गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की निशर्त रिहाई के साथ विभिन्न मांगों को लेकर शुरू सांसद विजय बघेल के आमरण अनशन को पहले दिन से ही जिस तरह से लोगों क...
गिरफ्तार कार्यकर्ताओं की निशर्त रिहाई के साथ विभिन्न मांगों को लेकर शुरू सांसद विजय बघेल के आमरण अनशन को पहले दिन से ही जिस तरह से लोगों का भारी समर्थन मिलता दिख रहा था और दूर-दूर के लोग धरने में आकर शामिल हो रहे थे उससे लग ही रहा था कि यह आंदोलन प्रदेश व्यापी शक्ल ले लेगा। राज्य में मरवाही में विधानसभा का उपचुनाव हो रहा है जिसके फलस्वरूप अभी ज्यादातर राजनीतिक गतिविधिया, सक्रियता उधर ही सिमटी हुई है इसके बावजूद आमरण अनशन के दूसरे दिन ही रायपुर के सांसद सुनील सोनी तथा जिला पंचायत रायपुर के पूर्व अध्यक्ष अशोक बजाज इस आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे और उन्होंने प्रदेश सरकार को अवैध रूप से गली- गली में बिक रही दारू तथा अपराधिक तत्वों के बढ़ते हौसले पर ढेर सारी आरोप लगाते हुए जमकर कोसा। इसके बाद दूसरे दिन कांकेर लोकसभा के सांसद मोहन मंडावी, पूर्व मंत्री रमशिला साहू इस आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे। खास बात यह है कि इस धरना स्थल से पूरे प्रदेश में शराबबंदी की मांग जोर पकड़ रही है और यह मुद्दा पूरे प्रदेश में तेज हो सकता है। निश्चित रूप से अभी प्रदेश के ढेर सारे बड़े नेताओं के यहां आने तथा धरने को समर्थन देने की संभावना बनी हुई है।
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पाटन, रायपुर, दुर्ग। असल बात न्यूज़।
नई सरकार बनने के बाद प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी का मुद्दा जिस तरफ से जोर शोर से उछला था, विभिन्न परिस्थितियों तथा राज्य सरकार के कतिपय आश्वासन के बाद यह मुद्दा पिछले एक महीने पहले तक ठंडा सा पड़ गया दिखाई दे रहा था। और लगने लगा था कि राजनीतिक तौर पर तो इस मुद्दे की गर्माहट ठंडी पड़ती जा रही है। लॉक डाउन हुआ। और लॉकडाउन के दौरान चालू शराब दुकानों को बंद कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन तथा इसके बाद उपजी परिस्थितियों, गतिविधियों से इस मुद्दे ने जिस तरह से जोर पकड़ा है अब इसकी आंच पूरे प्रदेश में फिर से फैलती दिख रही है और यह मुद्दा हावी होता दिख रहा है जो कि आगे चलकर प्रदेश सरकार के लिए सिर दर्द भी का बन सकता है।
असल में शराबबंदी का मुद्दा, विषय सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं है। इसके लिए सिर्फ राजनीतिक तौर पर ही आवाज नहीं उठ रही है। वास्तव में यह जन सरोकार से जुड़ा मुद्दा है। तमाम धार्मिक, सामाजिक गैर राजनीतिक, किसान मजदूर वर्ग के संगठन भी शराबबंदी की मांग लगातार उठा रहे हैं तथा राज्य में पूर्ण शराबबंदी की उम्मीद कर रहे हैं। गांव-गांव, की महिलाएं शराबबंदी की मांग कर रही है। कई गांव में तो अवैध रूप से दारू बेचने वालों को महिलाओं ने ही खदेड़ा है। इन महिलाओं को राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। प्रदेश में किसकी सरकार है कौन सा राजनीतिक दल शक्तिशाली है इससे भी इन महिलाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्हें तो सिर्फ यही चाहिए कि उनके गांव, आसपास दारू बिकनी बंद होनी चाहिए। इन महिलाओं ने देखा है कि दारु पीने से कैसे परिवार बर्बाद हो जा रहे हैं, घर का लड़का अपराधी बनता जा रहा है, और कैसे दारु पीने के लिए लोग अपने घरों का सामान बेचकर घर को बर्बाद कर दे रहे हैं। अपने परिवार बच्चों की चिंता छोड़ कर कैसे लोग दारू पीकर निठल्ले बनकर घूम रहे हैं। ऐसी पीड़ा से जुड़ने वाले लोगों, महिलाओं को राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। शराबबंदी के लिए जहां से आवाज उठती है उस मंच को यह सब समर्थन देने एकजुट होने मजबूत करने पहुंचने लगते हैं। पाटन में भी जो धरना, प्रदर्शन आमरण अनशन शुरू हुआ है वह सीधे दारूबंदी के मुद्दे से जुड़ा हुआ है और जब उस आंदोलन को गांव गांव से लोग जिनमें महिलाए भी बड़ी संख्या में शामिल है समर्थन देने पहुंच रही हैं तो इसे काफी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। वास्तविकता