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बार्क के वैज्ञानिकों ने म्यूटेशन ब्रीडिंग परियोजना के तहत विकसित नवीन किस्मों का वर्चुअल अवलोकन किया

  म्यूटेशन द्वारा विकसित सुगंधित धान की नवीन किस्में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्वक उपयोग की दिशा में बड़ा कदम: डाॅ. व्यास रायपुर, । असल बात न्य...

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 म्यूटेशन द्वारा विकसित सुगंधित धान की नवीन किस्में परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्वक उपयोग की दिशा में बड़ा कदम: डाॅ. व्यास

रायपुर, । असल बात न्यूज़।

 इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई के सहयोग से  संचालित ‘‘म्यूटेशन ब्रीडिंग’’ पर आधारित मेगा परियोजना के वर्चुअल प्रक्षेत्र निरीक्षण एवं अवलोकन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रोफेसर के.एन. व्यास, सचिव परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार, डाॅ. ए.के. मोहन्ती निदेशक, भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई, डाॅ. वी.पी. वेनुगोपालन, राजा रमन्ना फेलो एवं पूर्व निदेशक बायो साइंस ग्रुप, डाॅ. एस.सी. घोष असोसिएट निदेशक बायो साइंस ग्रुप एवं प्रमुख एन.ए.बी.टी.डी. तथा डाॅ. बी.के. दास रिसर्च गु्रप लीडर साइंटिफिक आफिसर-जी. बी.ए.आर.सी., मुम्बई द्वारा वर्चुअल प्रक्षेत्र निरीक्षण एवं अवलोकन किया गया। कुलपति डाॅ. एस.के. पाटील ने परियोजना के तहत विकसित धान की म्यूटेन्ट किस्मों का पैतृक किस्मों से तुलनात्मक विवरण देते हुये बताया कि म्यूटेशन द्वारा कम अवधि वाली बौनी किस्में तैयार की जा रही हंै जिससे धान के बाद दूसरी फसल की समय पर बुआई की जा सकेगी और अधिक उपज प्राप्त की जा सकेगी। परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार के सचिव प्रोफेसर के.एन. व्यास ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे अनुसंधान परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्वक उपयोग की दिशा में बड़ा कदम है तथा ये किस्में छत्तीसगढ़ के कृषकों के लिए वरदान साबित होंगी।

उल्लेखनीय है कि भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई, परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार एवं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के बीच त्रिपक्षीय एम.ओ.यू के तहत धान की परम्परागत किस्मों में सुधार करने हेतु एक मेगा परियोजना क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना के तहत धान की कुल 50 किस्मों का चयन किया गया था, जिसमें से 21 किस्मों में सुधार कर इनके अवांछित गुणों जैसे - अधिक ऊँचाई एवं लम्बी अवधि में पकने के गुणों को सुधार कर माध्यम ऊँचाई एवं शीघ्र पकने वाली किस्में तैयार करके चयन कर लिया गया है तथा प्रक्षेत्र परीक्षण में स्टैबिलिटी (स्थायित्व) जाँच किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत विकसित नवीन किस्म टी.सी.डी.एम.-1 (बौना दुबराज) को रिलीज एवं नोटीफाइड किया गया है तथा धान की विक्रम टी.सी.आर., सी.जी.-जवाँफूल ट्राम्बे किस्मों को राज्य सरकार द्वारा जारी कर दिया गया है। डाॅ. के.एन. व्यास ने नवीन धान प्रजातियों के विकास एवं परियोजना के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कुलपति डाॅ. एस.के. पाटील को सुझाव दिया कि इन किस्मों को देखने एवं वैज्ञानिक परिचर्चा हेतु अगले वर्ष म्यूटेशन ब्रीडिंग पर सेमिनार आयोजित किया जाए, जिसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई के सभी वैज्ञानिक विश्वविद्यालय का प्रक्षेत्र भ्रमण करें एवं यहां के वैज्ञानिकों के साथ चर्चा में अपना अनुभव साझा करें। डाॅ. मोहन्ती ने नवीन विकसित किस्मों का जिनोमिक अध्ययन करने का सुझाव दिया एवं इन किस्मों की सराहना की। डाॅ. वेनुगोपालन ने इस परियोजना की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कार्यक्रम में शामिल सभी वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर डाॅ. आर.क.े बाजपेयी संचालक अनुसंधान सेवांए, आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. ए.के. सरावगी एवं परियोजना के प्रमुख अन्वेषक डाॅ. दीपक शर्मा भी उपस्थित थे।