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अडानी समूह की 2 कंपनियों पर लॉन्ग टर्म के लिए निगरानी, समझें इसके मायने

   नई दिल्ली.  हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद संकट में घिरे गौतम अडानी समूह की दो कंपनियों को लॉन्ग टर्म एडिशनल सर्विलांस के स्टेज- II कैटेगरी म...

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 नई दिल्ली.  हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद संकट में घिरे गौतम अडानी समूह की दो कंपनियों को लॉन्ग टर्म एडिशनल सर्विलांस के स्टेज- II कैटेगरी में रखा गया है। ये दो कंपनियां-अडानी ट्रांसमिशन और अडानी टोटल गैस हैं। एनएसई और बीएसई ने कहा कि इन कंपनियों ने लॉन्ग टर्म एडिशनल सर्विलांस के तहत शामिल करने के मानदंडों को पूरा किया है। यह 13 मार्च से प्रभावी होगा। 

आपको बता दें कि 9 मार्च से अडानी समूह की तीन कंपनियों को शॉर्ट टर्म सर्विलांस फ्रेमवर्क स्टेज - I में रखा गया है। ये तीन कंपनियां- अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पावर और अडानी विल्मर हैं। वहीं, एक्सचेंजों ने एनडीटीवी और अडानी ग्रीन एनर्जी को लॉन्ग टर्म एडिशनल सर्विलांस के स्टेज- II के तहत रखा था। 

क्या है मायने: दरअसल, अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की फर्मों के शेयरों में भारी गिरावट आई है। इसके बाद बीएसई, एनएसई ने निवेशकों के हित को ध्यान में रखकर समूह की कंपनियों को निगरानी में रखा है। इसे किसी कार्रवाई के तौर पर नहीं देखा जाता है। इस व्यवस्था को शेयरों की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव की स्थिति को रोकने के लिए लागू किया जाता है।

इस पहल के जरिए मार्केट पर भरोसा बढ़ाने और निवेशकों के हितों की रक्षा की कोशिश होती है। जो कंपनियां ASM के अंदर होती हैं उन पर कॉर्पोरेट एक्शन का कोई फर्क नहीं पड़ता है।