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विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस-चीन के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय वार्ता

  गोवा :  शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की आज से दो दिन की गोवा में बैठक हो रही है. एससीओ की सामान्य बैठक के अलावा चीन और रूस...

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गोवा :  शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की आज से दो दिन की गोवा में बैठक हो रही है. एससीओ की सामान्य बैठक के अलावा चीन और रूस के विदेश मंत्रियों के साथ भी भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अलग से द्विपक्षीय बैठक करेंगे. बैठक में हिस्सा लेने के लिए रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव गोवा पहुंच चुके हैं. आज और कल होने जा रही इस बैठक में शंघाई शिखर संगठन के सभी आठ पूर्णकालिक सदस्य देशों के विदेश मंत्री शामिल हो रहे हैं. इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी भी गोवा पहुंच रहे हैं. 

बैठक में क्षेत्रीय चुनौतियों से जुड़े मुद्दे केंद्र में होंगे
भारत एससीओ की विदेश मंत्री स्तर की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी कर रहा है. यह बैठक ऐसे समय में आयोजित हो रही है, जब यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और पश्चिमी देशों में तानातनी है और चीन के विस्तारवादी रवैये को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं. इस बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे, जिसमें चीन के विदेश मंत्री छिन कांग, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी आदि शामिल होंगे. माना जा रहा है कि बैठक में अफगानिस्तान के सम्पूर्ण हालात पर भी चर्चा हो सकती है, जिसमें उन चिंताओं पर भी विचार किया जा सकता है कि तालिबान के शासन में यह देश आतंकवाद का पोषण स्थल बन सकता है. इसके साथ ही तेजी से उभरती सुरक्षा स्थिति पर भी चर्चा हो सकती है. 

जयशंकर और भुट्टो-जरदारी के बीच मुलाकात होने के संकेत नहीं
हालांकि, एससीओ सम्मेलन से इतर जयशंकर और बिलावल के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक होती है या नहीं इस बात पर खास नजर रहेगी. सम्मेलन की तैयारियों से परिचित लोगों ने कहा कि जयशंकर चीन, रूस और समूह के कुछ अन्य सदस्य देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। छिन और लावरोव के साथ बृहस्पतिवार को बिनॉलिम के एक बीच रिसॉर्ट में द्विपक्षीय वार्ता होने संभावना है, लेकिन जयशंकर और भुट्टो-जरदारी के बीच इस तरह की मुलाकात के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं. भुट्टो-जरदारी दोपहर बाद पहुंच सकते हैं. 

नाटो के विकल्प के तौर पर...
एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी. एससीओ में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत इस वर्ष के लिए समूह की अध्यक्षता कर रहा है. भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे. भारत एससीओ संगठन के देशों में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में उभरा है. इस संगठन में चीन और रूस प्रमुख देश हैं. इस संगठन को नाटो के विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है. ऐसे में एससीओ का सदस्य होते हुए भी भारत चार देशों के संगठन क्वाड का भी सदस्य है. क्वाड में भारत के अलावा अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं. रूस और चीन क्वाड का मुखर रूप से विरोध करते रहे हैं. 

इन मुद्दों पर भी SCO बैठक में चर्चा संभव
एससीओ बैठक की तैयारी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि संगठन में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा के अलावा कारोबार, निवेश, सम्पर्क जैसे विषय प्रमुखता से सामने आयेंगे. समझा जाता है कि आतंकवाद की चुनौतियों के अलावा यूक्रेन युद्ध के प्रभावों पर भी चर्चा हो सकती है. भारत एससीओ सम्मेलन की मेजबानी ऐसे समय में कर रहा है जब पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के कारण चीन के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हैं. सूत्रों ने बताया कि बैठक में विदेश मंत्री वर्तमान भू राजनीतिक संकट की पृष्ठभूमि में क्षेत्र के समक्ष पेश आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे और सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का प्रभाव चर्चा पर नहीं पड़ेगा.