Page Nav

HIDE

Grid

GRID_STYLE

Pages

Classic Header

{fbt_classic_header}

Top Ad

ब्रेकिंग :

latest

Breaking News

इमोशन्स को वक्त रहते कंट्रोल कर ले तो हम बच सकते हैं कई तरह के तनाव से

  00  विशेष आलेख  मोनिका साहू, Counselling and Rehabilitation psychologist and special educator वैसे तो किसी भी तरह के इमोशन्स महसूस होने के...

Also Read

 00  विशेष आलेख 

मोनिका साहू, Counselling and Rehabilitation psychologist and special educator


वैसे तो किसी भी तरह के इमोशन्स महसूस होने के साथ में किसी भी तरह की प्रॉब्लम नहीं है, लेकिन अगर इनमें से कुछ को वक़्त रहते कण्ट्रोल न किया जाए, तो ये आपके तनाव का कारण बन सकते हैं। अच्छी बात ये है, कि ऐसे काफी सारी हैल्थ टेक्निक्स मौजूद हैं, जिन्हें आप यूज कर सकते हैं और लाइफ़स्टाइल के बदलाव, इन नेगेटिव फीलिंग्स पर कंट्रोल कर पाना और इनसे निपटना सिखा देंगे।

1 . *अपने मन और शरीर पर फिर से ध्यान देना 

 ध्यान दें, जब आप अपने इमोशन्स को दूर होता पाएँ: आपके इमोशन्स कब आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे हैं, इसकी पहचान करते आना, इमोशन्स पर काबू पाने का पहला कदम होता है। अपने आप से पूछें, कि क्या ये आपको फिजिकली या मेंटली फील होता है, फिर किसी वक़्त पर इसे पहचानने की कोशिश करें। अपने इमोशन्स के उमड़ने के दौरान उन्हें समझने के लिए माइंडफुलनेस और चेतना, तर्कसंगत विचारों की जरूरत होती है; बस इन्हें पहचानने मात्र से आप खुद को मौजूदा पल में लाना शुरू कर देंगे।

आपको शायद तेज हुई दिल की धड़कन, मसल में तनाव और धीमी या तेज़ साँसें लेने जैसे फिजिकल एक्सपीरियन्स भी हो सकते हैं।

मेंटली, शायद आप अपना ध्यान भटकता हुआ, चिंता होना, पैनिक होना या बहुत ज्यादा अभिभूत होता हुआ पाएंगे या फिर ऐसा फील करेंगे, जैसे कि आप आपके विचारों पर काबू ही नहीं पा सकते हैं।

जरा थम जाएँ, और एक बार में अपने शरीर के किसी एक ही रिएक्शन के ऊपर ध्यान दें। जैसे कि, अगर आप अचानक ही चिंता करने लगते हैं, तब नोटिस करें, कि ये आपके शरीर में किस तरह से फील होता है: “मेरा दिल ज़ोरों से धड़कने लगा है। मेरी हथेलियाँ पसीने से भर जाती हैं।” इन फीलिंग्स को पहचानें और इन्हें जज करने के बजाय ये जैसी भी हैं, इन्हें वैसा ही स्वीकार कर लें।

 *2.अपने आप को शांत करने के लिए गहरी साँसें लें:

जब आपके इमोशन्स आप से दूर जाते हैं, तब आपकी साँसें भी अक्सर आउट ऑफ कंट्रोल हो जाया करती हैं, जो आपकी स्ट्रेस और चिंता वाली फीलिंग्स को बढ़ा कर देती हैं। आप जब भी ऐसा होता हुआ पाएँ, तब अपने मन और शरीर को शांत करने के लिए कुछ गहरी साँसें लेकर, इसे होने से रोकें। अगर आप कर सकें, तो सबसे प्रभावी हल पाने के लिए एक उद्देश्यपूर्ण गहरी साँस लेने की टेक्निक का प्रयास करें

 *इस टेक्निक को करने के लिए,* पहले अपने एक हाँथ को अपनी चेस्ट पर रखें और दूसरे को अपने रिब केज (rib cage) के ठीक नीचे। अपनी नाक से धीमे-धीमे और गहराई से साँस अंदर लें और 4 तक काउंट करें। आपके द्वारा हवा खींचने के साथ-साथ अपने लंग्स और एब्डोमेन (पेट के निचले हिस्से) के फूलने को महसूस करें।

