प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की ओर से कोविड-19 परियोजनाओं में मदद की गई: अस्पतालों का विस्तार नई दिल्ली, छत्तीसगढ़। असल बात न्यूज।...
प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की ओर से कोविड-19 परियोजनाओं में मदद की गई: अस्पतालों का विस्तार
देश के विभिन्न हिस्सों में जैसे ही कोविड-19 के मामले बढ़े, वैसे ही अस्पतालों में बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव आ गया ।छत्तीसगढ़ राज्य में अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी का लोगों को काफी दुष्परिणाम भुगतना पड़ा। सीमित संसाधनों वाले छोटे अस्पतालों में बेड की कमी हो गई। मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड नहीं रह गया था।मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल जाना पड़ा लेकिन भेज नहीं मिल रहा था जिसके चलते भी कई लोगों ने दम तोड़ दिया। ऐसे संकट से निपटने के लिए मॉड्यूलर अस्पताल की कल्पना की गई है।
पीएसए के कार्यालय ने उन राज्यों के करीब 50 अस्पतालों की जरूरतों की पहचान की है, जहां सबसे ज्यादा कोविड-19 मामले सामने आए थे। इसमें सहयोग के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों, दानदाता संगठनों और व्यक्तियों को राष्ट्रीय महत्व की विभिन्न परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए आमंत्रित किया गया है।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-एम) ने एक स्टार्ट-अप मॉड्यूलस हाउसिंग मेडिकैब अस्पतालों का विकास किया है। इसने 100 बिस्तरों वाली विस्तार सुविधा का निर्माण सिर्फ तीन हफ्तों में किया जा सकता है।
अब ये मॉड्यूलर अस्पताल शीघ्र ही फील्ड में नजर आने लगेंगे ।100 बिस्तरों वाले अस्पतालों का पहला बैच बिलासपुर (छत्तीसगढ़), अमरावती, पुणे और जालना (महाराष्ट्र), मोहाली (पंजाब) में शुरू किया जा रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ के रायपुर में 20 बिस्तरों वाला एक अस्पताल चालू किया जा रहा है। पहले चरण में बेंगलुरु (कर्नाटक) में 20, 50 और 100 बिस्तरों वाले एक-एक अस्पताल होंगे।
पीएसए के कार्यालय ने पंजाब और छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर मॉड्यूलर अस्पतालों को चालू करने के लिए टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड का भी सहयोग लिया है। उन्होंने गुरदासपुर और फरीदकोट (पंजाब) में 48 बिस्तरों वाले मॉड्यूलर अस्पतालों पर काम शुरू किया है। रायपुर, जशपुर, बेमेतरा, कांकेर और गौरेल्ला सहित छत्तीसगढ़ के कई अस्पतालों में आईसीयू के विस्तार का भी काम चल रहा है।
मेडिकैब अस्पतालों को गहन देखभाल इकाइयों (आईसीयू) के एक समर्पित क्षेत्र के साथ डिजाइन किया गया है, जो विभिन्न लाइफ-सपोर्ट उपकरण और चिकित्सा उपकरणों को समायोजित कर सकता है। इन नकारात्मक दबाव वाले वहनीय अस्पतालों में लगभग 25 वर्षों का स्थायित्व होता है और इन्हें भविष्य में एक हफ्ते से भी कम समय में किसी भी आपदा प्रतिक्रिया के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है। तेज गति से शुरू किए जा सकने वाले ये अस्पताल, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक प्रमुख स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा करेंगे। पीएसए का कार्यालय देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में इन परियोजनाओं को लागू करने के लिए सीएसआर समर्थन हासिल करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है।