नमूनों में कुल 20 मामलों में सार्स-कोव-2 वैरिएयंट एवाई1, जिसे डेल्टा पल्स भी कहा जाता है, पाया गया। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सोमवार के आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में अब तक ब्लैक फंगस के 7,998 मामले दर्ज किए गए हैं और 729 लोगों की इस बीमारी से मौत हो गई। इनमें से 4,398 मरीजों का इस समय इलाज चल रहा है। अब तक म्यूकोरमाइकोसिस के 7,998 मामले सामने आए हैं  इस बीमारी से 729 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिकइनमें से 4,398 मरीजों का अभी इस बीमारी के लिए इलाज चल रहा है।

केरलराज्य में  लॉकडाउन नियमों में अधिक छूट देने  पर विचार किया जा रहा है। क्योंकि पूजा स्थलों को व्यवस्थित तरीके से भक्तों के प्रवेश के लिए खोला जाएगा। हालांकि, लॉकडाउन के नियम हाई स्प्रेड (टीपीआर 16 प्रतिशत से 24 प्रतिशत के बीच) और क्रिटिकल स्प्रेड (टीपीआर 24 प्रतिशत से अधिक) वाली जगहों पर सख्ती से जारी रहेंगे।  वीकेंड पर राज्य पूरी तरह से बंद रहेगा। यहां, वायरस के नए वैरिएंट के कारण तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है। गुजरात सरकार ने निर्णय लिया है कि अब राज्य में मास्क नहीं पहनने पर 1,000 के बजाय 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार उच्च न्यायालय से अनुरोध करेगी। मध्य प्रदेशः मध्य प्रदेश में अब तक कोविड-19 के डेल्टा प्लस वैरिएंट के पांच मामले सामने आए हैं। डेल्टा प्लस वैरिएंट से ग्रसित इन पांच में से 4 लोग, जिन्हें वैक्सीन मिली है, स्वस्थ हैं और एक की मौत हो गई है। 

महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ से सटे हुए राज्य हैं। वहां की तमाम गतिविधियां छत्तीसगढ़ को प्रभावित करती हैं। इसीलिए नये variant को लेकर छत्तीसगढ़ में चिंता बढ़ती जा रही है। छत्तीसगढ़ को काफी पहले ही वे कदम उठा लेने होंगे, सकारात्मक प्रयास करने होंगे कि महामारी का जोखिम यहां कम से कम हो सके। कोरोना की दूसरी लहर की त्रासदी को हम सबने भुगता है। इस दौरान कोरोना में पूरे प्रदेश में जमकर तबाही मचाते हुए हजारों लोगों की जान ले ली। इंसान को इंसान से दूर कर दिया। कई परिवार तबाह हो गए। जिन परिवारों के मुखिया खत्म हो गए उस परिवार में रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गई है। ऐसे में कोरोना के किसी लहर की आशंका से ही दहशत बढ़ जाती है। कहीं ही तीसरी लहर का आगमन हो, यह कोई कताई ही नहीं चाहेगा।


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