साँसों को कुछ 1 या 2 सेकंड्स के लिए होल्ड करके रखें, फिर धीमे से अपने मुंह के जरिए साँस को रिलीज कर दें। एक मिनट में 6-10 गहरी साँस लेने की कोशिश करें।

अगर 4 तक काउंट कर पाना आपके लिए मुश्किल लग रहा है, तो आप पहले 2 काउंट से स्टार्ट कर सकते हैं और फिर प्रैक्टिस करते हुए यहाँ तक पहुँच सकते हैं। अपनी ओर से अपनी साँसों को ज्यादा से ज्यादा गहरी बनाने की पूरी कोशिश करें।

 *3* . *अपने मन को वापस एक सेंटर पर लाने के लिए फिजिकल सेन्सेशन्स पर ध्यान दें:* 

 अपने इमोशन्स पर से काबू खोने के साथ अक्सर ही खुद की और स्थान की समझ भी चली जाती है; आप आपके इमोशन्स में ही खो जाते हैं और आप ये तक भूल जाते हैं, कि आप आखिर हैं कहाँ। इससे निपटने के लिए, खुद को अपने आसपास मौजूद चीजों की ओर या फिर आपके द्वारा एक्सपीरियंस की जाने वाली फिजिकल सेन्सेशन की तरफ ध्यान देने के लिए फोर्स करें।

 *ग्राउंडिंग एक्सर्साइजेज़* आपको मौजूदा पल में लाने के लिए, आपके ज्यादा से ज्यादा या सारे 5 सेन्सेस (इंद्रियों) का यूज करती हैं। ऐसे वक़्त पर ज़ोर से बोलना खासतौर पर बहुत जरूरी होता है, क्योंकि ये आपके मन को आपके इमोशन्स से दूर ले जाता है। अपने शरीर पर वापस आना और अपने मौजूदा पल पर फोकस करना, आपको वापस शांत होने में और इमोशन्स के मायाजाल में फँसने से बचा सकता है।

जैसे कि, अपने चारों तरफ देखें और आपको जो भी कुछ नजर आए, उसे ज़ोर-ज़ोर से डिस्क्राइब करें। आपको सुनाई देने वाले किसी साउंड को सुनें, और जो भी समझ आ रहा है, उसे भी ज़ोर-ज़ोर से बोलें। वहाँ पर मौजूद खुशबू पर ध्यान दें और देखें अगर आप आपकी जीभ पर कोई स्वाद ले पा रहे हों। आप कुछ ऐसा बोल सकते हैं, "ये कार्पेट और दीवार, दोनों में ही ब्लू के एक अलग शेड का यूज किया गया है और दीवार पर किया हुआ आर्ट कितना खूबसूरत है। मैं ब्रेक रूम में ब्रू (brew) हो रही कॉफी की खुशबू के साथ ही पुराने फ़ाइल फ़ोल्डर्स की महक को भी महसूस कर सकता हूँ।"

एक बार ध्यान देकर देखें, कि अपनी चेयर पर बैठना या हाँथ में कॉफी मग पकड़ने पर कैसा फ़ील होता है। ध्यान दें, जब आपकी मसल खिंची होती है, तब आपको आपके कपड़े कैसे फ़ील होते हैं। आप आपके हाँथ के अपने गोद के ऊपर फ़ील होने जैसी जरा सी बात को भी फ़ील करके देख सकते हैं।

एक कप चाय बनाएँ और फिर उस वक़्त पर चाय पीने की वजह से होने वाले सेन्सेशन पर ध्यान देने की कोशिश करें। वो कप कैसा फ़ील होता है? उसमें कैसी खुशबू आती है? उसका टेस्ट कैसा लगता है? इन सब बातों को ज़ोर-ज़ोर से खुद को ही डिस्क्राइब करें।

किसी पेंटिंग में मौजूद ज्यादा से ज्यादा डिटेल्स को खुद को ही डिस्क्राइब करें।

अपने साथ में, ऐसे स्ट्रेस फ़ील होने पर महकने लायक एशेन्सियल ऑइल लेकर चलें। उस महक को आप पर काबू पाने दें और आपको सेंट के बारे में जो भी कुछ अच्छा लगता है, उसके बारे में ज़ोर-ज़ोर से बोलें।


