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पीड़ित को त्वरित निःशुल्क न्याय, चिकित्सीय लापरवाही से खो दी थी अपने बेटे को,जिला एवम सत्र न्यायाधीश ने स्वम संज्ञान लेकर अधिवक्ता प्रदान कराया

  रायपुर।  असल बात न्यूज़।।  न्याय प्राप्त करना आज भी सबके लिए आसान नहीं है। जिनके पास संसाधनों का अभाव है, आर्थिक दिक्कतें हैं तो ऐसे लोगों...

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 रायपुर। 

असल बात न्यूज़।। 

न्याय प्राप्त करना आज भी सबके लिए आसान नहीं है। जिनके पास संसाधनों का अभाव है, आर्थिक दिक्कतें हैं तो ऐसे लोगों को तो न्याय पाने में और कठिनाई होती है। ऐसे ही अपने  बेटे को खो देने वाली आर्थिक अभाव से जूझ रही मां को न्याय पाने में कठिनाइयां महसूस हो रही थी। उसके लिए, न्यायालय तक पहुंच पाना भी आसान नहीं था। जिला एवं सत्र न्यायधीश के संज्ञान में यह मामला आया तो उन्होंने पीड़ित को तत्काल निशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध करवाया और अब पीड़ित को न्याय मिल गया है। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने प्रकरण में माता-पिता को वात्सल्य सुख से वंचित होने और मानसिक पीड़ा के लिए दोषी डॉक्टर और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ फैसला सुनाया है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार यह मामला बालोद जिले का है। वहां एक माता पिता ने उपचार के दौरान अपने बेटे को खो दिया था। उनका आरोप था कि चिकित्सक  तथा अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से उस बच्चे की मौत हो गई। यह परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहा था और उसके लिए न्यायालय से न्याय पाने के लिए विधिक खर्च उठाने में असमर्थ साथी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश को इसके बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने पीड़ित को तत्काल निशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराया। और अब उस मामले में फैसला आ गया है।

जिला एवम सत्र न्यायाधीश श्री संतोष शर्मा  की जानकारी में आते ही स्वयं इस संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव  प्रवीण मिश्रा को आहूत करते हुए निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान करने के लिए आहूत किया।मामले में अध्यक्ष श्री संतोष शर्मा,अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के आदेशानुसार आवेदिका को पैनल अधिवक्ता के माध्यम से सभी जानकारी प्रदान करवायी जा रही थी

आठ साल पुराने मामले में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बालोद जिला में संचालित एक अस्पताल के दो डॉक्टर तथा प्रबंधन से जुड़े लोगों को गलत इलाज करने से युवक की मौत होने पर 19 लाख 12:वार्षिक ब्याज जिसे मिलाकर लगभग कुल रकम 34 लाख जिससे माता पिता को मिलेगी आर्थिक सहायता।जुर्माने की राशि मृतक के माता-पिता को दी जाएगी। साथ ही अस्पताल प्रबंधन तथा डॉक्टरों को पांच हजार रुपए वाद व्यय देने का फैसला सुनाया है।मामले की सुनवाई में राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष ने राजहरा स्थित शहीद हॉस्पिटल के डॉ. एस. जाना, डॉ. प्रताप प्रभाकर तथा अस्पताल के अध्यक्ष अथवा सचिव के खिलाफ जुर्माने की सजा सुनाई है। अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध दल्लीराजहरा निवासी पार्वती साहू तथा उसके पति अशोक साहू ने आयोग में परिवाद दायर की थी।

दोनों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर आरोप लगाया था कि उनके 17 साल के बेटे सुजीत प्रसाद का उपचार कराने 16 अप्रैल 2011 को अस्पताल में भर्ती कराया। सुजीत को झटका आ रहा था। दोनों चिकित्सकों ने बगैर मलेरिया टेस्ट किए मलेरिया का इंजेक्शन लगा दिया। इसके कारण सुजीत को हरे रंग की उल्टियां हुई।

परिवादियों ने आयोग को बताया कि उनके बेटे की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन लोगों ने उसे  सेक्टर-9 अस्पताल में ले जाने की बात कहा, तब डॉ जाना ने उसके बेटे को बांधकर ऑक्सीजन लगा दिया। तबियत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर ने सुजीत को ब्रेन ट्यूमर होने की बात कहकर 15 दिन के अंदर मौत होने की बात कही। इसके साथ ही जब वे अपने बेटे को सेक्टर-9 अस्पताल ले जा रहे थे तब डॉक्टर ने जाने दिया। इस वजह से कुछ दूर जाने के बाद उसकी मौत हो गई। आयोग ने मृतक के माता-पिता को वात्सल्य सुख के लिए 10 तथा दुख के लिए 5 और मानसिक पीड़ा के लिए 4 लाख एवम 12ः वार्षिक ब्याज की दर से अर्थिक सहायता देने का फैसला सुनाया है।