दुर्ग।
असल बात न्यूज़।।
00 विधि संवाददाता
लगभग 3 वर्ष की बच्ची के साथ एक से अधिक बार बलातसंग के शर्मनाक मामले में अभियुक्त को कठोर से कठोर सजा सुनाई गई है। उसे आजीवन सश्रम कारावास भुगतने की सजा सुनाई गई है जिसका अभिप्राय उसके शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास है। यहां अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ एफटीएससी दुर्ग श्रीमती संगीता नवीन तिवारी के न्यायालय ने यह सजा सुनाई है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि दुष्कर्म की शिकार पीड़िता आजीवन कैसी दुखदायी और असहनीय पीड़ा झेलती है, इसकी हम कल्पना कर सकते हैं। न्यायालय ने अभियुक्त को ₹50 हजार रुपए अर्थदंड की सजा भी दी है जिसकी पूरी राशि अभियोक्त्री को देने का आदेश दिया गया है। इसके साथ अभी अभियोक्त्री को आहत प्रतिकार योजना से पुनर्वास हेतु विधि अनुरूप राशि प्रदान करने का भी आदेश दिया गया है।
आम लोगों को खुशी हो सकती है कि ऐसे संवेदनशील और गंभीर मामलों में न्यायालय के द्वारा जल्द से जल्द फैसला देने की कोशिश की जा रही है और इस मामले में भी लगभग एक साल के भीतर न्यायालय का फैसला आ गया है।उक्त संवेदनशील प्रकरण 30अप्रैल 2022 का है। प्रकरण में 3 साल की बच्ची अभियोक्तरी की मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने थाने में मौखिक रूप से रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपने दो बच्चों के साथ रहती है। उसके पति उसके ही पिता की हत्या के आरोप में जेल में हैं। वह लड्डू बनाने का काम करके जीवन यापन करती है। घटना के दिन बगल में ही रहने वाला आरोपी बच्ची को बिस्किट दिलाने के नाम पर अपने घर ले गया था। बच्ची वापस लौटी तो उसे दुष्कर्म होने का आभास हुआ। तब उसने शिकायत दर्ज कराई। बच्ची ने पूर्व में भी बताया था कि आरोपी उसके साथ गंदा हरकत करता है।
प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि अभियोक्त्री अपनी मां और बहन के साथ अभियुक्त के घर के समीप रहती है।
न्यायालय ने अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (3) (क) (ख) 376 (2) एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 6 के अपराध का दोषी माना तथा इसके अंतर्गत आजीवन सश्रम कारावास जिसका अभिप्राय उसके शेष प्राकृतिक जीवन कार्य के लिए कारावास की सजा सुनाई गई है।
प्रकरण में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक संतोष कसार ने पैरवी की ।