 *4.फिजिकल और मेंटल टेंशन से राहत पाने के लिए अपने मसल को रिलैक्स करें:* अपने शरीर का स्केन करें और देखें, कि आप कहाँ पर स्ट्रेस को लेकर चल रहे हैं, फिर उस एरिया को रिलैक्स करने के लिए खुद पर दबाव डालें। अपने हाँथों को अनक्लेंच (खोलें) करें, अपने कंधों को रिलैक्स करें और अपने पैरों की टेंशन को जाने दें। अपनी गर्दन को घुमाएँ और अपनी उँगलियों को हिलाएँ। फिजिकल टेंशन रिलीज करना भी मन को एक जगह पर लाने में बहुत मदद करता है।[६]

अगर आपको अपने शरीर को रिलैक्स करने में तकलीफ हो रही है, तो फिर *प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन (Progressive Muscle Relaxation)* या PMR करके देखें। आप बहुत सदे हुए तरीके से, अपने अंगूठे से शुरू करके और ऊपर जाते हुए ग्रुप्स में आपकी मसल्स को टेन्स और रिलीज करेंगे। जब आप टेंशन्स के किसी खास एरिया को नहीं ढ़ूंढ़ पाते हैं या उस पर फोकस नहीं कर पाते हैं, उस वक़्त इस तरह की मेथड्स आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती हैं।


 *5.खुद को एक शांत सेफ जगह पर सोचकर देखें:* एक ऐसी सोची हुई या असली जगह चुन लें, जो आपको काफी सुकून देने वाली महसूस होती है। अपनी आँखें बंद कर लें और उसे महसूस करें, और धीमी-धीमी और एक-समान साँसें लेते हुए ज्यादा से ज्यादा डिटेल्स तैयार करने की कोशिश करें। अपने शरीर की किसी भी टेंशन को बाहर जाने दें और आपके उस सुकून भरे जगह के अहसास को, आपके विचारों और इमोशन्स को शांत करने दें।

आपका ये सेफ प्लेस एक बीच (beach), एक स्पा (spa), एक मंदिर, या आपका बेडरूम-ऐसी कोई भी जगह, जहां आप खुद को सेफ और रिलैक्स महसूस करते हैं, हो सकती है। आपको वहाँ पर सुनाई देने वाले साउंड्स, नजर आने वाली चीजों और यहाँ तक कि स्मेल्स और टेक्सचर्स के बारे में सोचें।

अगर आप आपकी आँखें नहीं बंद कर पाते हैं या फिर सेफ प्लेस को पूरी तरह से नहीं देख पाते हैं, तो इसे जल्दी से अपने जेहन में लाने की कोशिश करें। खुद को उस शांत और ठहरी हुई फीलिंग की याद दिलाएँ और कुछ गहरी, शांत सांसें लें।

अगर आप सोचते वक़्त किसी नेगेटिव इमोशन को आता हुआ पाते हैं, तो उसे एक ऐसे फिजिकल ऑब्जेक्ट की तरह इमेजिन करने की कोशिश करें, जिसे आप अपने सेफ प्लेस से हटा सकते हैं। जैसे कि, आपका स्ट्रेस एक ऐसा पत्थर है, जिसे आप दूर फेंक सकते हैं, और ऐसा करते वक़्त, अपने शरीर से स्ट्रेस को जाते हुए महसूस करें।


 *6.अपनी खुद की एक "हैप्पी बुक (Happy Book)" या "जॉय बॉक्स (Joy Box)"*तैयार करें:* 

 इसे अपनी हैप्पी मेमोरी से भर दें, जैसे कि आपकी कुछ अच्छी फोटो और कोई निशानी, जैसे कि आपके फेवरिट कॉन्सर्ट की टिकिट जैसा कुछ भी रख लें। आपको अच्छे लगने वाले इन्स्पिरेशनल कोट्स को प्रिंट करा लें और अपनी बुक या बॉक्स में एड कर लें। इसमें ग्रेटिट्यूड (आभार) की लिस्ट या जर्नल भी शामिल करें, साथ ही ऐसे आइटम्स को भी रखें, जो आपको कंफ़र्ट देने वाले लगते हैं। जैसे कि, आपके बॉक्स में एक फनी बुक, कुछ कैंडीज़, एक अच्छा मग और चाय का बॉक्स भी हो सकता है। जब कभी भी आप इमोशनल फील करें, अपने इस बॉक्स या बुक को निकाल लें।

