रायपुर. केंद्र सरकार ने रसोई गैस की कीमत में ऐसी आग लगाई है कि
ढाई साल में कीमत का डबल हाे गई है, लेकिन जहां तक सब्सिडी के लेबल का
सवाल है ताे यह ढाई साल पुराना ही 61 रुपए है। 2020 में रसोई गैस की कीमत
665 रुपए थे जो आज 1174 रुपए हो गई है। इधर उज्जवला योजना के उपभोक्ताओं
को जरूर दाे साै रुपए सब्सिडी मिल रही है, लेकिन शहरी क्षेत्र में जहां
इसके 50 फीसदी से कम उपभोक्ता रिफिल करा रहे हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में
20 से 30 फीसदी की रिफिल करा रहे हैं।राजधानी रायपुर में इस समय रसोई गैस
की कीमत 1174 रुपए है। अक्टूबर 2020 में रसोई गैस की कीमत 665 रुपए थी।
नवंबर में इस कीमत में कोई इजाफा नहीं हुआ, लेकिन दिसंबर में कीमत सीधे सौ
रुपए बढ़ गई और कीमत जा पहुंची 765 पर। यही कीमत 2021 जनवरी में भी रही।
फरवरी में 75 रुपए कीमत बढ़ी और रेट हो गया 840 रुपए। मार्च में जहां कीमत
में 50 रुपए का इजाफा हुआ, वहीं अप्रैल में कीमत पहली बार दस रुपए कम हुई।
अप्रैल में कीमत 880 रुपए थी। यही कीमत मई और जून में भी रही, क्योंकि दो
माह कीमत में इजाफा नहीं किया गया, लेकिन जुलाई और अगस्त में कीमत में
25-25 रुपए का इजाफा किया गया। अगस्त में कीमत 931 रुपए थी। सितंबर में
जहां कीमत में 25 रुपए बढ़ाए गए, वहीं अक्टूबर में कीमत 15 रुपए बढ़ी है।
नवंबर से कीमत में पांच राज्यों में चुनाव के कारण कोई इजाफा नहीं किया
गया। लेकिन जैसे ही पांच राज्यों के चुनाव समाप्त हुए और परिणाम आया इसके
बाद रसोई गैस की कीमत में 50 रुपए का इजाफा किया गया। इसके बाद 2022 में
कीमत 1124 रुपए हो गई। 2023 में कीमतों में एक बार 50 रुपए का इजाफा मार्च
में हुआ है।
सब्सिडी महज 61 रुपए, वाे भी नियमित नहीं
अक्टूबर
2020 में जब कीमत 665 रुपए थी, उस समय उपभोक्ताओं के खाते में 61.24 रुपए
सब्सिडी आ रही थी। गैस की कीमत लगातार बढ़ने के आज भी 61.24 रुपए की ही
सब्सिडी आ रही है। यह सब्सिडी भी नियमित नहीं है। कभी आती है कभी नहीं आती
है। अब तो कई उपभोक्ताओं के खाते में महज 10 से 11 रुपए ही सब्सिडी आ रही
है। यानी 50 रुपए की और कटौती हो गई है।
उज्जवला के गैस धूल खा रहे
उज्जवला
योजना में प्रदेश में 27 लाख से ज्यादा को कनेक्शन बांटे गए हैं। लेकिन
कनेक्शन लेने वाले ज्यादातर हितग्राही रसोई गैस की कीमत 11 सौ के पार होने
के बाद अब रिफिल कराने से कतराने लगे हैं। शहरों में स्थिति कुछ ठीक है, पर
यहां ज्यादा कनेक्शन नहीं हैं। शहरों में करीब 50 फीसदी उपभोक्ता रिफिल
करा रहे हैं। गांवों में ज्यादा कनेक्शन हैं तो वहां पर मुश्किल से 20 से
30 फीसदी ही रिफिल करा रहे हैं। गांवों में रसोई गैस की बजाए मुफ्त में
मिलने वाली लकड़ी पर ग्रामीण ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। जानकारों का कहना है
गांवों के घरों में सिलेंडर धुल खा रहे हैं। एक बार इसका उपयोग करने के
बाद इसको किनारे लगा दिया गया है। इसके पीछे का कारण यह है कि रसोई गैस की
कीमत अब 1174 रुपए हो गई है।