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छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंशों पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी तीन दिवसीय आयोजन 03 मार्च से

   रायपुर, पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय विभाग द्वारा ‘छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन कल 03 मार्च स...

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 रायपुर, पुरातत्त्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय विभाग द्वारा ‘छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन कल 03 मार्च से प्रारंभ होगा। यह आयोजन 05 मार्च तक चलेगा। शोध-संगोष्ठी राजधानी रायपुर स्थित महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय सभागार में आयोजित की जा रही है।
पुरात्व एवं अभिलेखागार विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के क्षेत्रीय राजवंशों से संबंधित उपलब्ध स्रोतों के शोध अध्ययन द्वारा तत्कालीन इतिहास के विभिन्न पक्षों को प्रकाश में लाने और क्षेत्रीय इतिहास लेखन की समस्याओं पर विमर्श करने के उद्देश्य से तीन दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंशों से संबंधित विभिन्न पहलूओं, जैसे उनके वंशावलियों व कालक्रम पर नवीन प्रकाश, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक इतिहास पर विमर्श किया जाएगा। संगोष्ठी में क्षेत्रीय राजवंशों से संबंधित अभिलेख एवं सिक्के, कला एवं स्थापत्य का विकास, राजवंशों का अभ्युदय व पतन आदि विषयों पर वक्तागण और शोधार्थी शोधपत्रों का वाचन करेंगे। 
संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर प्रो. एल. एस. निगम ‘छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश और इतिहास लेखन समस्याएँ’ पर वक्तव्य देंगे। शोध संगोष्ठी में प्रो. व्योमपेश त्रिपाठी अमरकंटक, आचार्य रमेन्द्रनाथ मिश्र रायपुर, प्रो. चंद्रशेखर गुप्त नागपुर, प्रो. आर. एन. विश्वकर्मा राजनांदगांव, श्री जी.एल. रायकवार रायपुर श्री राहुल कुमार सिंह रायपुर, प्रो. दिनेश नंदिनी परिहार रायपुर और प्रो. के.के. अग्रवाल रायपुर राज्य के विभिन्न क्षेत्रीय राजवंशों पर व्याख्यान देंगे। प्रथम दो दिन में 07 अकादमिक सत्र होंगे और प्रत्येक सत्र में 07 शोधपत्रों का वाचन और तदुपरांत वक्ताओं के व्याख्यान होंगे। अकादमिक सत्रों की समाप्ति उपरांत लोक सांस्कृतिक संस्थाओं माटी के सिंगार गिरहोला (कांकेर) और लोकरंजनी लोककला मंच रायपुर द्वारा क्षेत्रीय राजवंशों क्रमशः सिरपुर के पाण्डुवंश और रतनपुर के कलचुरीवंश की गौरवगाथा पर केन्द्रित प्रस्तुतियाँ होगी। इस संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ सहित महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार और ओडिशा के अध्येता भी शामिल होंगे। 
संगोष्ठी के अंतिम दिन विद्वान अध्येता और प्रतिभागियों द्वारा राजिम, जिला गरियाबंद के स्मारकों का शोध भ्रमण किया जाएगा। कार्यक्रम का समापन सत्र संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता में पुरखौती मुक्तांगन संग्रहालय रायपुर में सम्पन्न होगा।