आप चाहें तो अपनी बुक में फ़ोटोज़, मीम्स (memes), इन्स्पिरेशनल कोट्स, जीआईएफ (gifs) बगैरह जैसी हर उन चीजों का डिजिटल वर्जन को भी तैयार कर सकते हैं, जिनसे आपको अच्छा फील होता है।


 *7.आपके असली इमोशन्स की पहचान करें:** 

अपने इमोशन को पहचानना और उसे एक नाम देना, ऐसे वक़्त पर आपको उनके ऊपर काबू दे सकता है, जब आप उन्हें वाइल्ड (काबू से बाहर) होता हुआ फील करते हैं। कुछ गहरी साँसें लें, फिर खुद को उन चीजों की तरफ ध्यान देने के लिए फोर्स करें, जिसे आप फील कर रहे हैं, फिर चाहे ये कितनी भी पेनफुल ही क्यों न हो। फिर, खुद से पूछें, इन फीलिंग्स का सोर्स क्या है और क्या ये किसी ऐसी चीज़ को छिपाने की कोशिश कर रही है, जिसे आप सामने लाने से डर रहे हैं।

 *_उदाहरण के लिए, क्या किसी बड़े एग्जाम की तैयारी,_* आपको इतना ज्यादा स्ट्रेस दे रही है। हो सकता है, कि इसका आपके फ्यूचर पर काफी गहरा असर पड़ने वाला या हो सकता है, कि आप ऐसा सिर्फ अपनी फैमिली को इंप्रेस करने की वजह से कर रहे हों। हो सकता है, कि आपके मन में कहीं ऐसी बात चल रही हो, कि आपकी फैमिली का प्यार, आपकी सक्सेस के ऊपर ही डिपेंड करता है।

अपने इमोशन्स को एक नाम देना असल में एक ऐसी स्किल है, जिसे शायद आपने सीखा न हो। अच्छी बात ये है, कि आप डाइलेक्टिकल *बिहेवियरल थेरेपी (Dialectical Behavioral Therapy या DBT)* का यूज करके, इमोशन्स को एक नाम देना सीखने में अपनी खुद की मदद कर सकते हैं।


एक बात हमेशा याद रखें, कि कोई भी इमोशन, कभी भी “गलत” नहीं हुआ करता है। खुद को किसी चीज़ को फ़ील नहीं करने की बात समझा कर रखना, अपने आप को और ज्यादा दर्द पहुंचाने का एक तरीका है। जजमेंट पास किए बिना इमोशन को नोटिस करें। इस बात को स्वीकार कर लें, कि इमोशन नेचुरल हैं और खुद को इन्हें फ़ील भी करने दें।

अपने इमोशन्स को एक ऐसे केरेक्टर की तरह इमेजिन करें, जो इमोशन्स को लेकर चलता है। फिर, इमोशन को वापस उसकी असली वजह तक लेकर आएँ।

अपने इमोशन्स की हलचल के पीछे की असली फीलिंग को पहचानना और उसे एक नाम देना, आपको उन पर कंट्रोल करने में मदद करता है। अब जबकि आप आपके इमोशन्स के पीछे की असली वजह को पहचान सकते हैं, तब आप जान जाएंगे, कि ये तो सिर्फ एक फीलिंग है, और ये भी, कि इसका आपके ऊपर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ना चाहिए।


 *8.अपने आप को अपने इमोशन्स के लिए काम करने की पर्मिशन दें:* 

अपने इमोशन्स को दबाए रखना या उन्हें इग्नोर करने से वो चले नहीं जाएंगे। वो आपके अंदर ही कहीं दफन हो जाएंगे और कुछ वक़्त के बाद फिर से ऊपर आ जाएंगे, इसलिए जरूरी है, कि आप खुद को अपने इमोशन्स को फ़ील करने दें। हालांकि, आपको सिर्फ उनकी ही रट लगाए नहीं बैठे रहना है। इसकी बजाय, अपने इमोशन्स को बाहर निकालने के लिए कुछ 15-20 मिनट्स का वक़्त अलग निकालकर रखें।

उदाहरण के लिए, आप अपने विचारों को बाहर निकालने के लिए या इन्हें एक जर्नल में लिखने के लिए आपके *किसी एक फ्रेंड को कॉल कर सकते* हैं।

9 *अगर आप उदास महसूस कर रहे हैं, तो आपको अकेले में रोने के लिए भी वक़्त निकालना चाहिए।* 