यह भी है कि पूरा पाटन विधानसभा क्षेत्र ग्रामीण परिवेश वाला क्षेत्र है। यहां गांवो की संख्या बहुत अधिक है। भारतीय संस्कृति, परिवेश यहां पलता,ब ढता और फूलता नजर आता है। प्रदेश सरकार ने नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना की शुरुआत की तो निश्चित रूप से भारतीय परिवेश वाले सभी गांव में ग्रामीणों ने उसका जोरदार स्वागत किया। पाटन के सभी गांव की उस का जोरदार स्वागत करने में आगे रहे हैं। गांव-गांव में गौठान बनाने,गोबर खरीदने की परंपरा को शुरू करने का स्वागत करने में भी यह क्षेत्र काफी आगे रहा है।इसे देखकर कहा जा सकता है कि ऐसा नहीं हो रहा है कि यहां सिर्फ सरकार की योजना की खानिया ही थोड़ी जा रही है और उसकी बुराइयां की जा रही है। दारू, की इतनी अधिक बुराई है कि समाज में उसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो गया है। इसी वजह से विरोध की आग स्वभाविक तौर पर भड़क रही है। दारू के धंधे से गिने चुने कुछ तत्व ही करोड़पति, अरबपति बने हैं, समाज के अन्य लोगों को इसका कोई फायदा नहीं है।दारू के धंधे से जुड़कर अरबपति करोड़पति बन गए, लोग, समाज में अपनी हेकड़ी दिखाते हैं तो उनका सामाजिक बहिष्कार और तेज हो जाता है। उनके खिलाफ गुस्सा और बढ़ने लगता है।
जहां भारतीय संस्कृति धर्म और विचारधारा मजबूत है वहां जनता का अवैध दारू बेचने वालों को तो संरक्षण नहीं मिल सकता है। वहां गली-गली में अवैध रूप से दारू बिकने लगेगी तो जनता का उग्र होना स्वाभाविक है। ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ेगा ही। और जब दारू बेचने वालों की गाड़ियां, गांव में फर्राटा भरने लगेगी, काले शीशों के भीतर से अपराधिक तत्व गांव के लोगों पर छींटाकशी करने पर उतारू हो जाएंगे तो सीधे- साधे, भोले -भाले लोगों ग्रामीणों के अहम को जो ठेस पहुंचती है, जो अंदर से विरोध की ज्वाला पैदा होती है उसके कभी भी फूटने की संभावना बन जाती है। तब खनिज माफियाओं का पैसा भी काम नहीं आता। इन तमाम पृष्ठभूमि के बीच सांसद विजय बघेल के आमरण अनशन से बड़ा सैलाब जुड़ता दिख रहा है।
यहां धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए सांसद सुनील सोनी ने जिस गंभीरता से बताया की लॉक डाउन की अवधि में भी शराब माफिया के लोगों ने जमकर मुनाफावसूली की। सब कुछ बंद था लेकिन सरकार सत्ता पक्ष के संरक्षण में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से दारू जमा की। उसे अपने लोगों तक पहुंचाया और लोगों ने सत्ता के संरक्षण में खुलेआम दारू बेचा। प्रशासन तंत्र पर दबाव बनाकर उस पर कोई कार्रवाई नहीं होने दी। पंजाब के ब्रांड की₹400 की दारू, 4 हजार रुपए तक में बेची गई। हर तरफ अपराधिक तत्वों का बोलबाला हो गया है। अब गांव- गांव में ऐसे ही सब जगह स्थिति हो गई है तथा गांव गांव में जो हालात दिख रहे हैं आम लोगों को ऐसी बातों पर अविश्वास करने की कोई वजह नहीं दिखती। जिला पंचायत रायपुर के पूर्व अध्यक्ष अशोक बजाज ने कहा कि दारू दुकान बंद कराने के लिए किसी भी आंदोलन का दिल से स्वागत किया जाना चाहिए।
सांसद विजय बघेल के आमरण अनशन के तीसरे दिन भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पू्र्व मंत्री राजेश मुडत, पूर्व मंत्री रमशीला साहु, निगम के पूर्व सभापति प्रफुल्ल विश्वकर्मा समर्थन देने अनशन स्थल पर पहुंचे तथा इस लड़ाई में इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने की बात कही।इस दौरान पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार के निरंकुशता बढ़ती जा रही है । चारों तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला हो गया है।अब इस सरकार का कनेक्शन काटने की बारी आ गई है।दुर्ग जिले से आज भी बड़ी संख्या में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के पाटन पहुंचने की जानकारी मिली है।
कांकेर लोकसभा क्षेत्र के सांसद मोहन मंडावी तथा पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने भी धरना स्थल पर पहुंचकर आंदोलन को समर्थन दिया है। प्रदेश भर के नेताओं का आंदोलन को समर्थन देने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है।