Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

Automatic Slideshow


नरवा योजना की सफलता को आंकने देखा जाएगा कि भूमिगत जल का स्तर कितना सुधरा और उससे खेतों की सिंचाई को कितना फायदा मिल रहा है

    समीक्षा बैठक में जिले के कलेक्टर का निर्देश- -नरवा योजना में स्थानीय लोगों का भी लें सहयोग, ये योजना बदल देगी खेती की तकदीर -नरवा योजना ...

Also Read

 


 समीक्षा बैठक में जिले के कलेक्टर का निर्देश-

-नरवा योजना में स्थानीय लोगों का भी लें सहयोग, ये योजना बदल देगी खेती की तकदीर

-नरवा योजना का उद्देश्य भूमिगत जल का स्तर बढ़ाना, अच्छी मानिटरिंग से योजना होगी सफल

दुर्ग । असल बात न्यूज।

नरवा गरवा घुरवा बारी, यह राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है और लग रहा है कि फिजिकली तौर पर भी इसमें योजना के अनुरूप काम करना पड़ेगा। मातहतों को कह दिया गया है कि फील्ड में स्ट्रक्चर खड़ा कर देना ही, इस योजना की सफलता नहीं है। नरवा का काम किया जा रहा है तो नालों में पानी रुकना चाहिए और आसपास भूजल स्तर में सुधार होना चाहिए। खेतों को दूसरी फसल के लिए पानी मिल सके तब इस योजना को सफल माना जाएगा।

दुर्ग जिले में कलेक्टर सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने इन कार्यों की समीक्षा के लिए बैठक ली।समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि स्ट्रक्चर खड़ा कर देने से योजना सफल नहीं हो  जाएगी। योजना का जो उद्देश्य है वह पूरा होना चाहिए।नरवा से खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिलना चाहिए। इससे किसान अपने खेतों में दूसरी फसल ले सकें, तब यह योजना सफल होगी। इसका ऐसा क्रियान्वयन होना चाहिए कि खेतों को पानी मिल सके।

कलेक्टर डॉ भूरे ने  जिले में चल रही नरवा योजना की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने जिले के 29 नालों में स्वीकृत किये गए 980 कार्यों की प्रगति के बारे में विस्तार से समीक्षा की। कलेक्टर ने कहा कि नरवा योजना शासन की सबसे अहम योजना है। इसमें तकनीकी रूप से सही जगहों पर बेहतरीन स्ट्रक्चर बनाना जरूरी है ताकि रिज टू वैली योजना के अंतर्गत नालों का प्रवाह धीमा हो और पानी का मिट्टी के अंदर तक रिसाव हो सके  जिससे भूमिगत जल का स्तर उठ सके।

 उन्होंने कहा कि योजना की सफलता इस बात से नहीं नापी जाएगी कि  कितने स्ट्रक्चर बनाया गया। यह तो इस बात से मापी जाएगी कि इन स्ट्रक्चर से भूमिगत जल के स्तर में कितना सुधार आ रहा है  और क्षेत्र के किसानो को दूसरी फसल लेने में उसी से कितना फायदा मिला । जलस्तर में थोडे भी सुधार से किसानों के लिए वह संजीवनी साबित होगी ।कलेक्टर ने कहा कि  इस तरह के कार्य किये जाने के लिए जनसहयोग भी बेहद अपेक्षित होता है। जनता के बीच जाइये, उनका फीडबैक लीजिए। पुराने लोग नालों के कोर्स के अच्छे जानकार होते हैं। उन्हें लेकर किया जाने वाला कार्य ज्यादा उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि नरवा योजना में ऐसे स्ट्रक्चर तैयार किये जाने हैं जिनसे रिज टू वैली योजना अंतर्गत पानी का प्रवाह मद्धम हो, इससे पानी भीतर रिसेगा और जमीन में नमी भी अच्छी रहेगी। उन्होंने कहा कि इस बार सारे स्ट्रक्चर तैयार हो जाएंगे तो अगली रबी क्राप में इसका असर दिखने लगेगा।

 कलेक्टर ने कहा कि यह व्यापक मानिटरिंग की जरूरत वाला काम है। कई किमी तक फैले नालों में यह कार्य होगा, इसके लिए अधिकारियों को काफी समय देना होगा, साथ ही गाँव वालों का सहयोग भी लेना होगा। अधिकारियों ने बताया कि अभी कई जगहों पर छोटी-छोटी संरचनाओं के साथ ही डिसेल्टिंग और डीपनिंग के कार्य पूरे किये जा चुके हैं। कलेक्टर ने इस मौके पर गौठानों में वर्मी कंपोस्ट के उत्पादन, गोबर विक्रय तथा अन्य गतिविधियों की समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि गौठानों को आत्मनिर्भर बनाना है। उन्हें आजीविकामूलक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित करना है। इसके लिए नवाचार बेहद जरूरी हैं। वर्मी कंपोस्ट की बिक्री के लिए प्रोफेशनल एप्रोच जरूरी है। शहरों में निजी लोगों को भी इसका विक्रय किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना की सफलता के लिए अनिवार्य पैरादान, जानवरों की उपस्थिति, गोबर क्रय तथा वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन एवं स्व-सहायता समूहों की नियमित गतिविधि बेहद आवश्यक है। सभी अधिकारी इसकी नियमित रूप से मानिटरिंग करें।

 बैठक में भिलाई निगम आयुक्त  ऋतुराज रघुवंशी, जिला पंचायत सीईओ  सच्चिदानंद आलोक, अपर कलेक्टर  प्रकाश सर्वे,  बीबी पंचभाई सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।