अगर आप अपने शरीर में इमोशन्स को फ़ील कर रहे हैं, जैसे कि बहुत ज्यादा गुस्से, स्ट्रेस या जलन के साथ, तो फिर इन्हें बाहर निकालने के लिए आपको एक फिजिकल वर्क करने की कोशिश करना चाहिए। आपको या तो एक चोटी सी वाल्क पर चले जाना चाहिए या फिर योगा ही कर लेना चाहिए।


10 *.उस परिस्थिति को संभालने के लिए आप क्या कर सकते हैं, इसके बारे में सोचें:* 

कभी-कभी, आप खुद को सिर्फ इसी वजह से इमोशनली आउट ऑफ कंट्रोल पाते हैं, क्योंकि आपको आपके चारों तरफ की परिस्थिति को कंट्रोल करने का कोई तरीका ही समझ ही नहीं आ रहा होता है। ये आपको आपके विचारों की “रट लगाने (ruminating)” की स्थिति में ले जा सकता है, जो कि आपके विचारों का एक ऐसा “मायाजाल” होता है, जहां आप बिना मतलब के सिर्फ नेगेटिव फीलिंग में ही उलझे हुए रहते हैं, जिसका असल में कोई मतलब ही नहीं निकलता। उस वक़्त पर याद आने वाली किसी भी परिस्थिति की तरफ ध्यान देकर इस साइकल को तोड़ने की कोशिश करे।

 *“मैं अपने काम में इतना बेकार क्यों हूँ?”* सोच-सोचकर अपने काम पर होने वाली परेशानियों के बारे में सोचते रहने का बजाय, ऐसी चीजों की एक लिस्ट बना लें, जिन्हें पहचान पा रहे हैं। आप चाहें तो प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए अपने बॉस से बात कर सकते हैं, किसी और ज्यादा एक्सपीरियंस वाले इंसान से मदद की मांग कर सकते हैं या फिर अलग-अलग तरह की स्ट्रेस-मेनेजमेंट टेकनिक्स को ट्राइ करके देख सकते हैं।

ऐसी चीजों को भी स्वीकार करने की कोशिश करें, जिन्हें आप सिर्फ अपनी मेहनत से नहीं पहचान सकते हैं। आपको ही हर एक चीज़ को “फिक्स” करना है या “कंट्रोल” करना है, इस एक धारणा को छोड़ देना, अपने आप को स्ट्रेस और इमोशनल उधेड़-बुन से बचाए रखने का एकमात्र तरीका है।




 *अपने और दूसरों के अंदर डिफ़ेंसिवनेस (रक्षात्मकता) की पहचान करना सीखें:* डिफ़ेंसिवनेस की वजह से न सिर्फ इमोशन्स काबू से बाहर हो जाते हैं, बल्कि ये आपको लोगों के सामने एक बहुत इमोशनल इंसान की तरह पेश कर देते हैं। हो सकता है, कि शायद आप स्ट्रेस, फ्रस्ट्रेशन या किसी की तरफ से आप पर किए गए अटेक की वजह से डिफ़ेंसिव फ़ील करते हों। हालांकि, दूसरों के पास मौजूद ऑप्शन्स को पर्सनली (अपने ऊपर) लिए बिना सुनना भी जरूरी होता है, खासकर कि तब अगर वो एक अच्छे तरीके में दिए गए हों। आप उस परिस्थिति में मौजूद डर को कम करके और दूसरों के विचारों को जानने की उत्सुकता को बढ़ाकर डिफ़ेंसिवनेस का सामना कर सकते हैं। यहाँ पर डिफ़ेंसिवनेस के कुछ लक्षण दिए गए हैं:


 *नेगेटिव फीडबैक को सुनने से मना करना

*अपनी असफलता के लिए बहाना बनाना

*दोष लगाना

*दूसरे लोगों का बोलना बंद करने के लिए अपनी आर्म्स को क्रॉस करना

*किसी के सामने मुस्कुराना और सिर हिलाना (नोड करना), ताकि वो बोलना बंद कर दे।

**दूसरे लोगों से बात किए बिना, सिर्फ अपने सही होने के कारणों को सुनना

दूसरे लोगों के फीडबैक को इग्नोर करना* 

*दूसरे लोगों को आपकी आलोचना करने से रोकने के लिए दूसरों लोगों के लिए व्यंग्य (सार्केज़्म) या आलोचना (क्रिटिसिज़्म) यूज करना ।